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लापरवाह अधिकारी सावधान! सहकारी बैंकों में गड़बड़ी रोकने के लिए बनी रिटायर्ड अधिकारियों की टीम, रखेगी पैनी निगाह

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Published : Sep 21, 2021, 10:56 PM IST

सहकारी बैंकों (Sahkari Bank) में गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए बैंक के रिटायर्ड अधिकारी (Retired Officer) और चार्टर्ड अकाउंटेंट (Chartered Accountant) की टीम पैनी निगाह रखेगी. प्रदेश स्तर पर बैंकों के रिटायर्ड अधिकारियों और सीए (CA) की टीम कड़ी माॅनिटरिंग करेंगी. इसके अलावा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक और प्राथमिक साख सहकारी समिति का हर साल एक बार विस्तृत ऑडिट किया जाएगा. इस व्यवस्था से बैंकों में पारदर्शिता बढ़ेगी.

To check the irregularities, the team of retired officers and chartered accountants of the bank will keep a close watch.
गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए बैंक के रिटायर्ड अधिकारी और चार्टर्ड अकाउंटेंट की टीम रखेगी पैनी निगाह.

भोपाल। प्रदेश के सहकारी बैंकों (Sahkari Bank) में गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए बैंक के रिटायर्ड अधिकारी (Retired Officer) और चार्टर्ड अकाउंटेंट (Chartered Accountant) की टीम पैनी निगाह रखेगी. सहकारिता विभाग गड़बड़ियां रोकने के लिए प्रदेश स्तर पर ऑडिट सेल (Audit Cell) का गठन करने जा रहा है. यह टीम जिला बैंकों द्वारा तैयार की जाने वाली ऑडिट रिपोर्ट का नए सिरे से स्टडी करेगी और अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी.

लगातार होगी लापरवाह अधिकारियों की माॅनिटरिंग

तमाम सख्ती के बाद भी प्रदेश के सहकारी बैंकों में गड़बड़ियां रूकने का नाम नहीं ले रही हैं. बीते करीब 3 सालों के दौरान सहकारी बैंकों में करीब 150 करोड़ रुपए के घोटाले सामने आ चुके हैं. इनमें 111 करोड़ के घोटाले सिर्फ भोपाल (Bhopal) में हो चुके हैं, भोपाल के अलावा रीवा (Rewa) में 23 करोड़, छिंदवाड़ा (Chhindwara) में 30 करोड़, राजगढ़ (Rajgarh) में 5.5 करोड़ छतरपुर (Chhatarpur) में 2.5 करोड और ग्वालियर (Gwalior) में 2.5 करोड़ के घोटाले हो चुके हैं. ताजा मामला शिवपुरी (Shivpuri) का सामने आया है, जहां करीब 100 करोड़ की गड़बड़ी की शिकायत विभाग को मिली है. प्रदेश में 38 जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक हैं.

करोड़ों की हुई हेराफेरी

  • शिवपुरी के जिला सहकारी बैंक में सीबीएस सिस्टम में ऋण वितरण के आंकड़ों में 100 करोड़ रुपए का अंतर पाया गया है. बैंक स्तर लेखा कक्ष के द्वारा मांग राशि 184 करोड़ है, जबकि सीबीएस कोर कम्प्यूटर के आधार पर यह राशि 287 करोड़ दिख रही है. मामले को लेकर सहकारिता विभाग ने जांच शुरू कर दी है.
  • शिवपुरी के जिला सहकारी बैंक की कोलारस शाखा में हाल ही में 5 करोड 31 लाख रुपए के गबन का मामला सामने आया है. मामले में पिछली 27 अगस्त को बैंक के अकाउंट मैनेजर की शिकायत पर पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है.
  • भोपाल के जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड में साल 2018 में तत्कालीन एमडी रमाशंकर विश्वकर्मा और अन्य अधिकारियों ने मिलीभगत कर नियम विरूद्ध तरीके से इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज की दो सहयोगी कंपनियों आईएलएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क लिमिटेड और आईएलएफएस एंड टेक्नोलाॅजी सर्विस लिमिटेड में 800 करोड़ का निवेश किया. जबकि निजी कंपनियों और अद्योसंरचना से जुड़ी कंपनियों में निवेश नहीं किया जा सकता था.


