भोपाल। काफी लंबे वक्त से जिस लड़ाकू विमान का इंतजार था, वो राफेल विमान आज भारत पहुंच गया है. भारत और फ्रांस के बीच हुए सौदे के तहत राफेल लड़ाकू विमान की पहली खेप आज अंबाला एयरबेस पर पहुंची. पहली खेप में कुल पांच लड़ाकू विमान हैं, जिन्हें रिसीव करने के लिए खुद वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया मौजूद रहे. राफेल की वजह से काफी समय तक देश की सियासत गरमाई रही, विपक्ष ने इस सौदे को लेकर केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए थे, लेकिन सभी विरोध के बावजूद आज 5 राफेल भारत पहुंचे.
राफेल फाइटर प्लेन के भारत पहुंचने से पहले एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कई ट्वीट कर मोदी सरकार को फिर घेरा है, उन्होंने ट्वीट में लिखा है, राफेल खरीदने का फैसला यूपीए सरकार था. आखिर राफेल आ गया. 126 राफेल खरीदने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में UPA ने 2012 में फैसला लिया था और 18 राफेल को छोड़कर बाकी भारत सरकार की HAL में निर्माण का प्रावधान था. ये भारत के आत्मनिर्भर होने का प्रमाण था. एक राफेल की कीमत 746 करोड़ तय की गई थी.
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राष्ट्रीय सुऱक्षा का आँकलन करते हुए रक्षा मंत्रालय ने १२६ राफ़ेल ख़रीदने की सिफ़ारिश की थी जो UPA ने स्वीकार कर सहमति दी। अब मोदी जी ने १२६ के बजाय ३६ राफेल ख़रीदने का फ़ैसला क्यों लिया? यह पूछने पर भी कोई जवाब नहीं। क्या मोदी जी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया?
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 29, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">राष्ट्रीय सुऱक्षा का आँकलन करते हुए रक्षा मंत्रालय ने १२६ राफ़ेल ख़रीदने की सिफ़ारिश की थी जो UPA ने स्वीकार कर सहमति दी। अब मोदी जी ने १२६ के बजाय ३६ राफेल ख़रीदने का फ़ैसला क्यों लिया? यह पूछने पर भी कोई जवाब नहीं। क्या मोदी जी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया?
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 29, 2020राष्ट्रीय सुऱक्षा का आँकलन करते हुए रक्षा मंत्रालय ने १२६ राफ़ेल ख़रीदने की सिफ़ारिश की थी जो UPA ने स्वीकार कर सहमति दी। अब मोदी जी ने १२६ के बजाय ३६ राफेल ख़रीदने का फ़ैसला क्यों लिया? यह पूछने पर भी कोई जवाब नहीं। क्या मोदी जी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया?
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उन्होंने अगले ट्वीट में लिखा कि, मोदी सरकार आने के बाद फ्रांस के साथ सरकार ने बिना रक्षा व वित्त मंत्रालय व कैबिनेट कमेटी की मंजूरी के नया समझौता कर लिया और HAL का हक मार कर निजी कम्पनी को देने का समझौता किया. राष्ट्रीय सुरक्षा की अनदेखी कर 126 राफेल खरीदने की बजाय केवल 36 राफेल खरीदने का निर्णय लिया गया.
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आख़िर राफ़ेल fighter plane आ गया। १२६ राफ़ेल ख़रीदने के लिए कोंग्रेस के नेतृत्व में UPA ने २०१२ में फैंसला लिया था और १८ राफ़ेल को छोड़कर कर बाकि भारत सरकार की HAL में निर्माण का प्रावधान था। यह भारत में आत्मनिर्भर होने का प्रमाण था। एक राफ़ेल की क़ीमत ₹७४६ करोड़ तय की गई थी
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">आख़िर राफ़ेल fighter plane आ गया। १२६ राफ़ेल ख़रीदने के लिए कोंग्रेस के नेतृत्व में UPA ने २०१२ में फैंसला लिया था और १८ राफ़ेल को छोड़कर कर बाकि भारत सरकार की HAL में निर्माण का प्रावधान था। यह भारत में आत्मनिर्भर होने का प्रमाण था। एक राफ़ेल की क़ीमत ₹७४६ करोड़ तय की गई थी
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 29, 2020आख़िर राफ़ेल fighter plane आ गया। १२६ राफ़ेल ख़रीदने के लिए कोंग्रेस के नेतृत्व में UPA ने २०१२ में फैंसला लिया था और १८ राफ़ेल को छोड़कर कर बाकि भारत सरकार की HAL में निर्माण का प्रावधान था। यह भारत में आत्मनिर्भर होने का प्रमाण था। एक राफ़ेल की क़ीमत ₹७४६ करोड़ तय की गई थी
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पूर्व सीएम ने एक और ट्वीट कर लिखा है कि, एक राफेल की कीमत कांग्रेस सरकार ने 746 करोड़ रुपए तय की थी, लेकिन 'चौकीदार' कई बार संसद में और संसद के बाहर भी मांग करने के बावजूद आज तक एक राफेल कितने में खरीदा है, बताने से बच रहे हैं. क्यों ? क्योंकि चौकीदार की चोरी उजागर हो जाएगी.
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मोदी सरकार आने के बाद फ़्रांस के साथ मोदी जी ने बिना रक्षा व वित्त मंत्रालय व केबिनेट कमेटी की मंज़ूरी के नया समझौता कर लिया और HAL का हक़ मार कर निजी कम्पनी को देने का समझौता कर लिया। राष्ट्रीय सुरक्षा को अनदेखी कर १२६ राफ़ेल ख़रीदने के बजाय केवल ३६ ख़रीदने का निर्णय ले लिया।
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">मोदी सरकार आने के बाद फ़्रांस के साथ मोदी जी ने बिना रक्षा व वित्त मंत्रालय व केबिनेट कमेटी की मंज़ूरी के नया समझौता कर लिया और HAL का हक़ मार कर निजी कम्पनी को देने का समझौता कर लिया। राष्ट्रीय सुरक्षा को अनदेखी कर १२६ राफ़ेल ख़रीदने के बजाय केवल ३६ ख़रीदने का निर्णय ले लिया।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 29, 2020मोदी सरकार आने के बाद फ़्रांस के साथ मोदी जी ने बिना रक्षा व वित्त मंत्रालय व केबिनेट कमेटी की मंज़ूरी के नया समझौता कर लिया और HAL का हक़ मार कर निजी कम्पनी को देने का समझौता कर लिया। राष्ट्रीय सुरक्षा को अनदेखी कर १२६ राफ़ेल ख़रीदने के बजाय केवल ३६ ख़रीदने का निर्णय ले लिया।
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राष्ट्रीय सुरक्षा का आंकलन करते हुए रक्षा मंत्रालय ने 126 राफेल खरीदने की सिफारिश की थी, जिसे UPA सरकार ने सहमति दी थी, अब मोदी सरकार ने 126 के बजाय 36 राफेल खरीदने का फैसला क्यों लिया ? ये पूछने पर भी कोई जवाब नहीं. क्या मोदी जी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया ?
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एक राफ़ेल की क़ीमत कॉंग्रेस सरकार ने ₹७४६ तय की थी लेकिन “चौकीदार” महोदय कई बार संसद में और संसद के बाहर भी मॉंग करने के बावजूद आज तक एक राफ़ेल कितने में ख़रीदा है, बताने से बच रहे हैं। क्यों? क्योंकि चौकीदार जी की चोरी उजागर हो जायेगी!! “चौकीदार” जी अब तो उसकी क़ीमत बता दें!!
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