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सीनियर को नहीं जूनियर को मिली तवज्जो, क्या इसलिए कमलनाथ से खफा ये सियासी महारथी

मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस के बागी विधायकों ने सीएम कमलनाथ पर उनकी उपेक्षा का आरोप लगाया. इन विधायकों का कहना है कि सीनियर होने के बाद भी मंत्रिमंडल में जूनियर विधायकों को शामिल किया गया. जबकि उनकी बात तक सीएम कमनलाथ नहीं सुनते थे. पूरे मामले पर देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

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सियासत के महारथी
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Published : Mar 18, 2020, 6:01 PM IST

Updated : Mar 18, 2020, 7:29 PM IST

भोपाल/धार। कांग्रेस के बागी विधायक राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कमलनाथ सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है. शायद कमलनाथ सरकार पर मंडरा रहे सियासी संकट का एक बड़ा कारण राज्यवर्धन के इस आरोप में छुपा है. जिसमें उन्होंने सीएम कमलनाथ पर मनमानी चलाने की बात कहते हुए कांग्रेस विधायकों की उपेक्षा की बात कही.

सियासत के महारथी

कुछ इसी तरह का बयान बेंगलुरु में ठहरे अन्य विधायकों ने भी दिया. राज्यवर्धन सिंह ने कहा कि कमलनाथ मंत्रिमंडल का गठन योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि पक्षपात और वंशवाद के आधार पर किया गया. उनके इस बयान का समर्थन राजनैतिक जानकार भी कर रहे हैं. राज्यवर्धन सिंह की तरह ही, बिसाहूलाल सिंह और एंदल सिंह कंसाना ने भी यही आरोप सीएम कमलनाथ पर लगाए. इन बागी विधायकों का कहना है कि वह तीन और चार बार से विधायक बनते आ रहे हैं. लेकिन सरकार में जगह जूनियर विधायकों को दी गई. कमलनाथ सरकार पर मंडरा रहे सियासी संकट की एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है.

तीन बार के विधायक राज्यवर्धन सिंह धार जिले से आते हैं. लेकिन जिले से दो बार के विधायक सुरेंद्र सिंह हनी बघेल को मंत्री बनाया गया, तो उमंग सिंघार को जिले से दूसरा मंत्री बनाया गया जो पूर्व उपमुख्यमंत्री जमुना देवी के भतीजे हैं. बिसाहूलाल सिंह पांच बार के विधायक हैं, तो एंदल सिंह कंसाना चार बार के विधायक लेकिन दोनों मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से नाराज हैं.

कमलनाथ के मंत्रिमंडल पर गौर किया जाए तो, जयवर्धन सिंह, जीतू पटवारी, सुरेंद्र बघेल, सचिन यादव, हर्ष यादव, कमलेश्वर पटेल, लखन घनघोरिया, पीसी शर्मा, और तरुण भनोट दूसरी बार ही विधायक बने हैं. लेकिन ये सभी कमलनाथ सरकार में मंत्री बनाए गए. जो कही न कही सीनियर विधायकों को नागवार गुजरा. ऐसे में विधायकों की नाराजगी कांग्रेस में अंर्तकलह की बड़ी वजह मानी जा रही है जो अभी खत्म नहीं हुई. अब देखना होगा कि इन विधायकों की अदावत प्रदेश की सियासत को कहा ले जाएगी.

भोपाल/धार। कांग्रेस के बागी विधायक राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कमलनाथ सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है. शायद कमलनाथ सरकार पर मंडरा रहे सियासी संकट का एक बड़ा कारण राज्यवर्धन के इस आरोप में छुपा है. जिसमें उन्होंने सीएम कमलनाथ पर मनमानी चलाने की बात कहते हुए कांग्रेस विधायकों की उपेक्षा की बात कही.

सियासत के महारथी

कुछ इसी तरह का बयान बेंगलुरु में ठहरे अन्य विधायकों ने भी दिया. राज्यवर्धन सिंह ने कहा कि कमलनाथ मंत्रिमंडल का गठन योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि पक्षपात और वंशवाद के आधार पर किया गया. उनके इस बयान का समर्थन राजनैतिक जानकार भी कर रहे हैं. राज्यवर्धन सिंह की तरह ही, बिसाहूलाल सिंह और एंदल सिंह कंसाना ने भी यही आरोप सीएम कमलनाथ पर लगाए. इन बागी विधायकों का कहना है कि वह तीन और चार बार से विधायक बनते आ रहे हैं. लेकिन सरकार में जगह जूनियर विधायकों को दी गई. कमलनाथ सरकार पर मंडरा रहे सियासी संकट की एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है.

तीन बार के विधायक राज्यवर्धन सिंह धार जिले से आते हैं. लेकिन जिले से दो बार के विधायक सुरेंद्र सिंह हनी बघेल को मंत्री बनाया गया, तो उमंग सिंघार को जिले से दूसरा मंत्री बनाया गया जो पूर्व उपमुख्यमंत्री जमुना देवी के भतीजे हैं. बिसाहूलाल सिंह पांच बार के विधायक हैं, तो एंदल सिंह कंसाना चार बार के विधायक लेकिन दोनों मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से नाराज हैं.

कमलनाथ के मंत्रिमंडल पर गौर किया जाए तो, जयवर्धन सिंह, जीतू पटवारी, सुरेंद्र बघेल, सचिन यादव, हर्ष यादव, कमलेश्वर पटेल, लखन घनघोरिया, पीसी शर्मा, और तरुण भनोट दूसरी बार ही विधायक बने हैं. लेकिन ये सभी कमलनाथ सरकार में मंत्री बनाए गए. जो कही न कही सीनियर विधायकों को नागवार गुजरा. ऐसे में विधायकों की नाराजगी कांग्रेस में अंर्तकलह की बड़ी वजह मानी जा रही है जो अभी खत्म नहीं हुई. अब देखना होगा कि इन विधायकों की अदावत प्रदेश की सियासत को कहा ले जाएगी.

Last Updated : Mar 18, 2020, 7:29 PM IST
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