भोपाल। मध्य प्रदेश के वन अधिकारी कूनों नेशनल पार्क में चीतों के आगमन की योजना से 'अनजान' हैं. खास बात यह है कि भारत में चीतों के पुन: आगमन की योजना से मध्य प्रदेश वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों इस बात से अनजान हैं. उन्होंने शुक्रवार को खुद यह माना कि कि वे एमपी में चीतों के आगमन की सटीक जानकारी और योजना से अनजान हैं. राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान ने कहा कि, हमें अब तक उनके आने की जानकारी नहीं है, क्योंकि यह केंद्र सरकार और परियोजना में शामिल दो देशों के बीच का मामला है. नामीबिया सरकार के साथ साझा की जारी महत्वाकांक्षी चीता पुनरुत्पादन परियोजना के तहत चीतों की खरीद होने की जानकारी पर भी अधिकारी ने टिप्पणी करने से भी इनकार कर दिया. उन्हें यह भी नहीं पता कि नामीबिया से खरीदे जा रहे चीते एक साथ आएंगे या अलग अलग. Kuno Palpur National Park
चीतों के आवास की तैयारी: राज्य के कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में अटकलें थीं कि, चीता 15 अगस्त तक राज्य में आ जाएगा. केएनपी में एक बाड़े की व्यवस्था भी की गई है. शुरू में स्थानांतरित जानवरों को रखने के लिए आठ डिब्बों के साथ 5 वर्ग किमी का क्षेत्र निर्धारित किया गया है. राष्ट्रीय उद्यान 750 वर्ग किमी से अधिक के क्षेत्र में फैला हुआ है. यहां केएनपी ने पहले ही 12 से 15 चीतों के आवास की तैयारी कर ली है. एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र ने नामीबिया के साथ चीतों के अंतरमहाद्वीपीय स्थानान्तरण के लिए एक समझौता किया है, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के साथ प्रस्तावित समझौते पर अभी हस्ताक्षर नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा कि वे इस पर काम कर रहे हैं और पृथ्वी पर सबसे तेज गति से चलने वाला जानवर अगस्त में एमपी पहुंचेगा. 15 अगस्त के बारे में विशेष रूप से पूछे जाने पर वन विभाग के प्रमुख सचिव अशोक बरनवाल ने कहा हो सकता है चीते स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत आएं, मुझे नहीं पता, लेकिन यह संभव भी है.
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Amongst the ten surveyed sites in five central Indian States, Kuno Palpur National Park (KNP) in Madhya Pradesh was rated high on the priority list for considering the introduction of the cheetah because of its suitable habitat and adequate prey base. pic.twitter.com/TwcLf3AGju
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— MoEF&CC (@moefcc) July 20, 2022
चीता पुनरुत्पादन परियोजना तैयार: देश का अंतिम चित्तिदार चीता छत्तीसगढ़, अविभाजित मध्य प्रदेश में 1947 में मर गया था. 1952 में देश से इसे विलुप्त घोषित कर दिया गया था. कुछ साल पहले, WII ने एक चीता पुनरुत्पादन परियोजना तैयार की. अधिकारियों ने कहा कि 750 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र का कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान का वातावरण चीतों के लिए अनुकूल है. अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले अभयारण्य को गुजरात के प्रसिद्ध एशियाई शेरों के दूसरे घर के रूप में भी चुना गया था, लेकिन गुजरात सरकार द्वारा गिर के जंगल से शेरों को स्थानांतरित करने का विरोध करने के कारण कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न हुई. गिर से एशियाई लॉयन का स्थानांतरण से दो भाजपा शासित राज्यों के बीच विवाद का मुद्दा बनता जा रहा है, क्योंकि सरकार ने पड़ोसी राज्य के लिए एशियाई शेरों के साथ भाग लेने से इनकार कर दिया है. इसके विरोध में श्योपुर जिले में एक दिन का बंद भी रखा गया था. -पीटीआई