ETV Bharat / city

एमपी के नेताओं के सहारे यूपी की चुनावी जीत, कांग्रेस-बीजेपी ने मैदान में उतारे अपने-अपने दिग्गज

author img

By

Published : Jan 17, 2022, 10:09 PM IST

उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है. इसके साथ ही कांग्रेस ने अपनी खोई हुई साख हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी अपना आधार मजबूत करना चाहती है. पार्टी 300 प्लस के टारगेट पर काम कर रही है. इसे देखते हुए दोनों ही पार्टियां (leaders of mp will campaign in up elections) एमपी और यूपी के बॉर्डर से लगती विधानसभा सीटों पर एमपी के नेताओं को चुनाव प्रचार में उतार रही हैं.

leaders of mp campaign in up elections
एमपी के नेता यूपी में करेंगे चुनाव प्रचार

भोपाल। उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है. इसके साथ ही कांग्रेस ने अपनी खोई हुई साख हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी अपना आधार मजबूत करना चाहती है. पार्टी 300 प्लस के टारगेट पर काम कर रही है. इसे देखते हुए दोनों ही पार्टियां (leaders of mp will campaign in up elections) एमपी और यूपी के बॉर्डर से लगती विधानसभा सीटों पर एमपी के नेताओं को चुनाव प्रचार में उतार रही हैं. कांग्रेस ने जहां कमलनाथ, दिग्विजय सिंह सहित जाती के आधार पर नेताओं को चुनाव प्रचार में उतारा है वहीं 2017 में प्रियंका गांधी और कांग्रेस के लिए वोट मांगते नजर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार योगी आदित्यनाथ के लिए चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे.लेकिन सवाल यह है कि दोनों ही पार्टियों के नेता क्या यूपी में कोई कमाल दिखा पाएंगे.

कांग्रेस ने इन नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी

कहते हैं यूपी चुनाव में मुद्दा भले ही कोई भी हो लेकिन मतदान जाती के आधार पर ही होता है. यही देखते हुए कांग्रेस ने मध्यप्रदेश कांग्रेस ने नेताओं को भी यूपी चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी है. एमपी के कांग्रेस नेताओं को संगठन ने अलग-अलग क्षेत्रों और विधानसभाओं में पर्यवेक्षक के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है.

- प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र में पकड़ बनाने वाले जयस के संरक्षक डाॅ. हीरालाल अलावा को उत्तर प्रदेश बुलाया गया है.

- जल्द ही दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सहित एमपी के दूसरे बड़े कांग्रेस नेता प्रचार के लिए यूपी जाएंगे.

- इसके अलावा आदिवासी नेता ओमकार सिंह मरकाम, बाला बच्चन, हनी सिंह बघेल को भी यूपी भेजा गया है.

- एमपी में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के इन नेताओं ने पार्टी को आदिवासी क्षेत्रों में बढत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

- आदिवासी इलाकों में 2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति की 31 सीटें बीजेपी से हथियाने में भी कामयाबी पाई थी.

-एमपी कांग्रेस के करीब 50 नेताओं को विधानसभा क्षेत्रों में पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा गया है.

- राज्य सभा सांसद राजमणि पटेल को इलाहाबाद सेक्टर की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

- उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों और विधानसभा से कांग्रेस विधायकों को भी उत्तर प्रदेश भेजा जा रहा है.

जो अपना गढ़ न बचा सके वो कांग्रेस को उबारेंगे?
पूर्व मंत्री और सिंहावल से कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल, सतना से विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा, इंदौर की देवालपुरा से विधायक सत्यनारायण पटेल को भी उत्तर प्रदेश भेजा गया है. माना जाता है कि इन नेताओं की अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ है. इसके अलावा पूर्व विधायक अजय सिंह और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण यादव को भी यूपी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि वे नेता जो अपना गढ़ नहीं बचा सके वे भला कैसे यूपी में कांग्रेस को मजबूत करेंगे.

-हाल ही में हुए उपचुनाव में खंडवा लोक सभा सीट से दावेदारी कर रहे अरूण यादव पार्टी की सीच बचाने में कामयाब नहीं रहे थे, हालांकि वे चुनाव मैदान में नहीं उतरे थे, लेकिन इस सीट को जीतने की जिम्मेदारी पार्टी उन्हें ही थी.

- इसी तरह अजय सिंह 2018 के विधानसभा चुनाव में अपने गृह जिले के विधानसभा क्षेत्र चुरहट से ही चुनाव हार चुके हैं.

