भोपाल। ईटीवी भारत की एक और खबर का असर हुआ है. मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा संस्कृति, साहित्य और कला के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं को अनुदान दिया गया था. जिसमें देश और दुनिया में अपना नाम कमा चुकी भोपाल सहित कई बड़ी संस्थाओं को छोड़ दिया गया था. अब इस मामले में संस्कृति विभाग की मंत्री उषा ठाकुर ने कहा है कि ''शिकायत के बाद उन्होंने एक कमेटी बनाई है, जो फिर से इन संस्थाओं का रिव्यू कर रही हैं. जांच के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा और पूरा मामला पारदर्शिता के साथ होगा''.
ये था मामला: मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग की कला संस्कृति साहित्य के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं के लिए जारी हुई अनुदान सूची सवालों के घेरे में है. सवाल इसलिए कि विभाग ने उन संस्थाओं को अनुदान के लायक ही नहीं समझा, जो कला संस्कृति और रंगमंच के क्षेत्र में देश दुनिया में मध्यप्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं. करीब एक करोड़ 90 लाख की अनुदान राशि की जो सूची जारी की गई है उसमें 365 संस्थाओं के नाम दर्ज हैं. हैरत की बात ये है कि कला संस्कृति और थियेटर में काम करने वाली संस्थाएं भले बाहर हुई हों लेकिन एनजीओ को सूची में एंट्री मिल गई है. सवाल उठ रहे हैं कि इन संस्थाओं का चुनाव किसका है. और क्या एक खास विचारधारा से जुड़ी संस्थाओं को नवाजने के लिए संस्कृति विभाग ने ये पूरा खेला किया है.
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