भोपाल। राजनीति में इत्तेफाकन कुछ भी नहीं होता. रंगमंच की तरह सियासत में भी कब, कौन सा संवाद बोला जाना है उसकी स्क्रिप्ट और टाइमिंग भी तय होती है. मध्य प्रदेश की सियासत में भी इन दिनों ऐसी ही एक स्क्रिप्ट और संवादों की चर्चा है. कुछ दिन पहले ही शिवराज सरकार में मंत्री, लेकिन सिंधिया समर्थक, महेन्द्र सिंह सिसौदिया ने भी अघोषित रुप से नौकरशाही और मुख्य सचिव पर टिप्पणी की. सिसोदिया की सीएस पर की गई इस टिप्पणी ने सनसनी फैला दी है. उन्होंने एसपी के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए चिट्ठी लिखी. अब सियासी हलकों में यह चर्चा जोर पकड़ चुकी है कि सिसोदिया का बयान एक तय स्क्रीप्ट का हिस्सा है. जिसके पीछे किसी और की लिखी स्क्रिप्ट है. वो कौन है इसे लेकर कयास भी जोरों पर हैं. (MP Bureaucracy Politics) (Attempt to weaken Shivraj)
बेलगाम नौकरशाही, कांग्रेस भी उछाल चुकी है यह नारा: 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले एमपी में कांग्रेस ने प्रदेश में बेलगाम हो चुकी नौकरशाही के नारे को पूरी ताकत से उछाला था. जिसका उसे फायदा भी मिला था. अब बीजेपी की सरकार के भीतर भी मंत्री, विधायक और अफसरों के बीच के खटास भरे रिश्तों को नया दम देने की कोशिश की जा रही है.
पार्टी के भीतर कौन मजबूत कर रहा है अपनी जमीन: एमपी में बहुत ज़ोरों से उबाल मार रही सत्ता संगठन में बदलाव की अटकलों के बीच खड़ा किया गया कोई सियासी स्टंट है. क्या वजह है कि महेन्द्र सिंह सिसौदिया के मामले के बाद सरकार के एक और मंत्री मैदान में उतार गए. अपनी ही सरकार में नौकरशाही से नाराज़ मंत्री ब्रजेन्द्र सिंह यादव की पीड़ा ये कि सहकारिता से जुड़े मामले में ना कलेक्टर ने उनकी चिट्ठी पर ध्यान दिया ना ही सहकारिता आयुक्त ने. दोनों ही मंत्रियो के बयान में काबिल ए गौर बात ये है कि किसी ने भी सीधे सीएम शिवराज पर कोई टिप्पणी नहीं की है. मंत्रियों की इस बयानबाजी के बीच सियासी जानकार मामते हैं कि लगता है जैसे चुनाव से पहले पिच तैयार की जा रही है. बीते दिनों बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की बीच हुईं आत्मीय मुलाकातों के बाद सिंधिया समर्थक मंत्रियों के इन बयानों का आना एक नया राजनीतिक संकेत दे रहा है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या कांग्रेस की तरह अब बीजेपी में भी एक धड़ा है जो पार्टी के भीतर ही अपना रकबा बढ़ाने में लगा हुआ है. (MP Bureaucracy Politics) (Attempt to weaken Shivraj)
बेलगाम नौकरशाही, हवा किसने बनाई: सवाल ये भी उठ रहे हैं कि चुनाव से ऐन पहले नौकरशाही पर यह सवाल क्यों उठाया गया. क्या जानबूझकर सरकार के ही भीतर से उस मुद्दे को हवा दी जा रही है. बेलगाम नौकरशाही के मुद्दे को 2018 के पहले भी सीएम शिवराज की कमजोर कड़ी बताया जाता रहा है. 15 महीने के कांग्रेस सरकार के बीच में ही गिरने के बाद जब सीएम शिवराज फिर से नई पारी खेलने उतरे तो उन्होंने जो पहला बड़ा बयान दिया था, वो ये था कि इस बार बदले हुए शिवराज दिखाई देंगे. अपने फैसलों में वे दिखाई भी दे रहे हैं, लेकिन सरकार में नौकरशाही सहित मुख्य सचिव पर हुए इन टारगेटेड हमले को क्या समझा जाए.
कैलाश विजयवर्गीय भी उठा चुके हैं मुद्दा: बात सिर्फ दो मंत्रियों के बयानों की नहीं है. इससे पहले बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इसे लेकर बयान दे चुके हैं. निकाय चुनाव के नतीजों में बीजेपी को लगे झटके के बाद विजयवर्गीय का यह बयान सुर्खियों में रहा था जिसमें उन्होने कहा था कि सीएम शिवराज अधिकारियों की ज्यादा सुनते हैं, अगर कार्यकर्ताओं की सुनते तो ये तस्वीर नहीं बनती. जिसके बाद अब मंत्रियों के बयानों से नौकरशाही पर बोले गए हमले को क्या इसी का एक्सटेंशन माना जाए. (MP Bureaucracy Politics) (Attempt to weaken Shivraj)