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MP Assembly Election का लिटमस टेस्ट होगा नगरीय निकाय चुनाव, भाजपा-कांग्रेस ने कसी कमर - नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले नगरीय निकाय चुनाव राजनीतिक दलों की सबसे बड़ी परीक्षा साबित होगी. एक तरफ भाजपा इस चुनाव के जरिए अपना दमखम दिखाने की कोशिश करेगी, तो वहीं कांग्रेस के पास भी अपनी तैयारी को परखने का एक मौका होगा.

Nagar Nikay Election 2021
शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ
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Published : Jun 26, 2021, 8:39 PM IST

Updated : Jun 26, 2021, 9:03 PM IST

भोपाल। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव होने में अभी काफी वक्त है. इससे पहले नगरीय निकाय चुनाव (Nagar Nikay Election) राजनीतिक दलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय के चुनावों की तैयारी को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है, वहीं इन चुनावों को लेकर कांग्रेस (Congress) पिछड़ती नजर आ रही है. जानकारों का मानना है कि आगामी नगरीय निकाय चुनाव विधानसभा चुनाव के ट्रायल होंगे, जिनके जरिए दोनों दलों को जनता के मन की बात टटोलने का मौका मिल पाएगा.

नगरीय निकाय चुनाव

ट्रायल में भी झोंकना होगी ताकत

भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में नगरीय निकायों की तैयारी को लेकर चर्चा की गई, साथ ही आगे की रणनीति बनाई गई. नगरीय निकाय चुनाव को भाजपा बिल्कुल हल्के में नहीं लेना चाहती है. वहीं कांग्रेस इन चुनावों के जरिए अपनी ताकत आजमाएगी औऱ देखना चाहेगी कि जमीन पर उसके कार्यकर्ता कितने उत्साहित हैं.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गिरीश उपाध्याय का मानना है कि नगरीय निकाय चुनाव एक तरह से ट्रायल होगा कि कोरोना के चलते भाजपा की लोकप्रियता में कितना प्रभाव पड़ा है. कांग्रेस में इसकी तैयारी नजर नहीं आती है, जैसा भाजपा ने शुरू कर दी है.

कांग्रेस नहीं बना पाई चुनावी माहौल

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जनवरी में नगरीय निकाय चुनाव के प्रभारियों और सह प्रभारियों की बैठक ली थी. जनवरी में ही कांग्रेस के प्रभारी जिलों में गए थे और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद भी किया था. इसके बाद चुनाव की तारीख आगे बढ़ जाने और कोरोना की दूसरी लहर आने से कांग्रेस चुनाव माहौल नहीं बना पाई.

कांग्रेस का आरोप, भाजपा कर रही केवल दिखावा

कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया का कहना है कि भाजपा केवल दिखावा कर रही है. वास्तव में भाजपा की जमीन कोरोना महामारी के चलते खिसक गई है. भाजपा चुनाव कराने से डर रही है. धनोपिया का कहना है कि भाजपा चुनाव कराकर देखे तो पता चल जाएगा कि वह धरातल पर कहां खड़ी है. कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से तैयार है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कार्यकाल में जन हितैषी योजनाओं के साथ अच्छा कामकाज हुआ है. इसका फायदा कांग्रेस को मिलना तय है।

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पहले कांग्रेस, फिर भाजपा सरकार ने टाले थे चुनाव

नगरीय निकाय चुनाव पहले कमलनाथ सरकार ने टाल दिए थे. कांग्रेस सरकार ने करीब 6 महीने के लिए चुनाव आगे बढ़ा दिए थे. इस दौरान राज्य में भाजपा की सरकार बन गई. हालांकि नगरीय निकाय चुनाव की तारीख भाजपा ने भी आगे बढ़ा दी थी. मार्च 2021 में चुनाव आयोग ने नगरीय निकाय चुनाव कराने की पूरी तैयारी कर ली थी. इसके बाद अध्यक्ष व महापौर के आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगने से चुनाव प्रक्रिया पर रोक लग गई थी. इन याचिकाओं का अभी तक निराकरण नहीं हो पाया है. जानकारी के मुताबिक, जुलाई में इस पर सुनवाई होना तय हुआ है.