- अजय सिंह ने साल 2019 में लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा था.

क्या सफल हो पाएगा दिग्विजय का मैनेजमेंट
दिग्विजय सिंह ने एमपी में हुए विधानसभा चुनाव के पहले नर्मदा यात्रा के जरिए कांग्रेस के लिए जीत की जमीन तैयार की थी. इसी तरह कमलनाथ ने कमाल का मैनेजमेंट दिखाते हुए एमपी मे कांग्रेस की वापसी कराने में सफलता हासिल की थी. दिग्विजय सिंह को उत्तर प्रदेश में काम का पुराना अनुभव रहा है, वे लंबे समय तक यूपी में पार्टी प्रभारी रहे हैं. कमलनाथ गांधी परिवार के विश्वास पात्रों में से एक हैं उनका उत्तर प्रदेश से उनका पुराना नाता रहा है. कमलनाथ का जन्म कानपुर में हुआ था और उनके दादा बरेली के रहने वाले थे. हाल ही में कमलनाथ ने कहा कि हमारा फोकस उत्तर प्रदेश चुनाव पर ज्यादा रहेगा. इस सब के बीच एक बात खास होगी कि इन नेताओं के साथ नहीं होगी ज्योतिरादित्य सिंधिया. एमपी में कांग्रेस की वापसी और फिर विदाई दोनों में ही सिंधिया की बड़ी भूमिका रही है. सिंधिया इस बार भगवा खेमे के लिए वोट मांगते नजर आएंगे.

एमपी की सीमा से लगते हैं यूपी के 11 जिले 49 विधानसभा सीटें
उत्तर प्रदेश की सीमा से मध्यप्रदेश के 11 जिले लगते हैं. इन जिलों के नेताओं की उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रियता रहती है. यही वजह है कि इन्हें उत्तर प्रदेश चुनाव में लगाया गया है. मध्यप्रदेश की सीमा से उत्तर प्रदेश की 40 विधानसभाएं सीट लगती हैं, इन सीटों पर मध्यप्रदेश के मुद्दे भी चुनाव को प्रभावित करते हैं. बड़ी संख्या में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने इन विधानसभा सीटों पर अपने नेताओं को सक्रिय किया है. जल्द ही महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के नेताओं को भी उत्तर प्रदेश भेजा जाएगा.

2017 में कांग्रेस अब... योगी के लिए प्रचार करेंगे सिंधिया
2017 के यूपी चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी के लिए प्रियंका गांधी के साथ मिलकर प्रचार किया था. उन्हें यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस ने प्रभारी भी बनाया था. अब बीजेपी सिंधिया के इसी अनुभव का लाभ लेना चाहती है. ग्वालियर, चंबल और बुंदेलखंड के नजदीकी बेल्ट में सिंधिया का खासा प्रभाव है. पार्टी उनके समर्थक नेताओं को भी यूपी भेजेगी. सिंधिया के अलावा यूपी के जातिगत समीकरणों को साधने के लिए नरोत्तम मिश्रा, उमा भारती, केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार को चुनाव प्रचार में उतारा जाएगा. सवाल यहां भी वही कि सिंधिया खुद अपना गढ़ बचाने में कामयाब नहीं रहे ऐसे में यूपी में बीजेपी के काम आएंगे यह बड़ा सवाल है.

शिवराज कर चुके हैं जन विश्वास यात्रा

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यूपी में 6 अलग-अलग जगहों से निकाली जाने वाली जन विश्वास यात्रा कर चुके हैं. 19 दिसंबर को बलिया से शुरू हुई यह यात्रा झांसी, आंबेडकर नगर,बिजनौर, मथुरा और गाजीपुर में भी निकाली गई. यूपी के 11 जिलों की 49 विधानसभा सीटें ललितपुर, चित्रकूट, प्रयागराज, मिर्जापुर, आगरा, इटावा, जालौन, झांसी, महोबा, बांदा, और सोनभद्र जिलों की सीमा मध्यप्रदेश से लगती है. कई सीटों की सीमा बुंदेलखंड, चंबल और विध्य से लगी हुई है. इसलिए यहां एमपी BJP के नेताओं और कार्यकर्ताओं को UP विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी जा चुकी है.

