भोपाल। पूरी दुनिया के लिए मुसीबत बनते जा रहे कोरोना वायरस के चलते हुए लॉक डाउन से न केवल आम जनजीवन ठप हुआ है, बल्कि शहरों के विकास की गति पर भी ब्रेक लगा है. राजधानी भोपाल में करोड़ों की विकास योजनाएं रुक गईं हैं. भोपाल में विकास की गति को पंख लगाने के लिए लंबे समय बाद मेट्रो के पहले चरण का काम शुरू हुआ था. जो लॉकडाउन से रुक गया. तो वहीं राजधानी के अन्य कई प्रस्तावित प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में चले गए.
भोपाल का मेट्रो प्रोजेक्ट प्रदेश का ड्रीम प्रोजेक्ट था. तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के कार्यकाल में मेट्रो प्रोजेक्ट लाया गया था. तो हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मेट्रो प्रोजेक्ट के पहले चरण में 27 किलोमीटर के दो कॉरिडोर बनाने का शिलान्यास किया था, जिसे 2022 तक पूरा किया जाने का लक्ष्य है, लेकिन लॉकडाउन से तेजी से हो रहे मेट्रो के काम को भी रोक दिया.
शहर के विकास की गतिविधियों से जुड़े आर्थिक विशेषज्ञ संतोष अग्रवाल कहते हैं कि मध्य प्रदेश पर करीब पौने 2 लाख करोड़ का कर्ज है, पिछले 1 साल में ही सरकार करीब 20 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है. कोरोना से उबरने के बाद सरकार की असली चुनौती शुरू होगी. ऐसे में मेट्रो जैसे प्रोजेक्ट को गति देना, सरकार के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं होगा.
लॉक डाउन की वजह से मेट्रो का काम लंबा खिंच सकता है. केवल मेट्रो ही नहीं राजधानी भोपाल में करोड़ों के विकास कार्य चल रहे थे. जो इस वक्त रुके हैं, सुभाष नगर क्षेत्र में ट्रैफिक के दबाव को कम करने के लिए बन रहे ओवर ब्रिज का काम बंद है. जिसका असर मजदूरों पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है. यानि लॉक डाउन ने राजधानी की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया. अब बड़ा सवाल ये है कि इन कामों के लिए सरकार ने बाजार से लोन भी उठाया है, लेकिन समय से काम पूरा न होने की वजह से प्रदेश के खजाने पर भार बढ़ेगा. जिसका सीधा असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर होगा.