भोपाल। कांग्रेस विधायकों द्वारा विधानसभा सत्र को लेकर उठाए जाने वाले सवालों और आपत्तियों का विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने तीखा जवाब दिया है. उन्होंने कहा है कि विधानसभा सिर्फ नारेबाजी कर सत्र स्थगित कराने और घर जाने के लिए नहीं बुलाया जाता, सत्र इसलिए बुलाया जाता है ताकि विधायक अपनी बात सदन में रखें और सरकार से जवाब मांगे. यदि विधानसभा में उन्हें काम ही करना है, तो उन्हें किसने रोका है. इसके लिए वह सत्र का समय बढ़ाने की बात क्यों नहीं करते. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम से ईटीवी भारत से 7 मार्च से शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र और 3 मार्च को होने वाले पूर्व विधायकयों के गेट टू गेदर को लेकर बातचीत की.
सवाल: पूर्व विधायकों से चर्चा के लिए पहली बार सम्मेलन बुलाने जा रहे हैं ?
जवाब: सम्मेलन कहना उचित नहीं होगा, गेट टू गेदर कहना ठीक होगा. मैं जब अध्यक्ष बना तो सभी पूर्व विधायकों को पत्र लिखा था. इसमें कहा गया था कि आपने विधानसभा के कई सत्रों को देखा है. विधानसभा की प्रणाली और कार्रवाई को आगे ले जाने में मदद मिल सके, तो अपना मार्गदर्शन दिया जाए. उस समय सभी पूर्व विधायकों ने कहा था कि इसके लिए सभी पूर्व विधायकों को बुलाया जाए. हालांकि उस वक्त कोरोना की वजह से पूर्व विधायकों को बुलाना संभव नहीं हो पाया. अब कोरोना का असर कम हो गया है, इसलिए उन्हें बुलाया गया है, लेकिन इसे सम्मेलन न कहें, बल्कि यह गेट टू गेदर है.
सवाल: पूर्व विधायक अपनी सेवा-सुविधाओं को लेकर लंबे समय से मांग कर रहे हैं. इन मांगों को लेकर क्या विचार किया जा रहा है.
जवाब: गेट टू गेदर के दौरान यदि कोई आर्थिक पक्ष को लेकर मांग आती है, तो वह हमारे क्षेत्राधिकार का मामला नहीं है, वह सरकार का है. इसके अलावा कोई और विषय आता है, तो उसे देखा जाएगा. वैसे भी इस तरह की मांग लंबे समय से चली आ रही है. पूर्व की 15 माह की कांग्रेस सरकार के समय भी इस तरह की मांग पूर्व विधायकों ने रखी थी. विधायकों के पत्र और ज्ञापन आ रहे हैं, उसे सरकार को दिया जा रहा है.
सवाल: जो मांगे आ रही थी उन मांगों पर कदम उठाए जाने चाहिए थे, वह अभी तक नहीं उठाए गए, इसपर आप क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: वैसे वह हमारे पूर्व विधायक हैं, विधानसभा के माननीय सदस्य रहे हैं, यदि उनकी कोई मांग है, तो उसके निवारण में सरकार तक उनकी बात रखने में यदि मैं कोई सहयोग कर सकूं, तो यह मेरी कोशिश रहेगी.
सवाल: विधानसभा का बजट सत्र 7 मार्च से शुरू होने जा रहा है. इस बार कोविड का असर बिलकुल कम है, किस तरह व्यवस्थाएं बदली दिखाई देंगी?
जवाब: सरकार ने प्रतिबंधों में ढील है, लेकिन सावधानी बरतने के लिए कहा है. इसको देखते हुए मैंने निर्देश दिए हैं कि अभी तक विधायक चार पास देते थे, लेकिन अब यह पास अलग-अलग तरीके से दिए जाएंगे. दर्शक दीर्घा के लिए एक पास विधायक और विधानसभा से दिया जाएगा. यह पास भी अलग-अलग खंडों के लिए एक घंटे के लिए होगा. यानी जब विधायक चाहें तो उनके बोलने के दौरान दर्शक दीर्घा में आएं, उसी एक घंटे के लिए यह कार्ड होगा. दो पास परिसर के लिए होगा. इसमें कोविड को देखते हुए उन्हें कोरोना वैक्सीनेशन के दोनों डोज लगा होना चाहिए.
