भोपाल। मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग ने पुलिस विभाग में रजिस्टर संधारित करने की प्रक्रिया मे बदलाव किया है. राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आवेदक के फैसले को सुनाते हुए पुलिस विभाग और थानों में रखे आवक जावक रजिस्टर की जानकारी RTI में देने की बात कही है. राहुल सिंह ने डिस्पैच रजिस्टर को लेकर एमपी पुलिस विभाग को महत्वपूर्ण व्यवस्था बनाने के लिए भी निर्देशित किया है. उन्होंने अपने फैसले में कहा कि, पुलिस विभाग थानों में सामान्य और गोपनीय मामलों के अलग-अलग आवक जावक रजिस्टर संधारित करे. सूचना आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि कार्यालय में आवक जावक रजिस्टर की प्रति (RTI) अधिनियम से कार्यालय में पारदर्शी और जनता के लिए उत्तरदाई व्यवस्था बनेगी. (Madhya Pradesh State Information Commission)(Information Commissioner Rahul Singh Decision)
विभाग की गोपनीयता: आरटीआई (RTI) आवेदक महेश कुमार पारदी ने राज्य सूचना आयोग के समक्ष अपील लगाई कि बालाघाट पुलिस द्वारा उन्हें जानबूझकर डिस्पैच रजिस्टर की जानकारी RTI में नहीं दी जा रही है. पारदी की शिकायत थी कि उन्होंने पहले आरटीआई आवेदन 7 अप्रैल 2022 को लगा कर 1 फरवरी 2022 से लेकर 28 फरवरी 2022 तक की जावक रजिस्टर की जानकारी बालाघाट के वारासिवनी पुलिस से मांगी थी. इस जानकारी को गोपनीय बताते हुए पुलिस अधिकारी एसडीओपी अरविंद श्रीवास्तव ने आवेदक को देने से मना कर दिया था. प्रदीप ने बालाघाट एसपी के पास प्रथम अपील दायर की लेकिन जिले के कप्तान ने भी जानकारी देने से मना कर दिया. बताया गया कि, बालाघाट जिला नक्सल प्रभावित होने से संवेदनशील है. डिस्पैच रजिस्टर की जानकारी बाहर आने से विभाग की गोपनीयता भंग हो जाएगी और सुरक्षा कारणों से नहीं दी जा सकती है. आदेश में राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने यह स्पष्ट किया कि आवक जावक की जानकारी आरटीआई एक्ट की धारा 2 (F) के तहत सूचना की श्रेणी में आती है. धारा 2 (I) के तहत रिकॉर्ड की श्रेणी में आती है. इसलिए नागरिक को आवक जावक रजिस्टर की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने का अधिकार है.
आयोग ने बैठाई जांच: पुलिस विभाग और आवेदक के आरोप-प्रत्यारोप के चलते राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह द्वारा प्रकरण में सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत डिस्पैच रजिस्टर की जांच शुरू की गई. अरविंद श्रीवास्तव को 25 हजार के जुर्माने का नोटिस भी जारी किया गया था. बालाघाट पुलिस द्वारा आयुक्त के सामने मूल डिस्पैच रजिस्टर प्रस्तुत किया गया. डिस्पैच रजिस्टर को देखने के बाद आयुक्त सिंह ने पाया की डिस्पैच रजिस्टर में एक जगह वीआईपी मूवमेंट के लिए गुप्त संदेश के पत्र की जानकारी भी थी. आयुक्त राहुल सिंह अपने आदेश में कहा कि बाकी अन्य जानकारी सामान्य किस्म की थी. डिस्पैच रजिस्टर में इसीलिए उनको रोका नहीं जा सकता है और जो जानकारी गोपनीय है उसे सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 10 के तहत छुपा करके बाकी जानकारी दी जा सकती थी. इसलिए बालाघाट एसडीओपी अरविंद श्रीवास्तव पर 25 हजार के जुर्माने का नोटिस रद्द करने के बाद फैसला दिया कि श्रीवास्तव द्वारा जानबूझकर के जानकारी नहीं छुपाई गई है. उनके द्वारा 30 दिन की समय सीमा में जवाब दिया था.
व्यवस्था बनाने के निर्देश: पुलिस ने राज्य सूचना आयुक्त को बताया कि, विभाग में सामान्य और गोपनीय जानकारी एक ही डिस्पैच रजिस्टर में रखी जाती है. राहुल सिंह ने कहा कि, सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 19 (8) (4) के तहत शासकीय विभागों में रिकॉर्ड मेंटेनेंस को रेगुलेट करने की अधिकारिता राज्य सूचना आयोग के पास है. बालाघाट पुलिस के डिस्पैच रजिस्टर के अवलोकन के बाद आयोग ने कहा कि, डिस्पैच रजिस्टर में गोपनीय जानकारी और सामान्य जानकारी को एक साथ दर्ज करने से कभी भी गोपनीय जानकारी की सुरक्षा दांव पर लग सकती है. दोनों जानकारी एक ही डिस्पैच रजिस्टर में रखना गलत है. राहुल सिंह ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रशासन को आदेशित किया कि पुलिस विभाग एवं थानों में गोपनीय जानकारी एवं सामान्य जानकारी के लिए अलग अलग रजिस्टर संधारित करें.(Police station under purview of RTI Act) (police station inward outward register) (Information Commissioner Rahul Singh Decision) (Madhya Pradesh State Information Commission)