भोपाल। दुनिया में शायद पहले कहीं ऐसा हुआ हो जब वन्य प्राणियों की शिफ्टिंग करीब साढ़े 8 हजार किलोमीटर दूर हुई हो, लेकिन जल्द ही यह होने जा रहा है, जब नामीबिया के चीतों को मध्यप्रदेश के कूनो में अपना नया घर मिलेगा. हालांकि किस दिन चीतों को लाया जाएगा, इसकी खबर मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह तक को नहीं हैं. दुनिया की पहली इतनी लंबी दूरी की शिफ्टिंग की वजह से वन्य प्राणी विशेषज्ञ फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं. शिफ्टिंग के पहले चीतों के व्यवहार का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है, इसके बाद ही उनकी शिफ्टिंग का अंतिम प्लान तैयार किया जाएगा. अभी तक यही माना जा रहा है कि चीतों को खास एयरक्रॉफ्ट से पहले दिल्ली इसके बाद हवाई मार्ग से ग्वालियर और वहां से 200 किलामीटर कूनो तक सड़क मार्ग से लेकर जाया जाएगा.
चीतों के व्यवहार से तय होगा अंतिम प्लान: चीतों को कूनो लाने के पहले वन्यजीव विशेषज्ञ उनके व्यवहार का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं. इसके आधार पर ही उनकी शिफ्टिंग को लेकर अंतिम प्लान तैयार किया जाएगा. नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के वन्यजीव ट्रस्ट का लुप्तप्राय चीतों का सड़क और हवाई मार्ग से शिफ्टिंग का पूर्व में भी अच्छा अनुभव रहा है. इसी आधार पर चीतों की मध्यप्रदेश तक शिफ्टिंग को लेकर प्रोटोकॉल तैयार किया गया है. बताया जाता है कि वन्यजीवों के परिवहन के लिए अंतरराट्रीय हवाई परिवहन संघ के नियमों को ध्यान में रखकर चीतों के परिवहन के लिए केज तैयार किया गया है. इन्हें कमर्शियल एयरलाइंस की मदद से भारत लाया जाएगा. वन्यजीव विशेषज्ञों की कोशिश है कि नामीबिया से दिल्ली और फिर मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क तक के सफर को कम समय में और सुरक्षित तरीके से पूरा किया जाए.
8 हजार 6 किमी तक 'उड़कर' आएंगे चीते: कूनों अभ्यारण्य की अपने नए घर तक आने के लिए चीतों को करीब साढे 8 हजार किलोमीटर का सफर तय करना होगा. चीतों को कमर्शियल फ्लाइट से नामीबिया से दिल्ली-ग्वालियर फिर सड़क मार्ग से कूनों पहुंचाया जाएगा.
- नामीबिया से दिल्ली की हवाई मार्ग से दूरी 8 हजार 177 किलोमीटर है. हवाई मार्ग से चीतों को नामीबिया के विंडहॉक एयरपोर्ट से दिल्ली तक पहुंचने में करीब 12 घंटे लगेंगे.
- दिल्ली से ग्वालियर की हवाई मार्ग की दूरी 323 किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में 55 मिनिट लगेंगे.
- ग्वालियर से कूनो तक सड़क मार्ग से ले जाने में करीब 4 घंटे का समय लगेगा.
चीतों को शिकार के लिए मिलेगा चीतल: कूनो नशनल पार्क के डीएफओ प्रकाश वर्मा कहते हैं कि कूनो नेशनल पार्क में नरसिंहगढ़ से 177 और पेंच से 66 चीतलों को छोड़ा गया है. चीते इनका शिकार कर सकेंगे. चीते झुंड में भी शिकार करते हैं, इसलिए जो चीतल बड़े हैं, उनका वह एक साथ मिलकर और जो छोटे हैं उनका अकेले शिकार कर सकेंगे. हालांकि साउथ अफ्रीकन चीता हमेशा गजेल (चिंकारा) का ही शिकार करते हैं, इसलिए वे यहां पहली बार चीतल को देखेंगे.
वनमंत्री को नहीं पता कब आएंगे चीते: मध्यप्रदेश के कूनो में चीतों को कब लाया जाएगा, इसके बारे में प्रदेश के वन विभाग के आला अधिकारियों से लेकर विभाग के मुखिया वन मंत्री विजय शाह तक को जानकारी नहीं है. वन मंत्री विजय शाह कहते हैं कि नाबीमिया के साथ 8 चीतों को लाने का भारत सरकार का एग्रीमेंट हुआ है. यह दो देशों का मामला है। चीतों को लेकर हर दिन की जानकारी हमें नहीं दी जाती. साउथ अफ्रीका से अभी तक चीतों को लेकर अनुबंध नहीं हुआ है, इसलिए नामीबिया से ही चीते लाए जा रहे हैं. हम चाहते हैं कि 1 नवंबर के पहले तक यह चीते मध्यप्रदेश आएं. वन विभाग के अधिकारी को भी पता नहीं है कि आखिर किस दिन चीतों को मध्यप्रदेश लाया जाएगा.