भोपाल। मध्य प्रदेश में एक तरफ कोरोना के बाद ब्लैक फंगस के मामले बढ़ते जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में 19,000 हेल्थकेयर वर्कर बेमियादी हड़ताल पर हैं. संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल का आज उनकी हड़ताल का तीसरा दिन है. प्रदेश की स्वास्थय सेवाओं पर हड़ताल का असर भी साफ देखा जा रहा है, बावजूद इसके सरकार की तरफ से अभी तक इनसे बातचीत की कोई पहल नहीं की गई है. इसके बाद हड़ताली कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन का एक नया तरीका निकाला है. बुधवार को हड़ताली कर्मचारियों ने सीधे लोगों से अपनी हड़ताल और अपनी मांगो को लेकर बातचीत की और उन्हें अपनी परेशानियों के बारे में बताया. इससे पहले मंगलवार को भी जिला मुख्यालयों पर थाली और शंख बजा कर प्रदर्शन भी किया था.
अस्पताल में लोगों को बांटे सैनेटाइजर और मास्क
भोपाल के जेपी अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों ने बुधवार को अनोखा प्रदर्शन किया. उन्होंने अस्पताल परिसर में आने वाले आम लोगों और मरीज़ों को मास्क, सैनिटाइजर और फल बांटे और लोगों को अपनी मांगें बताने वाला एक परचा भी सौंपा. इसके अलावा उन्होंने लोगों को अपनी परेशानी और समस्याएं भी बताईं. लोगों को अपना मांगपत्र सौंपते हुए इन कर्मचारियों का कहना था कि सरकार ने उनकी मांगों पर अबतक कोई ध्यान नहीं दिया है. इसलिए वे लोगों को अपनी समस्या और परेशानियां बता रहे हैं. आपको बता दें कि परमानेंट किए जाने और वेतन बढाए जाने की अपनी दो मांगों को लेकर हड़ताल पर गए कर्मचारियों ने एक हफ्ते पहले से ही सरकार की इसकी सूचना दे दी थी.
भगवान को सौंपा ज्ञापन
हड़ताली कर्मचारियों का कहना है कि आज उनकी हड़ताल को तीसरा दिन है लेकिन सरकार की तरफ से उनकी मांगों पर विचार करने और उन लोगों से बातचीत की कोई पहल नहीं की गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि जिम्मेदार लोग इन हड़ताली कर्मचारियों से मिलने तक को तैयार नहीं हैं. ऐसे में हमने मंदिरों में जाकर भगवान को ज्ञापन दिया गया था, और अब आम जनता को अपनी समस्या बता रहे हैं.
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हड़तालियों के समर्थन में उतरे कमलनाथ
संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर जाने से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर खासा असर पड़ रहा है. आपको बता दें कि इन स्वास्थ्य कर्मचारियों की ड्यूटी कोविड वार्ड से लेकर वैक्सीनेशन और कोरोना की जांच करने में लगाई गई थी. लेकिन इनके हड़ताल पर जाने से इन कार्यक्रमों पर खासा असर पड़ रहा है. कई जगहों पर कुछ वैक्सीनेशन सेंटर को बंद करना पड़ा है या किसी दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ रहा है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इन आंदोलनकारी कर्मचारियों की मांगों का समर्थन किया है. उन्होंने प्रदेश सरकार से कहा है कि इन कोरोना योद्धाओं को प्रोत्साहित करने के लिए नीति बनाकर सरकार इन अस्थायी कर्मचारियों का संविलियन करे.
यह हैं हड़ताली कर्मचारियों की 2 मांगे
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी एचएचएम 2018 की नीतियों को लागू करने को लेकर लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं और 2018 में कैबिनेट में पारित हुए आदेश को माने जाने की मांग कर रहे हैं. जिसके अनुसार इनको भी नियमित वेतनमान दिया जाए. दूसरी मांग उन कर्मचारियों को लेकर है, जिन्हें एनएचएम ने हटा दिया है वर्तमान में स्टाफ की कमी के चलते उनके बहाली की जाए.
यहां पड़ रहा है असर
- इतनी बड़ी संख्या में संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के हड़ताल पर जाने से सरकारी अस्पतालों, वैक्सीनेशन सेंटरों और कोविड जांच के मामलों पर असर पड़ रहा है.
- जांच रिपोर्ट और वैक्सीनेशन का डाटा मेंटेन करने में आशा वर्करों को रिपोर्ट मेंटेन करना होती है.
- हॉस्पिटल का डेटा कलेक्शन, वॉर्ड ड्यूटी, वैक्सीन व दवाओं के ट्रांसपोर्टटेशन, सैंपल कलेक्शन और टेस्टिंग जैसी सेवाओं में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
- इसके अलावा कोविड वार्डों में जहां मेडिकल स्टाफ की कमी है वहां इन संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती की गई थी. इनके हड़ताल पर जाने से कोरोना के दौरान दी जा रही स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं.
- संविदा स्वास्थ्यकर्मियों में डॉक्टर, महिला- पुरूष स्वास्थ्यकर्मी, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, कम्प्यूटर ऑपरेटर, एएनएम, स्टॉफ नर्स, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर, सामुदायिक चिकित्सा अधिकारी शामिल हैं. इनके हड़ताल पर जाने से व्यवस्थाएं चरमरा जाने का खतरा बना हुआ है.