भोपाल। गुना जिले में दलित दंपति की पिटाई के मामले को सरकार ने बेहद गंभीरता से लिया था. सरकार ने गुना जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया था. वहीं क्षेत्र में उपचुनाव होने की वजह से विपक्षी दल कांग्रेस ने पीड़ित परिवार को डेढ़ लाख की आर्थिक मदद भी दी थी. वहीं इलाके के भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद, नौकरी का वादा और मकान देने की बात कही थी, लेकिन अभी तक परिवार को कुछ हासिल नहीं हुआ है और परिवार दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है.
घटना के बारे में बताते हुए राजकुमार अहिरवार का कहना है कि बटिया से जमीन लेकर वो खेती कर रहा था. उसने बताया कि कलेक्टर ने उससे कहा था कि वो जमीन छोड़ दें, जो भी लागत लगी है, उसकी पूर्ति प्रशासन करेगा. उसका जो भी कर्जा होगा, उसको खत्म करेंगे और नया मकान बना कर देंगे, लेकिन ना तो किसान को जमीन मिली, ना नौकरी मिली है और ना ही मकान मिला है. उसका कहना है कि वो बेरोजगार हो चुका है और तीन बार कलेक्टर को आवेदन दिए, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है.
इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के प्रभारी राजकुमार टोनरे का कहना है कि किसान को अगर कमलनाथ डेढ़ लाख रुपए नहीं पहुंचाते, तो उन लोगों ने जहर खाया था, दोनों पति-पत्नी मर गए होते और ये सारे के सारे जेल में होते.
इनकी फसल बर्बाद की, उनको पीटा और इन्हीं के खिलाफ का केस कायम कर लिया. कमलनाथ ने जो पैसे पहुंचाए, उससे जमानत करवाई, बच्चों को जिंदा रखा और दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि वो परिवार के 2 लोगों को नौकरी दिलवाएंगे, केस हटवा देंगे और मकान बनाने के लिए जगह और पक्का मकान देंगे, लेकिन ना तो सिंधिया और ना ही कोई उनका आदमी आया, जबकि क्षेत्र उन्हीं का है. मुख्यमंत्री मामा बनते हैं, बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. उन्होंने जाकर देखा भी नहीं कि उनका क्या हाल है.