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मंत्रिमंडल विस्तार: कुछ में मंत्री नहीं बन पाने की कसक, लेकिन बेफिक्र नजर आ रहे सीएम शिवराज - Madhya Pradesh cabinet expansion

एक अनार सौ बीमार, चार पदों पर दावेदारों की कतार फिलहाल मध्यप्रदेश की राजनीति में कुछ ऐसा ही माहौल दिख रहा है, मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट है लेकिन मुख्यमंत्री इसको लेकर ज्यादा गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं, वजह जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर..

CM Shivraj
सीएम शिवराज
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Published : Dec 5, 2020, 8:11 PM IST

Updated : Dec 5, 2020, 8:46 PM IST

भोपाल: उप-चुनाव की जीत के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. लेकिन वर्तमान समय में शिवराज मंत्रिमंडल में छह पद खाली हैं और दावेदारों की संख्या ज्यादा. शायद यही वजह है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं, क्योंकि इन छह पदों में दो पदों पर सिंधिया समर्थक दो पूर्व मंत्रियों को दोबारा शपथ करानी हैं, ऐसे में खाली चार पदों को लेकर मशक्कत जारी है.


एक अनार सौ बीमार, चार पदों पर दावेदारों की कतार

शिवराज मंत्रिमंडल में छह मंत्री पद खाली हैं, जिनमें से सिंधिया समर्थक दो पूर्व मंत्री जिन्होंने उपचुनाव के दौरान ही मंत्री पद से इस्तीफा दिया था. ऐसे में दो पदों पर विधायक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत की ताजपोशी होना है. वहीं खाली चार मंत्री पद को लेकर दावेदारों की लंबी लाइन लगी हुई है, जिनमें खासतौर से शिवराज के चहेते माने जाने वाले पूर्व मंत्री रामपाल सिंह, राजेंद्र शुक्ला, संजय पाठक, जबलपुर से अजय विश्नोई के अलावा गौरीशंकर बिसेन और विंध्य क्षेत्र से गिरीश गौतम, केदारनाथ शुक्ल, नागेंद्र सिंह हैं. इसके साथ ही भोपाल से प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा, बैरसिया विधायक विष्णु खत्री, होशंगाबाद से बीजेपी विधायक सीताशरण शर्मा शामिल हैं. अब ऐसे में शिवराज के सामने यह भी एक चुनौती है कि आखिर तीन पदों पर दावेदारों की लंबी फेहरिश्त में से वह किन तीन नेताओं को मंत्री बनाएं. शायद यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बार-बार यह कहते नजर आ रहे हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार की कोई जल्दी नहीं है.

एक बार फिर खींचतान

दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी नहीं चाहते कि मौजूदा समय में पार्टी नेताओं के अंदर एक बार फिर खींचतान हो. शायद यही वजह है कि शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार पर ज्यादा गंभीरता से विचार नहीं कर रहे, क्योंकि तीन पद खाली हैं और दावेदारों की कतार लंबी, ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शायद नहीं चाहते कि मौजूदा समय में एक बार फिर पार्टी के नेता मुख्यमंत्री से असंतुष्ट नजर आए, क्योंकि सत्ता परिवर्तन के दौरान जिन पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायकों को मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया था. उनके अंदर कहीं ना कहीं आज भी मंत्री नहीं बन पाने की कसक है.

भोपाल: उप-चुनाव की जीत के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. लेकिन वर्तमान समय में शिवराज मंत्रिमंडल में छह पद खाली हैं और दावेदारों की संख्या ज्यादा. शायद यही वजह है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं, क्योंकि इन छह पदों में दो पदों पर सिंधिया समर्थक दो पूर्व मंत्रियों को दोबारा शपथ करानी हैं, ऐसे में खाली चार पदों को लेकर मशक्कत जारी है.


एक अनार सौ बीमार, चार पदों पर दावेदारों की कतार

शिवराज मंत्रिमंडल में छह मंत्री पद खाली हैं, जिनमें से सिंधिया समर्थक दो पूर्व मंत्री जिन्होंने उपचुनाव के दौरान ही मंत्री पद से इस्तीफा दिया था. ऐसे में दो पदों पर विधायक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत की ताजपोशी होना है. वहीं खाली चार मंत्री पद को लेकर दावेदारों की लंबी लाइन लगी हुई है, जिनमें खासतौर से शिवराज के चहेते माने जाने वाले पूर्व मंत्री रामपाल सिंह, राजेंद्र शुक्ला, संजय पाठक, जबलपुर से अजय विश्नोई के अलावा गौरीशंकर बिसेन और विंध्य क्षेत्र से गिरीश गौतम, केदारनाथ शुक्ल, नागेंद्र सिंह हैं. इसके साथ ही भोपाल से प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा, बैरसिया विधायक विष्णु खत्री, होशंगाबाद से बीजेपी विधायक सीताशरण शर्मा शामिल हैं. अब ऐसे में शिवराज के सामने यह भी एक चुनौती है कि आखिर तीन पदों पर दावेदारों की लंबी फेहरिश्त में से वह किन तीन नेताओं को मंत्री बनाएं. शायद यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बार-बार यह कहते नजर आ रहे हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार की कोई जल्दी नहीं है.

एक बार फिर खींचतान

दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी नहीं चाहते कि मौजूदा समय में पार्टी नेताओं के अंदर एक बार फिर खींचतान हो. शायद यही वजह है कि शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार पर ज्यादा गंभीरता से विचार नहीं कर रहे, क्योंकि तीन पद खाली हैं और दावेदारों की कतार लंबी, ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शायद नहीं चाहते कि मौजूदा समय में एक बार फिर पार्टी के नेता मुख्यमंत्री से असंतुष्ट नजर आए, क्योंकि सत्ता परिवर्तन के दौरान जिन पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायकों को मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया था. उनके अंदर कहीं ना कहीं आज भी मंत्री नहीं बन पाने की कसक है.

Last Updated : Dec 5, 2020, 8:46 PM IST
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