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शिवराज मंत्रिमंडल पर कांग्रेस का सवाल, जानकारों ने कहा- होनी चाहिए समीक्षा

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील विवेक तंखा ने शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि, प्रदेश में 26 विधानसभा सीटें खाली हैं. इसलिए विधानसभा में मौजूदा विधायकों की संख्या के हिसाब से मंत्रिमंडल का विस्तार होना चाहिए, लेकिन बीजेपी ने तीन मंत्री ज्यादा बनाए हैं. मामले में बीजेपी का कहना है कि, मंत्रिमंडल विस्तार संविधान के हिसाब से ही हुआ है.

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मंत्रिमंडल पर सवाल
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Published : Jul 22, 2020, 1:52 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने और शिवराज सरकार के गठन के बाद से ही प्रदेश में सियासी उथल-पुथल जारी है. बीजेपी ने सरकार गठन के बाद दो बार मंत्रिमंडल का विस्तार किया. जिसमें पहले पांच मंत्री बनाए और फिर दूसरी बार में 28 मंत्री बनाए गए. इस तरह अब प्रदेश में सीएम समेत कुल मंत्रियों की कुल संख्या 34 हो गई. शिवराज मंत्रिमंडल पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने आपत्ति दर्ज कराई है, उनका कहना है कि, संविधान के आर्टिकल 164 के हिसाब से मंत्रिमंडल में मंत्रियों की सदस्य संख्या विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या के 15 फीसदी होती है. इस हिसाब से मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री सहित 35 मंत्री हो सकते हैं. लेकिन मौजूदा स्थिति में विधानसभा की 26 सीटें खाली हैं. इसलिए मंत्रिमंडल का गठन भी मौजूदा सीटों के हिसाब से किया जाना चाहिए था.

मंत्रिमंडल पर सवाल

कांग्रेस ने खड़े किए मंत्रिमंडल पर सवाल

कांग्रेस के प्रवक्ता और वकील जेपी धनोपिया कहते हैं कि, विवेक तंखा एडवोकेट जनरल रहे हैं, कानून का बहुत अच्छा ज्ञान है. उन्होंने सही बात कही है कि, आज मध्य प्रदेश में 26 विधानसभा सीटें खाली हैं. तो सदस्यों की संख्या के हिसाब से मंत्रिमंडल के लिए प्रतिशत निकाला जाएगा, तो उतना कम होगा.

बीजेपी का पलटवार

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि, 'विवेक तंखा घालमेल करते हैं, संविधान, न्यायालय, लोकतंत्र और बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और राजनीतिक रोटियां सेकने का काम करते हैं. सरकार के गठन के पहले से लेकर अब तक लगातार कभी राज्यपाल लालजी टंडन के खिलाफ, तो कभी सरकार बनने के दौरान बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ कुछ ना कुछ उन्होंने अड़ंगा जरुर लगाया. सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के पक्ष में निर्णय सुनाया था. विवेक तंखा पहले संविधान के प्रावधान पढ़ लिया करें. क्योंकि वे ना तो इधर सफल है और ना ही राजनीति में सफल है'.

मामले में जानकारों की राय

शिवराज मंत्रिमंडल के गठन पर सुप्रीम कोर्ट के वकील शांतनु सक्सेना का मानना है कि, यह काफी उलझा हुआ मामला है. इस मामले का संविधान के अनुसार अध्ययन करने पर कई तरह की बातें सामने आती हैं. इसलिए इस पहलू की विस्तृत न्यायिक समीक्षा होनी चाहिए. शांतनु सक्सेना कहते हैं कि, विवेक तंखा का कहना है कि, शिवराज सरकार ने मंत्रिमंडल के विस्तार में संविधान के आर्टिकल 164 का उल्लंघन किया है. आज हम विधानसभा का गणित देखें, तो विधानसभा की जो आज संख्या है, उसके अनुसार 15 फीसदी से अधिक लोगों को मंत्री बना दिया गया है, ये बात सही है.

लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि, किसी विधानसभा के कुछ सदस्यों का अगर निधन हो जाए या वे सदस्यता से इस्तीफा दे दें. तो उस हिसाब से अचानक से विधानसभा में सदस्यों की संख्या कम हो जाती है. तो क्या उस परिस्थिति में कुछ मंत्रियों को इस्तीफा दे देना चाहिए. क्योंकि संविधान के अनुसार आर्टिकल- 170 में कहा गया है कि, किसी भी विधानसभा की सीटें उस राज्य की जनसंख्या के आधार पर कुल सीटों की संख्या से निर्धारित होती हैं. मध्य प्रदेश की 230 सीट है. जिस हिसाब से प्रदेश में 35 मंत्री बन सकते हैं. इसलिए इस पूरे मामले की न्यायिक समीक्षा जरुरी है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने और शिवराज सरकार के गठन के बाद से ही प्रदेश में सियासी उथल-पुथल जारी है. बीजेपी ने सरकार गठन के बाद दो बार मंत्रिमंडल का विस्तार किया. जिसमें पहले पांच मंत्री बनाए और फिर दूसरी बार में 28 मंत्री बनाए गए. इस तरह अब प्रदेश में सीएम समेत कुल मंत्रियों की कुल संख्या 34 हो गई. शिवराज मंत्रिमंडल पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने आपत्ति दर्ज कराई है, उनका कहना है कि, संविधान के आर्टिकल 164 के हिसाब से मंत्रिमंडल में मंत्रियों की सदस्य संख्या विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या के 15 फीसदी होती है. इस हिसाब से मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री सहित 35 मंत्री हो सकते हैं. लेकिन मौजूदा स्थिति में विधानसभा की 26 सीटें खाली हैं. इसलिए मंत्रिमंडल का गठन भी मौजूदा सीटों के हिसाब से किया जाना चाहिए था.

मंत्रिमंडल पर सवाल

कांग्रेस ने खड़े किए मंत्रिमंडल पर सवाल

कांग्रेस के प्रवक्ता और वकील जेपी धनोपिया कहते हैं कि, विवेक तंखा एडवोकेट जनरल रहे हैं, कानून का बहुत अच्छा ज्ञान है. उन्होंने सही बात कही है कि, आज मध्य प्रदेश में 26 विधानसभा सीटें खाली हैं. तो सदस्यों की संख्या के हिसाब से मंत्रिमंडल के लिए प्रतिशत निकाला जाएगा, तो उतना कम होगा.

बीजेपी का पलटवार

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि, 'विवेक तंखा घालमेल करते हैं, संविधान, न्यायालय, लोकतंत्र और बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और राजनीतिक रोटियां सेकने का काम करते हैं. सरकार के गठन के पहले से लेकर अब तक लगातार कभी राज्यपाल लालजी टंडन के खिलाफ, तो कभी सरकार बनने के दौरान बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ कुछ ना कुछ उन्होंने अड़ंगा जरुर लगाया. सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के पक्ष में निर्णय सुनाया था. विवेक तंखा पहले संविधान के प्रावधान पढ़ लिया करें. क्योंकि वे ना तो इधर सफल है और ना ही राजनीति में सफल है'.

मामले में जानकारों की राय

शिवराज मंत्रिमंडल के गठन पर सुप्रीम कोर्ट के वकील शांतनु सक्सेना का मानना है कि, यह काफी उलझा हुआ मामला है. इस मामले का संविधान के अनुसार अध्ययन करने पर कई तरह की बातें सामने आती हैं. इसलिए इस पहलू की विस्तृत न्यायिक समीक्षा होनी चाहिए. शांतनु सक्सेना कहते हैं कि, विवेक तंखा का कहना है कि, शिवराज सरकार ने मंत्रिमंडल के विस्तार में संविधान के आर्टिकल 164 का उल्लंघन किया है. आज हम विधानसभा का गणित देखें, तो विधानसभा की जो आज संख्या है, उसके अनुसार 15 फीसदी से अधिक लोगों को मंत्री बना दिया गया है, ये बात सही है.

लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि, किसी विधानसभा के कुछ सदस्यों का अगर निधन हो जाए या वे सदस्यता से इस्तीफा दे दें. तो उस हिसाब से अचानक से विधानसभा में सदस्यों की संख्या कम हो जाती है. तो क्या उस परिस्थिति में कुछ मंत्रियों को इस्तीफा दे देना चाहिए. क्योंकि संविधान के अनुसार आर्टिकल- 170 में कहा गया है कि, किसी भी विधानसभा की सीटें उस राज्य की जनसंख्या के आधार पर कुल सीटों की संख्या से निर्धारित होती हैं. मध्य प्रदेश की 230 सीट है. जिस हिसाब से प्रदेश में 35 मंत्री बन सकते हैं. इसलिए इस पूरे मामले की न्यायिक समीक्षा जरुरी है.

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