MP बीजेपी के बड़े चेहरे भी उतरेंगे मैदान में
2017 के यूपी चुनाव में बीजेपी मध्य प्रदेश के नेताओं का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल कर चुकी है. प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा पिछले चुनाव में बुंदेलखंड की कई सीटों पर प्रचार कर चुके हैं. 2012 के चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर यूपी के चुनाव प्रभारी रह चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती 2014 में झांसी से सांसद रह चुकी हैं. ऐसे में बीजेपी 2022 के चुनाव में भी मध्य प्रदेश के इन बड़े चेहरों को प्रचार मैदान में उतार कर यूपी का सियासी मैदान मार लेने की तैयारी में है.

भोपाल। उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है. इसके साथ ही कांग्रेस ने अपनी खोई हुई साख हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी अपना आधार मजबूत करना चाहती है. पार्टी 300 प्लस के टारगेट पर काम कर रही है. इसे देखते हुए दोनों ही पार्टियां (leaders of mp will campaign in up elections) एमपी और यूपी के बॉर्डर से लगती विधानसभा सीटों पर एमपी के नेताओं को चुनाव प्रचार में उतार रही हैं. कांग्रेस ने जहां कमलनाथ, दिग्विजय सिंह सहित जाती के आधार पर नेताओं को चुनाव प्रचार में उतारा है वहीं 2017 में प्रियंका गांधी और कांग्रेस के लिए वोट मांगते नजर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार योगी आदित्यनाथ के लिए चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे.लेकिन सवाल यह है कि दोनों ही पार्टियों के नेता क्या यूपी में कोई कमाल दिखा पाएंगे.

कांग्रेस ने इन नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी

कहते हैं यूपी चुनाव में मुद्दा भले ही कोई भी हो लेकिन मतदान जाती के आधार पर ही होता है. यही देखते हुए कांग्रेस ने मध्यप्रदेश कांग्रेस ने नेताओं को भी यूपी चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी है. एमपी के कांग्रेस नेताओं को संगठन ने अलग-अलग क्षेत्रों और विधानसभाओं में पर्यवेक्षक के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है.

- प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र में पकड़ बनाने वाले जयस के संरक्षक डाॅ. हीरालाल अलावा को उत्तर प्रदेश बुलाया गया है.

- जल्द ही दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सहित एमपी के दूसरे बड़े कांग्रेस नेता प्रचार के लिए यूपी जाएंगे.

- इसके अलावा आदिवासी नेता ओमकार सिंह मरकाम, बाला बच्चन, हनी सिंह बघेल को भी यूपी भेजा गया है.

- एमपी में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के इन नेताओं ने पार्टी को आदिवासी क्षेत्रों में बढत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

- आदिवासी इलाकों में 2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति की 31 सीटें बीजेपी से हथियाने में भी कामयाबी पाई थी.

-एमपी कांग्रेस के करीब 50 नेताओं को विधानसभा क्षेत्रों में पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा गया है.

- राज्य सभा सांसद राजमणि पटेल को इलाहाबाद सेक्टर की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

- उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों और विधानसभा से कांग्रेस विधायकों को भी उत्तर प्रदेश भेजा जा रहा है.

जो अपना गढ़ न बचा सके वो कांग्रेस को उबारेंगे?
पूर्व मंत्री और सिंहावल से कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल, सतना से विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा, इंदौर की देवालपुरा से विधायक सत्यनारायण पटेल को भी उत्तर प्रदेश भेजा गया है. माना जाता है कि इन नेताओं की अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ है. इसके अलावा पूर्व विधायक अजय सिंह और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण यादव को भी यूपी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि वे नेता जो अपना गढ़ नहीं बचा सके वे भला कैसे यूपी में कांग्रेस को मजबूत करेंगे.

-हाल ही में हुए उपचुनाव में खंडवा लोक सभा सीट से दावेदारी कर रहे अरूण यादव पार्टी की सीच बचाने में कामयाब नहीं रहे थे, हालांकि वे चुनाव मैदान में नहीं उतरे थे, लेकिन इस सीट को जीतने की जिम्मेदारी पार्टी उन्हें ही थी.

- इसी तरह अजय सिंह 2018 के विधानसभा चुनाव में अपने गृह जिले के विधानसभा क्षेत्र चुरहट से ही चुनाव हार चुके हैं.

- अजय सिंह ने साल 2019 में लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा था.

