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CRPC की धारा 482 के तहत घरेलू हिंसा की शिकायत रद्द नहीं होगी, हाई कोर्ट का अहम आदेश - MP HIGH COURT JABALPUR

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है घरेलू हिंसा के मामले को सीआरपीसी की धारा 482 के तहत सुनवाई नहीं की जा सकती.

MP high court Jabalpur
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 20, 2025, 6:51 PM IST

Updated : Feb 20, 2025, 6:56 PM IST

जबलपुर : हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है "सीआरपीसी की धारा 482 के तहत सिर्फ अपराधिक प्रकरण में दर्ज एफआईआर को खारिज किया जा सकता है. घरेलू हिंसा की शिकायत में लगाये गये आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता. घरेलू हिंसा के तहत दर्ज शिकायत तथा एफआईआर में हिंसा या उत्पीड़न की प्रकृति अलग-अलग होती है. एकलपीठ ने इस आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया.

महिला ने दर्ज कराई थी घरेलू हिंसा की शिकायत

जबलपुर निवासी संदीप रघुवंशी सहित अन्य की तरफ से सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका में महिला संरक्षण अधिनियम के तहत घरेलू हिंसा के प्रकरण को रद्द करने की मांग की गई. याचिका में कहा गया "उसने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 12 के तहत विवाह को शून्य व अमान्य घोषित करने न्यायालय में आवेदन किया था. जिसके बाद उसके व परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करवा दी गई. इसके अलावा आईपीसी की धारा 498-ए, 377, 506, 34 और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत आपराधिक शिकायत भी दर्ज करवाई गई."

हाई कोर्ट में आवेदक की याचिका खारिज

याचिकाकर्ता का कहना है "हाईकोर्ट ने उसके पिता तथा बहन के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर को निरस्त कर दिया था. याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है "घरेलू हिंसा को धारा 3 में वर्णित किये गये तत्वों के आधार पर याचिकाकर्ताओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के आरोप लगाए गए हैं. याचिकाकर्ताओं के बचाव पर विचार नहीं किया जा सकता. सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका में आरोपों पर फैसला नहीं सुनाया जा सकता." एकलपीठ ने ये आदेश सुनाकर याचिका खारिज कर दी.

जबलपुर : हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है "सीआरपीसी की धारा 482 के तहत सिर्फ अपराधिक प्रकरण में दर्ज एफआईआर को खारिज किया जा सकता है. घरेलू हिंसा की शिकायत में लगाये गये आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता. घरेलू हिंसा के तहत दर्ज शिकायत तथा एफआईआर में हिंसा या उत्पीड़न की प्रकृति अलग-अलग होती है. एकलपीठ ने इस आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया.

महिला ने दर्ज कराई थी घरेलू हिंसा की शिकायत

जबलपुर निवासी संदीप रघुवंशी सहित अन्य की तरफ से सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका में महिला संरक्षण अधिनियम के तहत घरेलू हिंसा के प्रकरण को रद्द करने की मांग की गई. याचिका में कहा गया "उसने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 12 के तहत विवाह को शून्य व अमान्य घोषित करने न्यायालय में आवेदन किया था. जिसके बाद उसके व परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करवा दी गई. इसके अलावा आईपीसी की धारा 498-ए, 377, 506, 34 और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत आपराधिक शिकायत भी दर्ज करवाई गई."

हाई कोर्ट में आवेदक की याचिका खारिज

याचिकाकर्ता का कहना है "हाईकोर्ट ने उसके पिता तथा बहन के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर को निरस्त कर दिया था. याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है "घरेलू हिंसा को धारा 3 में वर्णित किये गये तत्वों के आधार पर याचिकाकर्ताओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के आरोप लगाए गए हैं. याचिकाकर्ताओं के बचाव पर विचार नहीं किया जा सकता. सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका में आरोपों पर फैसला नहीं सुनाया जा सकता." एकलपीठ ने ये आदेश सुनाकर याचिका खारिज कर दी.

Last Updated : Feb 20, 2025, 6:56 PM IST
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