भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों- भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हो गए हैं. क्योंकि इन चुनावों के जरिए ही वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव का रास्ता तय होगा. दोनों ही दलों के प्रमुख नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. प्रदेश में नगरीय निकाय के चुनाव दो चरणों में होना है. पहले चरण के लिए मतदान छह जुलाई को है, वहीं दूसरे चरण का मतदान 13 जुलाई को होना है. चुनाव में मतदान ईवीएम के जरिए होगा. प्रदेश में 16 नगर निगम है और इनमें बीते चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी और सभी स्थानों पर उसके महापौर निर्वाचित हुए थे.
विधानसभा के पहले का सेमी फाइनल माना जा रहा नगरीय निकाय चुनाव: प्रदेश में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था और उसके बाद दलबदल के कारण भाजपा फिर सत्ता में आई थी. लिहाजा, वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा के चुनाव दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है और उससे पहले होने वाले बड़े चुनाव नगरीय निकाय के हैं. इन चुनावों को विधानसभा के पहले का सेमी फाइनल माना जा रहा है. नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल पूरा जोर लगाए हुए हैं. नेताओं के दौरे हो रहे हैं और मतदाताओं को लुभाने के लिए तरह-तरह के वादे किए जा रहे हैं. चुनावी माहौल पर गौर करें तो भाजपा की कमान पूरी तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के हाथ में है.
बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आप और एआईएमआईएम भी लगा रही जोर: कांग्रेस का सारा दारोमदार कमलनाथ के हाथ में है. हां, राजधानी में दिग्विजय सिंह की सक्रियता नजर आ रही है. भाजपा के दोनों प्रमुख नेता एक दिन में जहां तीन या उससे ज्यादा स्थानों पर दौरा कर रहे हैं, तो वहीं कमलनाथ के दौरों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी कई स्थानों पर जोर लगा रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भी प्रदेश में दौरे हो रहे हैं, तो वहीं एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी भी दौरा कर चुके हैं. नगरीय निकाय के चुनाव ने यह संकेत दे दिया है कि, प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी भी जोर लगाने में पीछे नहीं रहेगी.
इनपुट - आईएएनएस