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सभी नगर निगमों पर भाजपा का था कब्जा

पिछले नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने सभी 16 नगर निगमों पर कब्जा जमाया था. राज्य के 407 नगरीय निकायों में चुनाव होना है. इन चुनाव को जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.

भोपाल। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव होने में अभी काफी वक्त है. इससे पहले नगरीय निकाय चुनाव (Nagar Nikay Election) राजनीतिक दलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय के चुनावों की तैयारी को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है, वहीं इन चुनावों को लेकर कांग्रेस (Congress) पिछड़ती नजर आ रही है. जानकारों का मानना है कि आगामी नगरीय निकाय चुनाव विधानसभा चुनाव के ट्रायल होंगे, जिनके जरिए दोनों दलों को जनता के मन की बात टटोलने का मौका मिल पाएगा.

नगरीय निकाय चुनाव

ट्रायल में भी झोंकना होगी ताकत

भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में नगरीय निकायों की तैयारी को लेकर चर्चा की गई, साथ ही आगे की रणनीति बनाई गई. नगरीय निकाय चुनाव को भाजपा बिल्कुल हल्के में नहीं लेना चाहती है. वहीं कांग्रेस इन चुनावों के जरिए अपनी ताकत आजमाएगी औऱ देखना चाहेगी कि जमीन पर उसके कार्यकर्ता कितने उत्साहित हैं.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गिरीश उपाध्याय का मानना है कि नगरीय निकाय चुनाव एक तरह से ट्रायल होगा कि कोरोना के चलते भाजपा की लोकप्रियता में कितना प्रभाव पड़ा है. कांग्रेस में इसकी तैयारी नजर नहीं आती है, जैसा भाजपा ने शुरू कर दी है.

कांग्रेस नहीं बना पाई चुनावी माहौल

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जनवरी में नगरीय निकाय चुनाव के प्रभारियों और सह प्रभारियों की बैठक ली थी. जनवरी में ही कांग्रेस के प्रभारी जिलों में गए थे और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद भी किया था. इसके बाद चुनाव की तारीख आगे बढ़ जाने और कोरोना की दूसरी लहर आने से कांग्रेस चुनाव माहौल नहीं बना पाई.

कांग्रेस का आरोप, भाजपा कर रही केवल दिखावा

कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया का कहना है कि भाजपा केवल दिखावा कर रही है. वास्तव में भाजपा की जमीन कोरोना महामारी के चलते खिसक गई है. भाजपा चुनाव कराने से डर रही है. धनोपिया का कहना है कि भाजपा चुनाव कराकर देखे तो पता चल जाएगा कि वह धरातल पर कहां खड़ी है. कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से तैयार है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कार्यकाल में जन हितैषी योजनाओं के साथ अच्छा कामकाज हुआ है. इसका फायदा कांग्रेस को मिलना तय है।

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नगरीय निकाय चुनाव पहले कमलनाथ सरकार ने टाल दिए थे. कांग्रेस सरकार ने करीब 6 महीने के लिए चुनाव आगे बढ़ा दिए थे. इस दौरान राज्य में भाजपा की सरकार बन गई. हालांकि नगरीय निकाय चुनाव की तारीख भाजपा ने भी आगे बढ़ा दी थी. मार्च 2021 में चुनाव आयोग ने नगरीय निकाय चुनाव कराने की पूरी तैयारी कर ली थी. इसके बाद अध्यक्ष व महापौर के आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगने से चुनाव प्रक्रिया पर रोक लग गई थी. इन याचिकाओं का अभी तक निराकरण नहीं हो पाया है. जानकारी के मुताबिक, जुलाई में इस पर सुनवाई होना तय हुआ है.

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पिछले नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने सभी 16 नगर निगमों पर कब्जा जमाया था. राज्य के 407 नगरीय निकायों में चुनाव होना है. इन चुनाव को जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.

Last Updated : Jun 26, 2021, 9:03 PM IST
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