जयपुर. विधानसभा सत्र शुरू होने के साथ ही सदन में हंगामा भी जमकर बरपा. इस दौरान सीएम अशोक गहलोत में मध्य प्रदेश में शुरू किए गए केंद्र के चीता प्रोजेक्ट पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि बीजेपी का काम सिर्फ क्रेडिट लेना है. गहलोत ने कहा कि चीतों को 70 बाद भारत लाना यूपीए की मनमोहन सरकार की योजना थी. उस समय ये प्रोजेक्ट फाइनल में भी गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी थी. एमपी कांग्रेस के नेता जीतू पटवारी भी इससे पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश का एक पुराना ट्वीट री ट्वीट कर चुके हैं. जिसमें जयराम रमेश चीते के साथ नजर आ रहे थे.
यूपीए सरकार की योजना चीता लाना : एक दिन पहले भारत आए चीतों को लेकर गहलोत ने कहा कि ये प्रस्ताव तो (Project Cheetah in 2009) यूपीए गवर्नमेंट का था. बहुत लंबा चला है. अब जो चीते लाए गए हैं, इन्हें लेकर एक्सपर्ट अपनी अलग-अलग राय दे रहे हैं. समय बताएगा किस का क्या परिणाम सामने आएगा. गहलोत ने कहा कि तत्कालीन मंत्री जयराम रमेश खुद गए थे अफ्रीका के अंदर, तब से प्रस्ताव चल रहा है कि चीते लाए जाएं. अच्छी बात है, 70 साल बाद चीते आए हैं तो उनका देश को स्वागत करना चाहिए. हम भी स्वागत कर रहे हैं. अभी कितना सरवाइव करेंगे, कितना नहीं करेंगे इसको लेकर एक्सपर्ट अपनी राय दे रहे हैं. हमेशा इंतजार करना चाहिए.
बीजेपी ने नया मॉडल बना दिया : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के चेंबर के बाहर धरना दे रहे हैं. इनसे पूछो कि ये नौबत क्यों आई ? असेंबली लगातार रखी गई क्यों? मैं बार-बार कह रहा हूं कि बीजेपी ने जो नया मॉडल बनाया देश के अंदर सरकार गिराने का, ये लोकतंत्र में अच्छा नहीं है. हिमाचल प्रदेश, कर्नाटका, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अब अन्य राज्यों में उनकी नजरें हैं. ये अच्छी बात नहीं है. बीजेपी ने अपने आप में हॉर्स ट्रेडिंग का और सरकार गिराने का (Allegations on BJP Over Horse Trading) एक मॉडल बना दिया है.
राज्यपाल को मजबूर किया : गहलोत ने विधानसभा के सत्रावसान को लेकर बीजेपी की ओर से उठाए जा रहे सवालों पर कहा कि हमने जानबूझकर कर नियमित रखा. सत्रावसान नहीं किया, लेकिन इसकी नौबत क्यों आई. पिछली बार बीजेपी के लोगों ने राज्यपाल को मजबूर कर दिया कि विधानसभा सत्र नहीं बुलाए. कैबिनेट रिक्वेस्ट कर रही कि राज्यपाल विधानसभा सत्र बुलाए, लेकिन विधानसभा सत्र नहीं बुलाया गया, जो आज तक इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ.
गहलोट ने कहा कि जिस तरह से विधानसभा सत्र को लेकर राज्यपाल की भूमिका रही, उसको लेकर एडिटोरिय लिखे गए पहले कभी नहीं लिखे गए. गहलोट ने कहा कि यह भी अपने आप में एक इतिहास है, अब तक उल्टा होता है. जब बहुमत नहीं होता तो राज्यपाल निर्देश देता है कि सरकार अपना असेंबली बुलाकर अपना बहुमत सिद्ध करें, यहां उल्टा हो गया. हम विधानसभा सत्र बुलाना चाह रहे थे और राज्यपाल विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दे रहे थे. इसलिए यह नौबत आई कि हमें जानबूझकर विधानसभा सत्र का सत्रावसान नहीं किया.
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यही नहीं, गहलोत ने कहा कि नई विधानसभा इसलिए नहीं बुलाई, क्योंकि पता नहीं इनकी नियत कब खराब हो जाए, फिर सरकार गिराने की कोशिश हो जाए. यह तो कभी भी सरकार गिरा सकते हैं. इसलिए नियमित विधानसभा का निर्णय (CM Ashok Gehlot Targets Governor Kalraj Mishra) जानबूझकर किया है. गहलोत ने कहा कि इसकी वजह से हम कोई अध्यादेश लाते, वह नहीं ला पाए.
धरने के नाटक कर रहे हैं : विपक्ष के धरने पर गहलोत ने कहा कि आज ये धरना देकर नाटक कर रहे हैं. नाटक करना है, धरना देना है तो दिल्ली में जाइए. गौवंश में फैले लंपी रोग को राष्ट्रीय आपदा घोषित कराएं. हमने तो 15 अगस्त को ही मीटिंग बुलाकर विपक्षी नेताओं, धर्मगुरुओं से बात की. हमारी प्राथमिकता लंबी स्किन रोग से गायों को बचाना है, जो भी संसाधन उपलब्ध करा सकते हम उसको उपलब्ध करा रहे हैं. हम तो पहले दिन से कह रहे हैं कि लंपी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करो. यह राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की तो बात केंद्र सरकार से कर नहीं रहे, लेकिन यहां पर नाटक कर रहे है धरना देने का.
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