भोपाल। मध्य प्रदेश की 27 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा एक बार फिर सियासी केंद्र में होगा. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां इस मुद्दे को उपचुनाव में भुनाना चाहेंगी. कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर आरोप लगाया है कि कमलनाथ सरकार के वक्त किसानों का दो लाख रुपए तक कर्ज माफ करने का काम किया गया था. लेकिन शिवराज सरकार ने यह योजना बंद करके बीजेपी ने किसानों के साथ धोखा किया है. वहीं बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने किसानों की कर्जमाफी की ही नहीं है क्योंकि आज तक किसी किसान के बैंक खाते से यह प्रमाण नहीं मिला की किसानों का कर्जमाफ हुआ है.
पूर्व कृषि मंत्री ने साधा शिवराज सरकार पर निशाना
कमलनाथ सरकार में कृषि मंत्री रहे सचिन यादव का कहना है कि बीजेपी की प्राथमिकता में ना तो पहले कभी किसान था और भविष्य में भी नहीं होगा. किसानों की ऋणमाफी करने की योजना कांग्रेस सरकार ने चलाई थी. किसानों को सक्षम बनाने और ऋण के बोझ से बाहर लाने का संकल्प मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने किया था. लेकिन बीजेपी ने उसे पूरा नहीं होने दिया. हमने विपरीत परिस्थितियों में चरणबद्ध तरीके से ऋण माफी की थी. आज बीजेपी ऋण माफी पर सवाल उठा रही है, तो वह खुद अपने घर परिवार के लोगों से चर्चा करें. सीएम शिवराज के परिवार के लोगों का भी कर्जमाफ हुआ था. उपचुनाव में हम बीजेपी का झूठ सबके सामने लाएंगे.
कांग्रेस चलाएगी अभियान
कांग्रेस के किसान नेता दिनेश गुर्जर का कहना है कि हम कांग्रेस के कार्यकर्ता किसान भाइयों के बीच में जाकर वीडियो बनाएंगे. उनसे बात करेंगे कि उनकी कर्जमाफी हुई है. ताकि बीजेपी को बताया जा सके कि किसान भाई खुद कह रहे हैं कि उनका कर्जा माफ हुआ है. जिससे सीएम शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी का झूठ जनता के सामने आ सके. बीजेपी ने हमेशा किसानों पर जुल्म किया है. बीजेपी जनता के बीच जो झूठ फैला रही कांग्रेस उसका पर्दाफाश जरूर करेगी.
बीजेपी का पलटवार
कांग्रेस के अभियान पर बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल पलटवार करते हुए कहते हैं कि किसानों की कर्जमाफी कांग्रेस नेताओं के भाषणों से नहीं हुई और ना होने वाली है. चाहे ये लोग वीडियो बनाए या विज्ञापन करें. अगर कांग्रेस ने कर्जमाफी की है तो किसानों के कर्ज माफी उनके बैंक के खातों से, उनके कागजातों से, उनकी एनओसी से सिद्ध होगी.
किसानों को भटकाने का जतन कम से कम विपक्ष में पहुंचने के बाद कांग्रेस न करे तो अच्छा है. सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने किसानों को जमकर ठगा था. यह सच्चाई है कि किसानों का कर्ज माफ इन्होंने नहीं किया. यह सरकार के वित्तीय दस्तावेज उजागर करते हैं. बाकी जनता कांग्रेस का झूठ स्वीकार नहीं करेगी.
कांग्रेस और बीजेपी नेताओं के दांवों से इतना तो तय है कि दोनों पार्टियों के एजेंडे में किसान होंगे. कांग्रेस जहां शिवराज सरकार पर कर्जमाफी योजना बंद करने का आरोप लगा रही है. तो बीजेपी कमलनाथ सरकार पर अधूरी कर्जमाफी करने का दावा करती है. ऐसे में दोनों पार्टियों के नेताओं के दावों पर गौर किया जाए तो इतना तय है कि आने वाले उपचुनावों में किसानों की कर्जमाफी पर जमकर सियासत होने वाली है. यानि प्रदेश का अन्नदाता एक फिर से सत्ता पाने के लिए सियासत के केंद्र में होगा.