इंदौर। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल जानते हैं कि अगर उपचुनाव में जीत हासिल करना है तो आदिवासी वोट बैंक को अपने पाले में करना बेहद जरूरी है. यही वजह है कि शिवराज सिंह हों या कमलनाथ दोनों आदिवासी वोट बैंक पर अपना दावा मजबूत करने और आदिवासियों को लुभाने के लिए तमाम घोषणाओं के साथ साथ धर्म का सहारा लेने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं. हालांकि इस कोशिश में बीजेपी, फिलहाल कांग्रेस से आगे निकलती दिख रही है. पार्टी आदिवासी क्षेत्रों में रामलीला की तर्ज पर शबरी लीला का आयोजन करने जा रही है.
आदिवासियों के राम, शबरी लीला के जरिए संदेश देगी बीजेपी
पहले तो खंडवा लोकसभा सीट सहित 3 विधानसभाओं को जीतने की जंग और इसके साथ ही 2023 की तैयारी. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही आदिवासियों को लुभाने की जी तोड़ कोशिश कर रही हैं. बीजेपी इस लड़ाई में आगे निकलती दिखाई दे रही है. उपचुनाव में सभी चारों सीटों को जीतने का दावा करने वाली बीजेपी आदिवासी समाज के बीच अपनी पैठ मजबूत करने के लिए भगवान राम और वनवासी समाज से आने वाली प्रभु श्रीराम की अनन्य भक्त शबरी को आगे लाई है. आदिवासी वोट बैंक का समर्थन हासिल करने के लिए प्रदेश के 89 ब्लॉक में भाजपा रामलीला के साथ ही शबरी लीला का भी मंचन कराने जा रही है. प्रदेश की संस्कृति एंव पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने मंगलवार को इंदौर के महू से शबरी लीला कार्यक्रम की शुरूआत भी कर दी.
भाजपा को फायदा दिलाएगी 'शबरी लीला'
बीजेपी की इस मुहिम का मकसद साफ है. पार्टी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को वनवासी राम और शबरी के राम बताकर आदिवासी समाज से जोड़ रही है. पार्टी का मानना है कि ऐसा करने से आदिवासी समाज पार्टी के साथ मजबूती से जुड़ेगा और ऐसा हुआ तो उपचुनाव ही नहीं 2023 के राज्य विधानसभा चुनावों में भी आदिवासी समाज के साथ से एमपी में कमल ही खिलेगा. शबरी लीला की शुरूआत करते हुए पर्यटन मंत्री ने भी यही भगवान राम और वनवासियों के बीच के अनूठे और अदभुत संबध का जिक्र करते हुए यही संदेश देने की कोशिश की है.