ETV Bharat / city

Mp High Court dismiss petition: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को राहत, अब नहीं दर्ज होगी FIR, HC ने खारिज की क्रिमिनल रिविजन याचिका

याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि राज्यसभा सांसद के प्रत्याशी के रूप में भरे फार्म में उन्होंने लंबित आपराधिक प्रकरणों की जानकारी छुपाई थी.

petition against jyotiraditya scindi
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को हाईकोर्ट से राह
author img

By

Published : Jul 29, 2022, 7:40 PM IST

जबलपुर। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस प्रकाश चंद्र गुप्ता की डबल बेंच ने सुनवाई के बाद उनके खिलाफ दायर क्रिमनल रिविजन याचिका खारिज कर दी.याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि राज्यसभा सांसद के प्रत्याशी के रूप में भरे फार्म में उन्होंने लंबित आपराधिक प्रकरणों की जानकारी छुपाई थी. केंद्रीय मंत्री के खिलाफ यह पिटीशन ग्वालियर निवासी गोपी लाल भारती ने दाखिल की थी.


खारिज की क्रिमनल रिविजन याचिका: केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ दायर क्रिमनल रिविजन याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि राज्यसभा सांसद के प्रत्याशी के रूप में भरे गए फार्म में उन्होंने लंबित प्रकरणों की जानकारी छुपाई है. ग्वालियर निवासी गोपी लाल भारती की तरफ से दायर क्रिमिनल रिविजन याचिका में कहा गया कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा सांसद प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया था. नामांकन पत्र में उन्होने लंबित प्रकरणों की जानकारी नहीं दी है. इस संबंध में उन्होने ग्वालियर के इंगरगंज पुलिस थाने में शिकायत भी की थी. पुलिस द्वारा शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं किये जाने पर जेएमएफसी ग्वालियर के समक्ष धारा 156 (3)का आवेदन प्रस्तुत किया गया था. न्यायालय द्वारा उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया. जिसके बाद उन्होंने जिला एवं सत्र न्यायालय भोपाल के समक्ष 156 (3) के तहत आवेदन प्रस्तुत किया. इसे भी न्यायालय ने खारिज कर दिया था. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. याचिका में मांग की गयी थी कि नामांकन पत्र में जानकारी एवं तथ्य छुपाने के संदर्भ में सिंधिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी किये जाएं.

राजनीतिक विरोध के चलते दाखिल की याचिका: इस मामले में शासन की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि राजनीतिक द्वेष के कारण उक्त याचिका दायर की गयी है. इसके अलावा याचिकाकर्ता द्वारा सीआरपीसी धारा 154 (3) में दिये गये प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है. नियम अनुसार याचिकाकर्ता को माननीय सांसद से जुड़े मामले में पुलिस अधीक्षक को आवेदन देना अनिवार्य है. इसके पश्चात ही धारा 156 (3)सीआरपीसी के अंतर्गत न्यायालय के समक्ष कार्रवाई की जा सकती है. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को विधिपूर्वक विभाग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

जबलपुर। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस प्रकाश चंद्र गुप्ता की डबल बेंच ने सुनवाई के बाद उनके खिलाफ दायर क्रिमनल रिविजन याचिका खारिज कर दी.याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि राज्यसभा सांसद के प्रत्याशी के रूप में भरे फार्म में उन्होंने लंबित आपराधिक प्रकरणों की जानकारी छुपाई थी. केंद्रीय मंत्री के खिलाफ यह पिटीशन ग्वालियर निवासी गोपी लाल भारती ने दाखिल की थी.


खारिज की क्रिमनल रिविजन याचिका: केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ दायर क्रिमनल रिविजन याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि राज्यसभा सांसद के प्रत्याशी के रूप में भरे गए फार्म में उन्होंने लंबित प्रकरणों की जानकारी छुपाई है. ग्वालियर निवासी गोपी लाल भारती की तरफ से दायर क्रिमिनल रिविजन याचिका में कहा गया कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा सांसद प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया था. नामांकन पत्र में उन्होने लंबित प्रकरणों की जानकारी नहीं दी है. इस संबंध में उन्होने ग्वालियर के इंगरगंज पुलिस थाने में शिकायत भी की थी. पुलिस द्वारा शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं किये जाने पर जेएमएफसी ग्वालियर के समक्ष धारा 156 (3)का आवेदन प्रस्तुत किया गया था. न्यायालय द्वारा उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया. जिसके बाद उन्होंने जिला एवं सत्र न्यायालय भोपाल के समक्ष 156 (3) के तहत आवेदन प्रस्तुत किया. इसे भी न्यायालय ने खारिज कर दिया था. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. याचिका में मांग की गयी थी कि नामांकन पत्र में जानकारी एवं तथ्य छुपाने के संदर्भ में सिंधिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी किये जाएं.

राजनीतिक विरोध के चलते दाखिल की याचिका: इस मामले में शासन की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि राजनीतिक द्वेष के कारण उक्त याचिका दायर की गयी है. इसके अलावा याचिकाकर्ता द्वारा सीआरपीसी धारा 154 (3) में दिये गये प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है. नियम अनुसार याचिकाकर्ता को माननीय सांसद से जुड़े मामले में पुलिस अधीक्षक को आवेदन देना अनिवार्य है. इसके पश्चात ही धारा 156 (3)सीआरपीसी के अंतर्गत न्यायालय के समक्ष कार्रवाई की जा सकती है. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को विधिपूर्वक विभाग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.