भोपाल। प्रदेश सरकार ने भले ही जनरल प्रमोशन देकर अंतिम सेमिस्टर के छात्रों को पास कर दिया हो पर ये छात्र अब बेरोजगारी की मार झेलने वाले हैं. प्रदेश में फाइनल ईयर के पास किए लाखों युवाओं पर कोरोना कहर बनकर बरसा है. कोरोना संक्रमण के प्रकोप के चलते इस वर्ष कॉलेजो में कैंपस नहीं आ पाए हैं, जिससे युवाओं के सपने चूर-चूर हो रहे हैं. किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए छात्र सालभर मेहनत करता है और जब वह कॉलेज जाता है तो हजारों सपने दिल में लिए जाता है, लेकिन इस कोरोना काल ने युवाओं के अरमानों पर पानी फेर दिया.
एजुकेशन एक्सपर्ट की राय
एजुकेशन एक्सपर्ट और मैपकास्ट के चेयरमैन अनिल कोठारी ने बताया कोरोना संक्रमण का असर विश्वविद्यालयों में आने वाले कैंपस पर हुआ है. जिसके चलते छात्रों के आगे बहुत चुनौतियां हैं. कैंपस पर कोरोना का असर न केवल इस वर्ष बल्कि अगले आने वाले समय में भी दिखाई देगा. क्योंकि सभी कंपनियां लॉस में हैं हर कंपनी में क्राइसेस चल रहे हैं, जिसके चलते आने वाले फ्रेशर्स को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
![Placement halted due to corona](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7798826_thumbn.png)
संस्थान कर रहे हैं प्रयास
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अविनाश वाजपेयी का कहना है कि हम हमेशा ही चुनौतियों को मौकों में बदलने के लिए जाने जाते हैं. इस बार भी इस कोरोना से लड़ कर कुछ बेहतर करेंगे. वहीं अविनाश वाजपेयी ने बताया की उनके संस्थान से काफी छात्र वर्क फ्रॉम होम के तहत सिलेक्ट हुए हैं और कुछ कंपनियों को और भी वे अप्रोच करेंगे. विश्वविद्यालय पूरा प्रयास करेगा की छात्रों को एक अच्छा प्लेसमेंट दिला सकें.
![Barkatulla University](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7798826_th.png)
संस्थानों के हाल बेहाल
कैंपस प्लेसमेंट को लेकर देश प्रदेश के तमाम संस्थानों के हाल बेहाल हैं. वहीं राजधानी भोपाल के मुख्य संस्थानों की बात करें, जहां अभी तक तकरीबन 80 प्रतिशत छात्रों का प्लेसमेंट हुआ करता था, वहां के छात्र अब रोजगार के लिए भटक रहे हैं. मैनिट जैसे संस्थान अपने छात्रों को रोजगार न दिला पाने से परेशान हैं. वहीं आरजीपीवी और बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के भी हालात कुछ ऐसे ही हैं. फिर भी संस्थाम लगातार अपने स्तर पर छात्रों को कैंपस दिलाने के लिए अप्रोच कर रहे हैं.
![Maulana Azad Institute of Technology](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7798826_thum.png)
मैनिट कर रहा है वर्चुअल कैंपस पर विचार
राजधानी भोपाल स्थित राष्ट्रीय मौलाना आजाद इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में इस वर्ष एक भी कैंपस नहीं आया है, जबकि पिछले वर्ष मैनिट में 90% कैंपस सिलेक्शन हुए थे और 14 लाख के पैकेज पर विदेशी कंपनियां छात्रों को सिलेक्ट कर ले गई थी. न्यूयॉर्क की कंपनी ने मैनिट भोपाल के कई छात्रों को सेलेक्ट किया था. इस वर्ष मार्च में कैंपस होने थे लेकिन लॉकडाउन के चलते कैंपस नहीं हो पाए. मैनिट की प्लेसमेंट अधिकारी अरुणा अग्रवाल ने बताया कि लॉकडाउन का काफी बुरा असर कैंपस पर हुआ है. हालांकि कॉलेज कंपनियों से बात कर वर्चुअल कैंपस मैनेज करने पर विचार कर रहा है.
![Makhanlal Chaturvedi National Journalism University](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7798826_t.png)
आरजीपीवी को कंपनियां नहीं कर रहीं अप्रोच
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में भी जहां पिछले वर्ष 85 कैंपस सलेक्शन हुआ था. वहीं इस वर्ष एक भी कंपनी ने कैंपस के लिए कॉलेज को अप्रोच नहीं किया. बल्कि कॉलेज अपने स्तर पर फोन कॉल कर कैंपस के लिए कंपनियों को एप्रोच कर रहा है. राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की कैंपस प्लेसमेंट ऑफिसर शिखा अग्रवाल ने बताया कि प्रतिवर्ष राजीव गांधी विश्वविद्यालय में काफी कैंपस कंपनियां आती हैं और ज्यादा से ज्यादा बच्चे लेकर जाती हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण केके कारण किसी भी कंपनी का अप्रोच नहीं आया है बल्कि कॉलेज में जिन कंपनियों को अप्रोच किया है वह कम से कम छात्रों को सिलेक्ट करने की बात करती है. अब सितंबर-अक्टूबर तक कंपनियों ने कॉलेज से समय मांगा है.
![Rajiv Gandhi University of Technology](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7798826_thum4.jpg)
बीयू में भी नहीं हो रहे कैंपस
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में भी हालात ऐसे ही हैं बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में भी इस वर्ष कैंपस के लिए कोई कंपनी नहीं आई. बीयू के कुलपति आरजे राव ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण किसी भी कंपनी का अप्रोच अब तक नहीं आया है, लेकिन विश्वविद्यालय अपने स्तर पर छात्रों की समस्याओं को देखते हुए कंपनियों से लगातार संपर्क में है कोशिश की जा रही है अगर कोई कंपनी ऑनलाइन एग्जाम भी लेती है तो उसे भी कॉलेज करने के लिए तैयार है. लेकिन जिस प्रकार इस समय तक बड़ी-बड़ी कंपनियों के अप्रोच विश्वविद्यालय को आते थे वह अब नहीं आ रहे हैं.
एमसीयू में अटके पुराने कैंपस रिजल्ट
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय हिंदी पत्रकारिता के लिए जाना जाता है. यहां देशभर से छात्र एडमिशन लेते हैं. छात्रों के मन में एक ही सपना होता है की डिग्री लेने के बाद जब छात्र कॉलेज से निकलेगा तो किसी मीडिया घराने से जुड़ कर काम करें. लेकिन सभी फील्ड की तरह ही पत्रकारिता में भी जॉब क्राइसेस है. एमसीयू में भी कोई कंपनी अभी तक अप्रोच नहीं कर रही हैं.