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Bhopal Hospital Fire: मृत बच्चे के परिजनों का शव लेने से इंकार, डीएनए से होगा फैसला

एमपी की राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल परिसर में स्थित कमला नेहरु अस्पताल में हुए हादसे में मृत चार बच्चों में से एक के परिजन ने शव लेने से इंकार कर दिया है. परिजनों द्वारा संशय व्यक्त किया गया इस कारण से उनकी सहमति से डीएनए सेम्पल (DNA Sample) लेकर लेब भेजा गया एवं पोस्टमार्टम किये जाने के बाद मच्र्युरी (Morchary in hospital) में सुरक्षित रखा गया है. प्रशासन और सरकार मौत का आंकड़ा (Death data) चार बता रही है जबकि कांग्रेस ने 48 घंटों में मरने वाले बच्चों की संख्या 14 बताया है.

Bhopal Hospital Fire: Refuse to take dead body of dead child's family
Bhopal Hospital Fire: मृत बच्चे के परिजनों का शव लेने से इंकार
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Published : Nov 11, 2021, 1:42 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल परिसर में स्थित कमला नेहरु अस्पताल में हुए हादसे में मृत चार बच्चों में से एक के परिजन ने शव लेने से इंकार कर दिया है, क्योंकि वह उसे अपना बच्चा मान ही नहीं रहे हैं. लिहाजा उसका डीएनए कराया जा रहा है. फिलहाल बच्चे का शव पोस्टमार्टम किये जाने के बाद मच्र्युरी (Morchary in hospital) में सुरक्षित रखा गया है. ज्ञात हो कि सोमवार की रात को कमला नेहरु अस्पताल में आग लगने से हादसा हुआ था. प्रशासन और सरकार मौत का आंकड़ा (Death data) चार बता रही है जबकि कांग्रेस ने 48 घंटों में मरने वाले बच्चों की संख्या 14 बताया है. सरकार पर मौत के आंकड़े छुपाने के भी आरोप लगे है.

कलेक्टर अविनाश लवानिया ने राज्य शासन को भेजी रिपोर्ट

जिलाधिकारी अविनाश लवानिया ने राज्य शासन को जो रिपोर्ट भेजी है उसमें कहा गया है, 'कमला नेहरू अस्पताल में एसएनसीयू के आऊटबॉर्न वार्ड में भर्ती एक बच्चे के वेंटीलेटर को वहां उपस्थित ड्यूटी डॉक्टर व उनके सहयोगी द्वारा चालू करने के लिये प्लग लगाया गया, जिसके थोड़ी देर पश्चात अचानक उसमें स्पार्क से आग लग गई जिसे वहीं उपस्थित डॉक्टर द्वारा फायर एक्स्टींगविशर (fire extinguisher) की सहायता से तुरंत आग बुझाने का प्रयास किया गया यद्यापि आग पर काबू पा लिया गया किन्तु पूरे कमरे में धुंआ फैल गया तथा उसके पश्चात भी वेंटीलेटर (ventilator) के अन्दर से धुंआ निकलता रहा, जिससे कमरे में एवं आसपास काफी मात्रा में धुंआ फैल गया. घटना के समय उपस्थित मेडीकल स्टाफ एवं बच्चों के परिजनों ने आसपास की खिड़कियों के कांच तोड़ दिये जिससे धुएं का निकास आसानी से हो सके, साथ ही अस्पताल प्रबंधन द्वारा तत्काल फायर ब्रिगेड (fire brigade) को सूचित कर बुलाया गया'.

मध्य प्रदेश: लापरवाही पड़ी भारी, अस्पताल में 15 सालों से नहीं हुआ ऑडिट

कलेक्टर लवानिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'विभागाध्यक्ष द्वारा बताया गया कि कुल 40 बच्चे वॉर्ड में भर्ती थे जिनमें से 36 बच्चों को सकुशल शिफ्ट किया गया एवं चार बच्चों जिनकी दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी उनको मच्र्युरी (Morchary in hospital) भेजा गया. स्थिति सामान्य होने पर सकुशल शिफ्ट किये गये नवजात शिशुओं को उनके परिजनों को दिखाया गया. सभी परिजनों द्वारा अपने-अपने बच्चों की पहचान कर ली गई तथा घटना में जिन चार बच्चों की मृत्यु हो गई उसमें से तीन बच्चों को उनके परिजनों को पोस्टमार्टम उपरांत सौंपा गया एवं एक बच्चे के परिजनों द्वारा संशय व्यक्त किया गया इस कारण से उनकी सहमति से डीएनए सेम्पल (DNA Sample) लेकर लेब भेजा गया एवं पोस्टमार्टम किये जाने के बाद मच्र्युरी (Morchary in hospital) में सुरक्षित रखा गया है.'

