भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर पुरानी पेंशन बहाल की जाएगी. कमलनाथ की इस घोषणा से बीजेपी परेशान हो गई है. आने वाले 2 अक्टूबर को सरकार से नाराज विभिन्न कर्मचारी संगठन आंदोलन करने जा रही हैं. सरकार से कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए पूर्व सीएम कमलनाथ ने यह दांव चला है. पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की घोषणा पर मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कमलनाथ पर पटलवार किया है. उन्होंने कहा है कि कमलनाथ सिर्फ वादा करते हैं निभाते एक भी नहीं है. भूपेंद्र सिंह ने कांग्रेस को उसके घोषणापत्र में किए गए कई वादे भी याद दिलाए.
कांग्रेस सिर्फ गुमराह करती है: कमलनाथ ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की घोषणा पर मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पलटवार करते हुए कहा है कि कमलनाथ ने तो इससे पहले भी कई घोषणाएं की थी, लेकिन उन घोषणाओं को पूरा नहीं किया. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि कमलनाथ ने कर्ज माफी का वादा किया था जो पूरा नहीं किया, बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था यह भी पूरा नहीं हुआ. भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सिर्फ गुमराह करती है. भूपेंद्र सिंह ने कहा कि बीजेपी की सरकार हर एक वर्ग के लिए काम करती है. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की जो भी समस्याएं और मांग हैं उनका बातचीत के जरिए समाधान निकाल लिया जाएगा और उचित निर्णय लिया जाएगा.
2 अक्टूबर से बड़े कर्मचारी आंदोलन की तैयारी: प्रदेश में पिछले छह महीने से पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली को लेकर कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं. गांधी जयंती 2 अक्टूबर को फिर से बड़ा तमाम कर्मचारी सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं. जिसमें मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा सभी जिलों में एक ही समय पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे दोपहर उपवास पर बैठेंगे. मध्य प्रदेश में अगले साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस इस मुद्दे पर कर्मचारियों के समर्थन में उतर आई है. सरकार से कर्मचारी संगठनों की नाराजगी और जोर पकड़ती पुरानी पेंशन बहाली की मांग को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस की सरकार बनने पर पुरानी पेंशन बहाली का ऐलान किया है.
इसलिए उठ रही है मांग: पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट होने पर 60 प्रतिशत राशि कर्मचारी को नकद और शेष 40 प्रतिशत राशि के ब्याज से प्राप्त राशि पेंशन के रूप में कर्मचारी को दी जाती थी. पुरानी पेंशन बहाली संघ के अनुसार, पुरानी पेंशन नीति में सैलरी की लगभग आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी. डीए बढ़ने पर पेंशन भी बढ़ जाती थी. नई नीति में ऐसा कुछ भी नहीं है. 1 जनवरी 2005 के बाद भर्ती अधिकारी-कर्मचारियों के लिए अंशदायी पेंशन योजना लागू है. इसके तहत कर्मचारी की 10% और इतनी ही राशि सरकार मिलाती है. इस राशि को शेयर मार्केट में लगाया जाता है. इसके चलते कर्मचारियों का भविष्य शेयर मार्केट के ऊपर निर्भर हो गया है.कर्मचारी संगठन इस स्कीम का विरोध करते हुए पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग कर रहे हैं.