सवाल: बजट सत्र 7 मार्च से शुरू होने जा रहा है और 8 मार्च को महिला दिवस है. हर बार विधानसभा में महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया जाता है, इस बार क्या व्यवस्था रहेगी?
जवाब: पिछली बार कई व्यवस्थाएं की गईं थी, इस बार देखते हैं क्या करेंगे. इस बार 8 मार्च को सत्र का दूसरा दिन रहेगा और शोक दिवस रहेगा. इस बार लता मंगेशकर भी हमारे बीच नहीं रहीं, इसलिए कोई और अवसर तो है नहीं, शोक का दिन रहेगा.
सवाल: आपने लगातार नवाचार किए हैं. पिछले सत्र में एक और नवाचार किया था कि विधानसभा प्रश्नकाल के दौरान अपने सवाल न सिर्फ उठाएं, बल्कि उनके जवाब भी आ सकें. इस बार और क्या नवाचार करने जा रहे हैं?
जवाब: पिछले बार तो प्रश्नकाल को लेकर नवाचार किया ही था कि विधायका के सवालों के जवाब आ सके. इस बार इसमें सख्ती करूंगा. इस बार देखेंगे कि यदि कोई विधायक एक ही जगह पर अटका है, तो प्रयास करूंगा कि अगले सवाल की तरफ बढ़ा जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों के सवाल आ सके और उनके जवाब आ सके.
सवाल: विधायक अपने सवालों के माध्यम से जनता की समस्याओं को सदन में उठाते हैं और उन पर आश्वासन भी मिलता है, लेकिन 700 से ज्यादा आश्वासन अभी भी लंबित हैं. विभागीय अधिकारी उस पर कार्रवाई नहीं करते. इसको लेकर क्या करने जा रहे हैं?
जवाब: अब तो मेरे आने के बाद आश्वासन निपटे हैं. मैंने अधिकारियों को इसको लेकर कहा भी है. ऐसे भी आश्वासन भी दिए गए हैं, जिनको लेकर आज कोई आवश्यकता नहीं है. मैंने अधिकारियों को कहा है कि ऐसे आश्वासन को निकाला जाए, जिन्हें पूरा किया जाना संभव नहीं है. जैसे कहा गया कि यहां नहर बना देंगे, लेकिन वहां बिल्डिंग बनी हैं, तो ऐसे आश्वासन जिन्हें पूरा नहीं किया जा सकता, इसके लिए अधिकारियों को कहा गया है कि ऐसे आश्वासनों को छांटकर हटाया जाए. इसको लेकर बैठकें तेज करने के लिए कहा गया है. विधानसभा का जो दायित्व है, उसे पूरा किया जा रहा है.
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सवाल: कांग्रेस विधायकों की आपत्ति रहती है कि सरकार उनके सवालों का ठीक तरह से जवाब नहीं देती और जितना सत्र निर्धारित किया जाता है वह नहीं चलाया जाता, उसको लेकर क्या किया जा रहा है?
जवाब: हर बार व्यवस्था बनती है. यह विधायकों पर है कि वह विधानसभा में अपने सवालों पर जवाब चाहते हैं कि नहीं चाहते. विधानसभा विधायकों के लिए है या नहीं है. मान लीजिए विधानसभा का सत्र 19 दिन के लिए बुलाई गई, लेकिन मांग आई कि इसे 35 दिन कर लीजिए, लेकिन सत्र इसलिए 35 दिन का कर लिया जाए कि हम 11 बजे आएं, नारे लगाएं. 12 बजे सत्र स्थगित कर दिया जाए और हम घर चले जाएं. दूसरे दिन फिर आ जाएं. सिर्फ नारा लगाकर विधानसभा स्थगित करने के लिए विधानसभा नहीं होनी चाहिए. विधानसभा इसलिए होनी चाहिए कि हम अपनी बात रखें, सरकार से उत्तर की आकांक्षा करें. यदि आपको लगता है कि समय कम है, तो समय बढ़ाने की बात करें. दिन बढ़ाने की बात कम करें. 5 बजे के बाद भी यदि आप काम करना चाहते हैं, तो काम करिए, किसने रोका है. विधानसभा में काम करने का समय बढ़ाना चाहिए. मैं ऐसा समझता हूं कि सबसे ज्यादा प्रयास इस बात की हो कि विधायक अपनी जो बात रखना चाहते हैं, वह रखने का प्रयास करें. (Assembly speaker Girish Gautam) (Girish Gautam statement on demand of Congress MLA)