भोपाल। भोपाल लोकसभा सीट से बीजेपी की प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर का शहीद हेमंत करकारे पर दिया गया बयान अब बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी नहीं भा रहा है. हालांकि अपनी तय रणनीति के तहत पार्टी प्रज्ञा ठाकुर के साथ खड़ी नजर आ रही है, लेकिन ऐसे कई संकेत मिल रहे है जिससे लग रहा है कि राजधानी के बीजेपी कार्यकर्ता असहज महसूस कर रहे हैं.
मंगलवार को बीजेपी कार्यालय में प्रज्ञा ठाकुर की चुनाव तैयारियों को लेकर भोपाल के जनप्रतिनिधियों की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन इस बैठक में बीजेपी के करीब 38 पार्षद नहीं पहुंचे. कई पूर्व विधायक और जनप्रतिनिधियों ने इस बैठक से दूरी बनाए रखी. कांग्रेस का कहना है कि हेमंत करकरे पर दिए बयान के बाद प्रज्ञा की उम्मीदवारी को लेकर स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने को नहीं मिल रहा हैं.
वहीं दूसरी तरफ 23 अप्रैल को प्रज्ञा ठाकुर के नामांकन के साथ डमी कैंडिडेट के रूप में आलोक संजर के नामांकन कराए जाने को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि प्रज्ञा को ना तो जनता पसंद कर रही है, ना ही बीजेपी के कार्यकर्ता पसंद कर रहे हैं. बीजेपी की बैठक में 38 पार्षद, कई पूर्व विधायक और जिम्मेदार नेता नहीं पहुंचे, क्योंकि कहीं ना कहीं ऐसी उम्मीदवार को टिकट दिया गया है, जो बीजेपी की सदस्य ही नहीं थी. उनको सदस्य बनाकर लाखों कार्यकर्ताओं का अपमान किया गया है, मौजूदा सांसद आलोक संजर का अपमान किया गया है.
कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी के ही कार्यकर्ता प्रज्ञा ठाकुर को टिकट दिए जाने से नाराज हैं. जिस तरह से वह बयान दे रही हैं और उनकी जो अपराधिक छवि है, उससे बीजेपी के कार्यकर्ता आहत हैं. उनके बयानों और अपराधिक रिकॉर्ड के कारण नामांकन रद्द ना हो जाए, इसलिए डमी कैंडिडेट के तौर पर आलोक संजर का फार्म भरवाया गया है.