क्या सफल हो पाएगा दिग्विजय का मैनेजमेंट
दिग्विजय सिंह ने एमपी में हुए विधानसभा चुनाव के पहले नर्मदा यात्रा के जरिए कांग्रेस के लिए जीत की जमीन तैयार की थी. इसी तरह कमलनाथ ने कमाल का मैनेजमेंट दिखाते हुए एमपी मे कांग्रेस की वापसी कराने में सफलता हासिल की थी. दिग्विजय सिंह को उत्तर प्रदेश में काम का पुराना अनुभव रहा है, वे लंबे समय तक यूपी में पार्टी प्रभारी रहे हैं. कमलनाथ गांधी परिवार के विश्वास पात्रों में से एक हैं उनका उत्तर प्रदेश से उनका पुराना नाता रहा है. कमलनाथ का जन्म कानपुर में हुआ था और उनके दादा बरेली के रहने वाले थे. हाल ही में कमलनाथ ने कहा कि हमारा फोकस उत्तर प्रदेश चुनाव पर ज्यादा रहेगा. इस सब के बीच एक बात खास होगी कि इन नेताओं के साथ नहीं होगी ज्योतिरादित्य सिंधिया. एमपी में कांग्रेस की वापसी और फिर विदाई दोनों में ही सिंधिया की बड़ी भूमिका रही है. सिंधिया इस बार भगवा खेमे के लिए वोट मांगते नजर आएंगे.

एमपी की सीमा से लगते हैं यूपी के 11 जिले 49 विधानसभा सीटें
उत्तर प्रदेश की सीमा से मध्यप्रदेश के 11 जिले लगते हैं. इन जिलों के नेताओं की उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रियता रहती है. यही वजह है कि इन्हें उत्तर प्रदेश चुनाव में लगाया गया है. मध्यप्रदेश की सीमा से उत्तर प्रदेश की 40 विधानसभाएं सीट लगती हैं, इन सीटों पर मध्यप्रदेश के मुद्दे भी चुनाव को प्रभावित करते हैं. बड़ी संख्या में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने इन विधानसभा सीटों पर अपने नेताओं को सक्रिय किया है. जल्द ही महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के नेताओं को भी उत्तर प्रदेश भेजा जाएगा.

2017 में कांग्रेस अब... योगी के लिए प्रचार करेंगे सिंधिया
2017 के यूपी चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी के लिए प्रियंका गांधी के साथ मिलकर प्रचार किया था. उन्हें यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस ने प्रभारी भी बनाया था. अब बीजेपी सिंधिया के इसी अनुभव का लाभ लेना चाहती है. ग्वालियर, चंबल और बुंदेलखंड के नजदीकी बेल्ट में सिंधिया का खासा प्रभाव है. पार्टी उनके समर्थक नेताओं को भी यूपी भेजेगी. सिंधिया के अलावा यूपी के जातिगत समीकरणों को साधने के लिए नरोत्तम मिश्रा, उमा भारती, केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार को चुनाव प्रचार में उतारा जाएगा. सवाल यहां भी वही कि सिंधिया खुद अपना गढ़ बचाने में कामयाब नहीं रहे ऐसे में यूपी में बीजेपी के काम आएंगे यह बड़ा सवाल है.

शिवराज कर चुके हैं जन विश्वास यात्रा

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यूपी में 6 अलग-अलग जगहों से निकाली जाने वाली जन विश्वास यात्रा कर चुके हैं. 19 दिसंबर को बलिया से शुरू हुई यह यात्रा झांसी, आंबेडकर नगर,बिजनौर, मथुरा और गाजीपुर में भी निकाली गई. यूपी के 11 जिलों की 49 विधानसभा सीटें ललितपुर, चित्रकूट, प्रयागराज, मिर्जापुर, आगरा, इटावा, जालौन, झांसी, महोबा, बांदा, और सोनभद्र जिलों की सीमा मध्यप्रदेश से लगती है. कई सीटों की सीमा बुंदेलखंड, चंबल और विध्य से लगी हुई है. इसलिए यहां एमपी BJP के नेताओं और कार्यकर्ताओं को UP विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी जा चुकी है.

MP बीजेपी के बड़े चेहरे भी उतरेंगे मैदान में
2017 के यूपी चुनाव में बीजेपी मध्य प्रदेश के नेताओं का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल कर चुकी है. प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा पिछले चुनाव में बुंदेलखंड की कई सीटों पर प्रचार कर चुके हैं. 2012 के चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर यूपी के चुनाव प्रभारी रह चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती 2014 में झांसी से सांसद रह चुकी हैं. ऐसे में बीजेपी 2022 के चुनाव में भी मध्य प्रदेश के इन बड़े चेहरों को प्रचार मैदान में उतार कर यूपी का सियासी मैदान मार लेने की तैयारी में है.

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.