गड़बड़ियों पर लगेगी लगाम

जिला सहकारी बैंकों के अधिकारियों पर नकेल कसने और गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए अब प्रदेश स्तर पर बैंकों के रिटायर्ड अधिकारियों और सीए (CA) की टीम कड़ी माॅनिटरिंग करेंगी. इसके अलावा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक और प्राथमिक साख सहकारी समिति का हर साल एक बार विस्तृत ऑडिट किया जाएगा. इस ऑडिट का प्रदेश स्तर की टीम बारीकी से परीक्षण करेगी, इसके बाद पूरी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी. सहकारिता विभाग के मंत्री अरविंद भदौरिया (Arvind Bhadoria) के मुताबिक निरीक्षण का दायरा बढाया जा रहा है. इसके लिए अधिकारियों को जिलों का आवंटन किया गया है. यह अधिकारी संबंधित जिलों के बैंकों की आय-व्यय के लेखों का गहराई से परीक्षण करेंगे. इस व्यवस्था से बैंकों में पारदर्शिता बढ़ेगी.

भोपाल। प्रदेश के सहकारी बैंकों (Sahkari Bank) में गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए बैंक के रिटायर्ड अधिकारी (Retired Officer) और चार्टर्ड अकाउंटेंट (Chartered Accountant) की टीम पैनी निगाह रखेगी. सहकारिता विभाग गड़बड़ियां रोकने के लिए प्रदेश स्तर पर ऑडिट सेल (Audit Cell) का गठन करने जा रहा है. यह टीम जिला बैंकों द्वारा तैयार की जाने वाली ऑडिट रिपोर्ट का नए सिरे से स्टडी करेगी और अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी.

लगातार होगी लापरवाह अधिकारियों की माॅनिटरिंग

तमाम सख्ती के बाद भी प्रदेश के सहकारी बैंकों में गड़बड़ियां रूकने का नाम नहीं ले रही हैं. बीते करीब 3 सालों के दौरान सहकारी बैंकों में करीब 150 करोड़ रुपए के घोटाले सामने आ चुके हैं. इनमें 111 करोड़ के घोटाले सिर्फ भोपाल (Bhopal) में हो चुके हैं, भोपाल के अलावा रीवा (Rewa) में 23 करोड़, छिंदवाड़ा (Chhindwara) में 30 करोड़, राजगढ़ (Rajgarh) में 5.5 करोड़ छतरपुर (Chhatarpur) में 2.5 करोड और ग्वालियर (Gwalior) में 2.5 करोड़ के घोटाले हो चुके हैं. ताजा मामला शिवपुरी (Shivpuri) का सामने आया है, जहां करीब 100 करोड़ की गड़बड़ी की शिकायत विभाग को मिली है. प्रदेश में 38 जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक हैं.

करोड़ों की हुई हेराफेरी

  • शिवपुरी के जिला सहकारी बैंक में सीबीएस सिस्टम में ऋण वितरण के आंकड़ों में 100 करोड़ रुपए का अंतर पाया गया है. बैंक स्तर लेखा कक्ष के द्वारा मांग राशि 184 करोड़ है, जबकि सीबीएस कोर कम्प्यूटर के आधार पर यह राशि 287 करोड़ दिख रही है. मामले को लेकर सहकारिता विभाग ने जांच शुरू कर दी है.
  • शिवपुरी के जिला सहकारी बैंक की कोलारस शाखा में हाल ही में 5 करोड 31 लाख रुपए के गबन का मामला सामने आया है. मामले में पिछली 27 अगस्त को बैंक के अकाउंट मैनेजर की शिकायत पर पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है.
  • भोपाल के जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड में साल 2018 में तत्कालीन एमडी रमाशंकर विश्वकर्मा और अन्य अधिकारियों ने मिलीभगत कर नियम विरूद्ध तरीके से इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज की दो सहयोगी कंपनियों आईएलएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क लिमिटेड और आईएलएफएस एंड टेक्नोलाॅजी सर्विस लिमिटेड में 800 करोड़ का निवेश किया. जबकि निजी कंपनियों और अद्योसंरचना से जुड़ी कंपनियों में निवेश नहीं किया जा सकता था.


गड़बड़ियों पर लगेगी लगाम

जिला सहकारी बैंकों के अधिकारियों पर नकेल कसने और गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए अब प्रदेश स्तर पर बैंकों के रिटायर्ड अधिकारियों और सीए (CA) की टीम कड़ी माॅनिटरिंग करेंगी. इसके अलावा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक और प्राथमिक साख सहकारी समिति का हर साल एक बार विस्तृत ऑडिट किया जाएगा. इस ऑडिट का प्रदेश स्तर की टीम बारीकी से परीक्षण करेगी, इसके बाद पूरी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी. सहकारिता विभाग के मंत्री अरविंद भदौरिया (Arvind Bhadoria) के मुताबिक निरीक्षण का दायरा बढाया जा रहा है. इसके लिए अधिकारियों को जिलों का आवंटन किया गया है. यह अधिकारी संबंधित जिलों के बैंकों की आय-व्यय के लेखों का गहराई से परीक्षण करेंगे. इस व्यवस्था से बैंकों में पारदर्शिता बढ़ेगी.

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