भोपाल। कहते हैं दूध से जला हुआ छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है. यही वजह है कि दमोह उपचुनाव में कांग्रेस से मात खा चुकी बीजेपी अब अपने ही नेताओं की जासूसी करवा रही है. प्रदेश की जिन 4 सीटों पर उपचुनाव होना है वहां मैदानी स्तर तक नजर रखने के लिए पार्टी ने अपने जासूस छोड़ दिए हैं. खंडवा ,जोबट, पृथ्वीपुर और रैगांव विधानसभा में बूथ स्तर तक चुनाव प्रबंधन से जुड़ी बीजेपी की अलग-अलग टीमें काम कर रही हैं और यही टीमें नेताओं के प्रचार से लेकर चुनाव के संचालन से जुड़ी हर सूचना पर नजर रख रही हैं. जिसकी जानकारी पार्टी के सीनियर नेताओं को दी जा रही है.
दमोह की हार से सीखा सबक
दमोह में मिली हार के बाद इस उपचुनाव में कहीं पार्टी उम्मीदवारों के साथ धोखा न हो जाए. इसी डर के चलते और भितरघात के संभावनाओं को देखते हुए भाजपा इस बार माइक्रो प्लानिंग पर काम कर चुनाव जीतने की हर जुगत भिड़ा रही है. चुनाव क्षेत्र में चुनाव प्रबंधन के साथ साथ पार्टी का कोर कैडर जिनकी संख्या 12 से 13 हजार हैं. ये लोग फोन पर फीडबैक देने के साथ ही और नेताओं की गोपनीय रिपोर्ट भी भोपाल पहुंचा रहे हैं. भाजपा कि चुनाव प्रबंधन टीम इन सब पर नजर रखे हुए हैं और छोटी-छोटी सूचनाओं का विश्लेषण किया जा रहा है.
नेता बोले जासूसी नहीं फीडबैक
चुनाव क्षेत्र से आने वाली सूचनाओं के विश्लेषण के लिए पार्टी कार्यालय में चुनाव प्रबंधन समिति की रोज बैठक करती है. जहां तक अपने नेताओं और उम्मीदवारों से जुड़ी हर सूचना भोपाल पहुंच रही है इसे पार्टी नेता जासूसी नहीं बल्कि फीडबैक लेना मानते हैं. उनका मानना है कि चुनाव जीतना है तो फीडबैक और मॉनिटरिंग जरूरी है.
Byte - भूपेंद्र सिंह ,संयोजक, चुनाव प्रबंधन, बीजेपी
cm से लेकर हाईकमान तक होती है चर्चा
चुनाव प्रबंधन कमेटी के कार्यकर्ताओं से जो फीडबैक आता है उसकी चर्चा मुख्यमंत्री से लेकर हाईकमान तक होती है, उन्हीं के निर्देशों के आधार पर निर्णय लिया जाता है. बूथ, मंडल विधानसभा और जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं की ये टीमें चुनावी क्षेत्रों में कौन कमजोर कड़ी साबित हो रहा है या फिर कौन अंदरखाने बगावत कर रहा है और पार्टी का कौन सा नेता चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका नहीं निभा रहा है इसकी रिपोर्ट देती हैं. रिपोर्ट के मिलते ही संबंधित लोगों से बात कर जिला और प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों की ड्यूटी तय की जाती है.
भितरघात से बचाएगा माइक्रोमैनेजमेंट
पार्टी ने जो ये माइक्रो मैनेजमेंट का प्लान तैयार किया है वह उपचुनाव में भितरघात की संभावना को देखकर ही तय किया है. पार्टी पदाधिकारियों का मानना है कि माइक्रोमैनेजमेंट के जरिए भितरघात को रोकने के पुख्ता इंतजाम और मोर्चाबंदी की गई है. मंडल और जिलों से लेकर प्रदेश स्तर पर सूचनाओं की एक लेयर बनाई गई है. सारी सूचनाएं नीचे से ऊपर तक पिरामिड की तर्ज पर पहुंचा रही हैं. इन सूचनाओं के विश्लेषण के बाद हर दिन चुनाव प्रबंधन कमेटी अपने रिपोर्ट के हिसाब से रणनीति बनाती है. यह रिपोर्ट सीएम शिवराज सिंह, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा , चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक भूपेंद्र सिंह और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव तक जाती है. जिसपर ये लोग फैसला लेते हैं कि क्या करना है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि ये पार्टी की रणनीति का हिस्सा है और इससे चीजें पता चलती हैं, इस तरह से चुनाव जीतने में मदद मिलती है.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक खंडवा संसदीय क्षेत्र की सभी आठ विधानसभाओं और उपचुनाव वाले 3 विधानसभा क्षेत्रों में 50 बिंदुओं पर फीडबैक लेने के लिए प्रबंधन ने व्यवस्था की है. इनमें स्टार प्रचारकों से लेकर प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं की कब कहां चुनावी सभा होगी. किस क्षेत्र में कौन से मुद्दे होंगे और किन मुद्दों पर नेता क्या बोलेंगे यह सब चुनाव प्रबंधन कमेटी के कार्यालय से ही तय हो जाता है.