भोपाल। मध्यप्रदेश में हुए ई-टेंडर, सिंहस्थ और एमसीयू जैसे बड़े घोटालों की जांच आगे ही नहीं बढ़ रही है. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अब इन मामलों की फाइलें भी EOW की टेबल पर धूल खा रही हैं.
ई-टेंडर और सिंहस्थ मामले की फाइलें खा रही धूल
मध्यप्रदेश में हुए 3 हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले की जांच आगे ही नहीं बढ़ पा रही है. इस मामले में ईओडब्ल्यू ने सबसे पहले 9 एफआईआर दर्ज की थीं. जिसमें ऑस्मो कंपनी के तीन डायरेक्टर को गिरफ्तार किया गया था और कई टेंडरों में हेराफेरी के ईओडब्ल्यू को पुख्ता सबूत भी मिले थे.
लेकिन कुछ छोटी मछलियों को पकड़ने के बाद इस मामले में कोई भी बड़ी गिरफ्तारियां नहीं हो सकीं. ठीक इसी तरह साल 2016 में मध्यप्रदेश के उज्जैन में हुए सिंहस्थ को लेकर भी ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी जांच दर्ज कर मामले में विवेचना शुरू की थी. लेकिन सिंहस्थ से जुड़े किसी भी मामले में ना तो पूछताछ हो सकी न ही किसी को हिरासत में लिया गया.
MCU की आर्थिक अनियमितताओं की जांच नहीं बढ़ी आगे
इतना ही नहीं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हुई आर्थिक अनियमितताओं की बात करें तो इस मामले में भी ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन तत्कालीन कुलपति बीके कुठियाला से पूछताछ के बाद इस मामले में भी आगे की जांच जस की तस है. जबकि कुठियाला समेत 20 लोगों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था. कुठियाला के अलावा 19 लोगों से अब तक ईओडब्ल्यू ने पूछताछ नहीं की है.
घोटालों में नहीं हुआ कोई बड़ा खुलासा
इधर आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान ई टेंडर और सिंहस्थ जैसे मुद्दों को भुनाकर ही कांग्रेस सरकार सत्ता में आई थी. इन मामलों की जांच करने का दावा किया था. लेकिन कुर्सी मिलने के बाद इन मामलों में ना तो कोई बड़ा खुलासा हुआ, ना ही किसी व्हाइट कॉलर की गिरफ्तारी हो सकी. सिर्फ चपरासी और बाबू को ही गिरफ्तार किया गया.
शिवराज सरकार के समय ही साल 2018 में ई टेंडर घोटाले को लेकर शिकायत की गई थी और जांच शुरू हुई थी. इसके बाद ई टेंडर घोटाले में कांग्रेस सरकार आने के बाद पहली एफआईआर दर्ज की गई और जांच शुरू हुई. इस मामले की जांच के दौरान कुछ आईएएस अधिकारियों और नेता, मंत्रियों के नाम भी सामने आए, लेकिन ईओडब्ल्यू उनके खिलाफ अब तक कोई भी ठोस सबूत नहीं जुटा सका है. अब चौथी बार मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी है, सरकार बनने के बाद अब इन मामलों की जांच व्यापमं मामले की तरह ही दम तोड़ती नजर आ रही है.