इनपुट - आईएएनएस

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल परिसर में स्थित कमला नेहरु अस्पताल में हुए हादसे में मृत चार बच्चों में से एक के परिजन ने शव लेने से इंकार कर दिया है, क्योंकि वह उसे अपना बच्चा मान ही नहीं रहे हैं. लिहाजा उसका डीएनए कराया जा रहा है. फिलहाल बच्चे का शव पोस्टमार्टम किये जाने के बाद मच्र्युरी (Morchary in hospital) में सुरक्षित रखा गया है. ज्ञात हो कि सोमवार की रात को कमला नेहरु अस्पताल में आग लगने से हादसा हुआ था. प्रशासन और सरकार मौत का आंकड़ा (Death data) चार बता रही है जबकि कांग्रेस ने 48 घंटों में मरने वाले बच्चों की संख्या 14 बताया है. सरकार पर मौत के आंकड़े छुपाने के भी आरोप लगे है.

कलेक्टर अविनाश लवानिया ने राज्य शासन को भेजी रिपोर्ट

जिलाधिकारी अविनाश लवानिया ने राज्य शासन को जो रिपोर्ट भेजी है उसमें कहा गया है, 'कमला नेहरू अस्पताल में एसएनसीयू के आऊटबॉर्न वार्ड में भर्ती एक बच्चे के वेंटीलेटर को वहां उपस्थित ड्यूटी डॉक्टर व उनके सहयोगी द्वारा चालू करने के लिये प्लग लगाया गया, जिसके थोड़ी देर पश्चात अचानक उसमें स्पार्क से आग लग गई जिसे वहीं उपस्थित डॉक्टर द्वारा फायर एक्स्टींगविशर (fire extinguisher) की सहायता से तुरंत आग बुझाने का प्रयास किया गया यद्यापि आग पर काबू पा लिया गया किन्तु पूरे कमरे में धुंआ फैल गया तथा उसके पश्चात भी वेंटीलेटर (ventilator) के अन्दर से धुंआ निकलता रहा, जिससे कमरे में एवं आसपास काफी मात्रा में धुंआ फैल गया. घटना के समय उपस्थित मेडीकल स्टाफ एवं बच्चों के परिजनों ने आसपास की खिड़कियों के कांच तोड़ दिये जिससे धुएं का निकास आसानी से हो सके, साथ ही अस्पताल प्रबंधन द्वारा तत्काल फायर ब्रिगेड (fire brigade) को सूचित कर बुलाया गया'.

मध्य प्रदेश: लापरवाही पड़ी भारी, अस्पताल में 15 सालों से नहीं हुआ ऑडिट

कलेक्टर लवानिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'विभागाध्यक्ष द्वारा बताया गया कि कुल 40 बच्चे वॉर्ड में भर्ती थे जिनमें से 36 बच्चों को सकुशल शिफ्ट किया गया एवं चार बच्चों जिनकी दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी उनको मच्र्युरी (Morchary in hospital) भेजा गया. स्थिति सामान्य होने पर सकुशल शिफ्ट किये गये नवजात शिशुओं को उनके परिजनों को दिखाया गया. सभी परिजनों द्वारा अपने-अपने बच्चों की पहचान कर ली गई तथा घटना में जिन चार बच्चों की मृत्यु हो गई उसमें से तीन बच्चों को उनके परिजनों को पोस्टमार्टम उपरांत सौंपा गया एवं एक बच्चे के परिजनों द्वारा संशय व्यक्त किया गया इस कारण से उनकी सहमति से डीएनए सेम्पल (DNA Sample) लेकर लेब भेजा गया एवं पोस्टमार्टम किये जाने के बाद मच्र्युरी (Morchary in hospital) में सुरक्षित रखा गया है.'

इनपुट - आईएएनएस

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