भोपाल। एमपी की अनाथ बालिकाओं के लिए खुशखबरी है. मध्य प्रदेश की सरकार अनाथ बालिकाओं के जीवन को सुखद बनाने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा रही है, इसके मुताबिक अनाथ बालिकाओं को भी लाडली लक्ष्मी योजना से जोड़कर लाभ दिया जाएगा.
अनाथ बालिकाओं को लाडली लक्ष्मी योजना में जोड़ा जायेगा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिला एवं बाल विकास विभाग की लाडली लक्ष्मी योजना 2.0 की समीक्षा बैठक में कहा कि अनाथ बालिकाओं को लाडली लक्ष्मी योजना में जोड़ा जाए, ताकि इन बालिकाओं को भी सरकार की इस योजना का लाभ मिल सके. इसके साथ ही राज्य, जिला, ब्लॉक, ग्राम पंचायत स्तर पर लाडली लक्ष्मी दिवस का आयोजन किया जाये.
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18 वर्ष के ऊपर की लाडली लक्ष्मी को ड्राइविंग लाइसेंस
राज्य में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्राम पंचायतों एवं ग्रामों को लाडली लक्ष्मी फ्रेंडली घोषित करने के मापदंड तय कर लिये जायें. उन्होंने कहा कि 18 वर्ष के ऊपर की लाडली लक्ष्मी को ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाने के भी निर्देश दिए.
कॉलेज में प्रवेश लेने पर 25 हजार रुपए दिये जायेंगे
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बालिकाओं के शासकीय-अशासकीय मेडिकल, इंजीनियरिंग, आईआईटी, आईआईएम में प्रवेश पर पढ़ाई का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी. उन्होंने कहा कि लाडली बालिका कॉलेज में प्रवेश लेगी तो उसे 25 हजार रुपए दिये जायेंगे. इस समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. (Ladli Laxmi Yojana benefit to Orphan girls in MP) (Good news for Orphen girls in MP)
लाडली लक्ष्मी योजना का इतिहास
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश सरकार बालिकाओं के उज्जवल भविष्य, स्वस्थ जीवन के प्रति लगातार प्रयासरत है. बालिका जन्म के प्रति जनता में सकारात्मक सोच, लिंगानुपात में सुधार, बालिकाओं की शैक्षणिक स्थिति और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाने तथा उनके अच्छे भविष्य की आधारशिला रखने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश में 1 अप्रैल 2007 को लाडली लक्ष्मी योजना (Ladli Laxmi Yojana) लागू की गई. योजना के प्रारंभ से अब तक प्रदेश भर की 39.81 लाख बालिकाएं लाडली लक्ष्मी योजना में पंजीकृत हो होकर लाभान्वित हो रही हैं.
मध्यप्रदेश सरकार बेटियों को आत्म-निर्भर बनाने की दिशा में भी अग्रसर है. लाडली लक्ष्मी योजना 2.0 आत्म-निर्भर लाडली से अब प्रदेश की हर बेटी सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त हो सकेगी. स्नातक और व्यवसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने वाली छात्राओं को 2 साल की शिक्षा पूरी करने के बाद 20 हजार की राशि राज्य सरकार प्रदान करेगी. लाडली लक्ष्मी योजना 2.0 आत्मनिर्भर लाडली के बेहतर बदलाव करने के लिए आमजन से सुझाव लेकर योजना में बदलाव भी किए जाएंगे. प्रदेश के हर जिले में साल में एक दिन लाडली लक्ष्मी उत्सव का आयोजन भी किया जाएगा.
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मध्य प्रदेश में बेटियों के लिए हैं ये योजनाएं
वैसे तो केंद्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से कई योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन साथ ही एमपी में महिला एवं बाल विकास की भी अपनी कई योजनाएं संचालित कर रहा है. प्रदेश में लगभग 7 योजनाएं खासतौर पर बच्चियों- किशोरियों के लिए चलाई जा रही हैं.
1. लाडली लक्ष्मी योजना
लोगों में लड़कियों के जन्म को लेकर सकारात्मक सोच, लिंगानुपात में सुधार, बच्चियों के शैक्षणिक स्तर और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाने के लिए यह योजना एक जनवरी 2007 से प्रदेश में शुरू की गई है. इसके तहत साल 2006 के बाद जन्मी बच्ची को एक लाख 18 हज़ार रुपये देने का प्रावधान है, जो समय समय पर दिए जाते हैं. विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक करीब 31 लाख बच्चियों को इसका लाभ मिला है.
2. लाडो अभियान
मध्य प्रदेश में बाल विवाह को रोकने के लिए इस अभियान को साल 2013 में शुरू किया गया था. इसके तहत जागरूकता कार्यक्रम के जरिए लोगों को बाल विवाह के बारे में जागरूक किया जाता है. विभाग के आंकड़ों के मुताबिक साल 2018- 19 में 5252 कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, जिसके जरिए 5.59 लाख लोगों को जोड़ा गया. 1882 बच्चों को इस अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया और 196 बाल विवाह स्थल पर आयोजन रोके गए हैं.
3. शौर्या दल
महिलाओं के उत्पीड़न को रोकने, उनका हक दिलाने के लिए ग्राम स्तर पर शौर्या दल का गठन किया गया है. जिनका काम महिलाओं के हक के लिए समाज में जागरूकता लाना है. विभाग के मुताबिक ग्रामीण स्तर पर अब तक इस दल ने 369 बाल विवाह रोके हैं. इसके साथ ही छेड़खानी के मामले भी रोके गए हैं.
4. बेटी बचाओ अभियान
इस अभियान की शुरुआत 6 अक्टूबर 2011 से की गई थी, इसका मुख्य उद्देश्य बच्चियों के जन्म को बढ़ावा देना, बालिका भ्रूण हत्या के मामलों को रोकना, बालिकाओं से जुड़े मुद्दों पर संवेदनशीलता के साथ उनको प्रगति के अवसर देना है.
5. स्वागतम लक्ष्मी योजना
इस योजना की शुरुआत 24 जनवरी 2014 से की गई थी. इसके जरिए नवजात बच्चियों को स्वागतम लक्ष्मी किट दी जाती है और आंगनबाड़ी में महीने के तीसरे मंगलवार को बालिका जन्म उत्सव मनाया जाता है. विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक साल 2018-19 में योजना के तहत 43626 नवजात बालिकाओं को किट दी गई है.
6. उदिता योजना
किशोरियों को माहवारी के बारे में जानकारी देने, इस दौरान स्वास्थ्य का ख्याल रखने और स्वच्छता संबंधी जागरूकता लाने के लिए इस योजना को शुरू किया गया. इसके तहत आंगनबाड़ी में जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं, साथ ही सेनेटरी नेपकिन भी उपलब्ध कराई जाती है. विभाग के मुताबिक साल 2018-19 तक पूरे प्रदेश में 92123 उदिता कॉर्नर बनाए गए, जिसके जरिए करीब 35 लाख सेनेटरी नेपकिन उपलब्ध कराई गई.
7. लालिमा योजना
प्रदेश की बच्चियों, किशोरियों और महिलाओं को एनीमिया मुक्त करने के लिए इस योजना की शुरूआत की गई. इसके तहत आईएफए टेबलेट आंगनबाड़ी के जरिए उपलब्ध कराई जाती है.