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12 साल बाद भी पेपरलेस नहीं हुए MP के दफ्तर, धूल खा रही हैं फाइलें

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Published : Jan 2, 2022, 2:11 PM IST

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश की कमान संभाले 17 साल से ज्यादा हो गए हैं. लेकिन सरकारी दफ्तरों को पेपरलेस बनाने की उनकी घोषणा सिर्फ कागजों मे सिमट कर रह गई है, आखिर मध्यप्रदेश में विभागों को पेपरलेस बनाने का सपना कब पूरा होगा.

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भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने विभागों को हाईटेक और पेपरलेस बनाने का ऐलान 12 साल पहले किया था. लेकिन उनका आदेश धरातल पर कहीं नजर नहीं आता. 2022 के शुरुआत में भी फाइलें मैनुअली ही दौड़ रही हैं. यानि प्रदेश में ई-ऑफिस का सिस्टम फेल हो गया है. शिवराज सरकार सख्त आदेश जारी कर चुकी है कि सभी विभाग जानकारी अपने वेबसाइट पर अपडेट रखें ताकि काग़जी कार्य कम हो और समय की बचत हो. बावजूद इसके अव्यवस्थाएं ज्यों कि त्यों बनी हुई हैं.

2007-08 में विभागों को पेपरलेस करने के लिए ई-ऑफिस सिस्टम लागू किया

मुख्यमंत्री ने 2007-08 में विभागों को पेपरलेस करने के लिए ई-ऑफिस सिस्टम लागू किया था, ताकि सरकारी योजनाओं को लेकर होने वाली परेशानियों का समाधान हो और सिस्टम में पारदर्शिता आए. लेकिन 12 साल बीत जाने के बाद भी अभी भी फाइलें चपरासी और क्लर्कों के हाथ भेजी जा रही हैं. ई-ऑफिस को राज्य मंत्रालय से लेकर जिला और तहसील कार्यलय में लागू करने की कोशिश की गई, जबकि सारी कोशिशें फेल साबित हो रही हैं.

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अफसरों के आगे सिस्टम फेल

दरअसल, जब 2007-08 में ई-ऑफिस सिस्टम को लागू करने के प्रयास हुए तब शिवराज सिंह चौहान ही प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. इसके बाद साल 2017 में शिवराज ने वापस से इसे लागू करने के कदम उठाएं. साल 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान सिस्टम ठप हो गया. इसके बाद कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 2019 में इसे लागू करने के लिए गाइडलाइन तक जारी की. 2019 में विभागाध्यक्ष और जिलाध्यक्ष कार्यालय में भी लागू करना तय किया गया फिर 2020 में ई-ऑफिस पर फिर से जोर दिया गया. राज भवन सहित अन्य कार्यालयों के काम ई-फॉर्मेट में करने के आदेश भी दिए गए. फिर मार्च 2020 में शिवराज सरकार दोबारा सत्ता में आई और एक बार फिर उन्होंने जनवरी 2021 में इसे लागू करने की सख्ती दिखाई. जिला मुख्यालयों तक ई-ऑफिस लागू होना था, लेकिन अफसरों के आगे सिस्टम फेल नजर आया और आज तक ये सिस्टम कामयाब नहीं हो सका है.

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने विभागों को हाईटेक और पेपरलेस बनाने का ऐलान 12 साल पहले किया था. लेकिन उनका आदेश धरातल पर कहीं नजर नहीं आता. 2022 के शुरुआत में भी फाइलें मैनुअली ही दौड़ रही हैं. यानि प्रदेश में ई-ऑफिस का सिस्टम फेल हो गया है. शिवराज सरकार सख्त आदेश जारी कर चुकी है कि सभी विभाग जानकारी अपने वेबसाइट पर अपडेट रखें ताकि काग़जी कार्य कम हो और समय की बचत हो. बावजूद इसके अव्यवस्थाएं ज्यों कि त्यों बनी हुई हैं.

2007-08 में विभागों को पेपरलेस करने के लिए ई-ऑफिस सिस्टम लागू किया

मुख्यमंत्री ने 2007-08 में विभागों को पेपरलेस करने के लिए ई-ऑफिस सिस्टम लागू किया था, ताकि सरकारी योजनाओं को लेकर होने वाली परेशानियों का समाधान हो और सिस्टम में पारदर्शिता आए. लेकिन 12 साल बीत जाने के बाद भी अभी भी फाइलें चपरासी और क्लर्कों के हाथ भेजी जा रही हैं. ई-ऑफिस को राज्य मंत्रालय से लेकर जिला और तहसील कार्यलय में लागू करने की कोशिश की गई, जबकि सारी कोशिशें फेल साबित हो रही हैं.

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अफसरों के आगे सिस्टम फेल

दरअसल, जब 2007-08 में ई-ऑफिस सिस्टम को लागू करने के प्रयास हुए तब शिवराज सिंह चौहान ही प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. इसके बाद साल 2017 में शिवराज ने वापस से इसे लागू करने के कदम उठाएं. साल 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान सिस्टम ठप हो गया. इसके बाद कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 2019 में इसे लागू करने के लिए गाइडलाइन तक जारी की. 2019 में विभागाध्यक्ष और जिलाध्यक्ष कार्यालय में भी लागू करना तय किया गया फिर 2020 में ई-ऑफिस पर फिर से जोर दिया गया. राज भवन सहित अन्य कार्यालयों के काम ई-फॉर्मेट में करने के आदेश भी दिए गए. फिर मार्च 2020 में शिवराज सरकार दोबारा सत्ता में आई और एक बार फिर उन्होंने जनवरी 2021 में इसे लागू करने की सख्ती दिखाई. जिला मुख्यालयों तक ई-ऑफिस लागू होना था, लेकिन अफसरों के आगे सिस्टम फेल नजर आया और आज तक ये सिस्टम कामयाब नहीं हो सका है.

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