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31 मार्च के बाद 12 हजार अधिकारी-कर्मचारी होंगे रिटायर, 62 साल की उम्र कर चुके हैं पूरी - कर्मचारी होंगे रिटायर

मध्यप्रदेश सरकार 62 साल की उम्र पूरी कर चुके शासकीय अधिकारियों को और कर्मचारियों को रिटायरमेंट देने वाली है. 31 मार्च के बाद प्रदेश से करीब 12 हजार अधिकारी और कर्मचारी रिटायर होंगे.

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शासकीय कर्मचारी
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Published : Apr 1, 2020, 11:09 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के शासकीय कार्यालयों में पदस्थ करीब 12 हजार कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति शुरु हो गई है. 31 मार्च को प्रदेश से करीब डेढ़ हजार अधिकारी और कर्मचारी रिटायर्ड हो जायेंगे. 31 मार्च को रिटायर होने वाले अधिकांश अधिकारियों और कर्मचारियों की उम्र 62 साल हो चुकी है. राज्य सरकार अब सेवानिवृत्ति आयु और नहीं बढ़ाना चाहती है.

एमपी के शासकीय कर्मचारी होंगे रिटायर

2018 में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 62 साल कर दी थी. पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण इन कर्मचारियों का प्रमोशन ना होना इसकी एक वजह थी. पिछले कमलनाथ सरकार ने वित्तीय संकट के कारण कई बार आयु सीमा बढ़ाने व संविदा नियुक्ति देने पर विचार किया, लेकिन इस पर निर्णय नहीं हो पाया. इसकी वजह से इस साल करीब 12000 कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने का अनुमान है.

यह सभी कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो जाएंगे. कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी कामकाज पर पड़ने वाले असर को देखते हुए पूर्व की कमलनाथ सरकार ने सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को संविदा नियुक्ति देने पर विचार किया था, लेकिन उस पर भी निर्णय नहीं हो पाया, जिसका असर कामकाज पर दिखाई देगा. कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति से सरकार पर 400 करोड़ का आर्थिक बोझ आएगा. एक अनुमान के अनुसार प्रदेश सरकार को एक कर्मचारी को औसतन 22 लाख रुपए का भुगतान करना होगा, जिसमें जीपीएफ, 300 दिन की छुट्टी सहित अन्य सुविधाएं शामिल हैं.

भोपाल। मध्य प्रदेश के शासकीय कार्यालयों में पदस्थ करीब 12 हजार कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति शुरु हो गई है. 31 मार्च को प्रदेश से करीब डेढ़ हजार अधिकारी और कर्मचारी रिटायर्ड हो जायेंगे. 31 मार्च को रिटायर होने वाले अधिकांश अधिकारियों और कर्मचारियों की उम्र 62 साल हो चुकी है. राज्य सरकार अब सेवानिवृत्ति आयु और नहीं बढ़ाना चाहती है.

एमपी के शासकीय कर्मचारी होंगे रिटायर

2018 में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 62 साल कर दी थी. पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण इन कर्मचारियों का प्रमोशन ना होना इसकी एक वजह थी. पिछले कमलनाथ सरकार ने वित्तीय संकट के कारण कई बार आयु सीमा बढ़ाने व संविदा नियुक्ति देने पर विचार किया, लेकिन इस पर निर्णय नहीं हो पाया. इसकी वजह से इस साल करीब 12000 कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने का अनुमान है.

यह सभी कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो जाएंगे. कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी कामकाज पर पड़ने वाले असर को देखते हुए पूर्व की कमलनाथ सरकार ने सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को संविदा नियुक्ति देने पर विचार किया था, लेकिन उस पर भी निर्णय नहीं हो पाया, जिसका असर कामकाज पर दिखाई देगा. कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति से सरकार पर 400 करोड़ का आर्थिक बोझ आएगा. एक अनुमान के अनुसार प्रदेश सरकार को एक कर्मचारी को औसतन 22 लाख रुपए का भुगतान करना होगा, जिसमें जीपीएफ, 300 दिन की छुट्टी सहित अन्य सुविधाएं शामिल हैं.

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