भोपाल। सोमवार से शुरू हुआ मध्य प्रदेश विधानसभा के चार दिवसीय मानसून सत्र की शुरुआत हंगामेदार रही. कांग्रेस ने भाजपा की प्रदेश सरकार को आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए विधानसभा में खूब शोर-शराबा किया. इसके बाद आदिवासी दिवस पर छुट्टी घोषित करने की मांग को लेकर को लेकर कांग्रेस ने वॉकआउट कर दिया. इसके बाद स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया. इस दौरान खास बात यह रही कि सदन में जिन शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना था, उसी शब्द का खूब इस्तेमाल हुआ.
कांग्रेस का हंगामा, विधानसभा मंगलवार तक स्थिगित
12 अगस्त तक चलने वाले 4 दिन के मानसून सत्र की शुरुआत में मिल्खा सिंह सहित कई दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि दी गई. इसी दौरान कांग्रेस विधायकों ने हंगामा शुरु कर दिया. जिसे देखते हुए सीएम शिवराज सिंह ने नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ पर स्तरहीन राजनीति करने का आरोप लगाया जो जवाब में कमलनाथ ने सरकार को आदिवासी विरोधी ठहरा दिया. कांग्रेस की मांग आदिवासी दिवस पर छुट्टी घोषित करने की थी, जबकि सरकार ने एक्छिक अवकाश घोषित किया है. आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित किए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस विधायकों का प्रतिनिधि मंडल रविवार को राज्यपाल से भी मिला था.
मंगलवार को भी हंगामे के आसार
सत्र में मंगलवार को भी हंगामा होने के आसार हैं. माना जा रहा है कि सदन में बाढ़ को लेकर हंगामा और तीखी नोंकझोंक की संभावना है, क्योंकि कांग्रेस लगातार सरकार पर बाढ़ पीड़ितों के लिए बेहतर इंतजाम न किए जाने के मामले में सरकार पर फेल होने के आरोप लगा रही है. दूसरी तरफ सरकार बाढ़ पीड़ितों की हर संभव मदद का दावा कर रही है. इसलिए यह माना जा रहा है कि बाढ़ के मुद्दे पर दोनों दल एक दूसरे को घेरने से नहीं चूकेंगे. इसके अलावा कांग्रेस ने शराब,कोरोना, ऑक्सीजन, हेल्थ और शिक्षा के मुद्दे पर भी सरकार को घेरने की योजना बनाई है.
4 दिन के मानसून सत्र में क्या होना है
- मानसून सत्र के लिए विधानसभा सचिवालय को कुल 1184 प्रश्नों की सूचना प्राप्त हुई है.
-इनमें ध्यानाकर्षण की 236, स्थगन प्रस्ताव की 17, शून्यकाल की 40, अशासकीय संकल्प की 14 एवं 139 अविलंवनीय लोक महत्व की चर्चा की आठ.
- याचिकाओं की 15 तथा शासकीय विधेयकों की तीन तथा लंबित विधेयकों की दो सूचनाएं प्राप्त हुई हैं.
जो असंसदीय, उन शब्दों का भी हुआ इस्तेमाल
मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सत्र के सुचारू संचालन के लिए रविवार को विधानसभा सचिवालय द्वारा सदन के सदस्यों के उपयोग के लिए तैयार की गई "असंसदीय शब्द एवं वाक्यांश संग्रह" पुस्तिका का विमोचन किया था. जिसमें यह तय किया गया था कि इन शब्दों का विधानसभा में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इन शब्दों में 'बंटाधार' शब्द भी शामिल था जो 2003 में दिग्विजय सरकार की विदाई में बीजेपी का मुख्य हथियार बना था. यह शब्द असंसदीय शब्दों वाली किताब में शामिल था, लेकिन सदन में इसका जमकर इस्तेमाल हुआ. बीजेपी विधायकों ने इसी शब्द को बोलते हुए स्पीकर से इसे सदन में बोलने की अनुमति मांगी. बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने बंटाधार और नक्सलवादी जैसे शब्दों को विलोपित किए जाने पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि बंटाधार कांग्रेस के कुशासन की याद दिलाता है. उन्होंने यह भी कहा कि नक्सलवादियों को नक्सलवादी न कहा जाए तो उनके लिए किस शब्द का इस्तेमाल किया जाए. ऐसे में नक्सलवाद शब्द को भी बहाल किया जाए.