भोपाल। राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल हमीदिया में पीएम केयर फंड से आए वेंटीलेटर खराब निकल रहे हैं. ईटीवी भारत ने मंगलवार को इसे लेकर खबर भी प्रसारित की थी. इन वेंटिलेटर्स में तकनीकी खराबी आ रही है जो यहां भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रही है. गांधी मेडिकल कॉलेज को 90 वेंटिलेटर पीएम केयर फंड से मिले हैं जिन्हें भोपाल के हमीदिया,जेपी और मेडिकल कॉलेज में यूज किया जा रहा है. वेंटिलेटर्स की तकनीकी खामी को दूर करने के लिए एक टेक्नीकल टीम भी गठित कर ली गई है. जिसके बाद इन वेंटिलेटर्स को ठीक करके यूज किया जा रहा है.
हमीदिया हॉस्पिटल में 9 वेंटिलेटर हुए खराब
राजधानी के हमीदिया अस्पताल में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए पीएम केयर फंड से अभी तक 48 वेंटिलेटर भेजे जा चुके हैं. जिनमें से 9 चालू ही नहीं हो पाए. इन वेंटीलेटर्स में कई तकनीकी खराबी बताई जा रही हैं. वेंटिलेटर की ऑक्सीजन ट्यूब में आ रही गड़बड़ी मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं. मंगलवार को यहां सीहोर से रेफर होकर आए एक मरीज की मौत की भी खबर आई थी. जब इसे लेकर ईटीवी भारत ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री से बात की तो उनका कहना था कि हमीदिया प्रबंधन ने उन्हें बताया है कि वेंटिलेटर्स की खराबी से किसी की मौत नहीं हुई.
भोपाल के हमीदिया अस्पताल में पीएम केयर फंड से मिला वेंटिलेटर बंद होने से कोरोना मरीज की मौत
मेडिकल कॉलेज के डीन मानते हैं वेंटिलेटर्स में है तकनीकी खराबी
वेंटिलेटर्स में आ रही समस्याओं को लेकर जब ईटीवी भारत ने गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन जितेन शुक्ला से बात की तो उन्होंने बतााया कि पीएम केयर फंड से जो वेंटीलेटर्स जेपी अस्पताल को भेजे गए हैं वे डेल कंपनी के हैं, इनमें गड़बड़ी या तकनीकी कमी होने पर टीबीएस कंपनी के तकनीशियन ठीक करने के लिए आएंगे. शुक्ला ने बताया कि जेपी अस्पताल से जो वेंटिलेटर आए हैं उनमें से कुछ खराब हैं, इन्हें सुधारने के लिए टेक्नीशियन को बुलाया जा रहा है.
- वेंटिलेटर्स में क्या है खराबी
- इनमें मुख्य रूप से ऑक्सीजन ट्यूब और सॉफ्टवेयर संबंधी कुछ गड़बड़ियां हैं.
- जानकारी के अनुसार यह वेंटिलेटर ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ इमरजेंसी ट्रीटमेंट के लिए भेजे गए हैं.
- यह हाई एंड आईसीयू वेंटीलेटर नहीं है इनसे इनवेसिव सपोर्ट यानी ऑक्सीजन ट्यूब को मुंह के रास्ते फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में गड़बड़ी है.
- इस प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन मरीज के फेफड़ों तक नहीं पहुंच पा रही है क्योंकि बीच में ही वेंटिलेटर बंद होने की स्थिति बन रही है इनवेसिव सपोर्ट के लिए मरीज को बेहोश करना पड़ता है जिससे उसे ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है वेंटिलेटर की खराबी के कारण मरीज की सांस रुकने का खतरा बना रहता है
- अधिकारियों की माने तो कुछ वेंटिलेटर वाहनों से अस्पताल तक पहुंचाने मैं क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. इस कारण इन्हें ठीक करने के बाद ही उपयोग में लाया जा रहा है गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन का कहना है वेंटिलेटर मैं सुधार के लिए टेक्निकल एक्सपर्ट को बुलाया जा रहा है जिस कंपनी से अनुबंध है उसे जानकारी दे दी गई है उसके माध्यम से तकनीशियन भेजे जाएंगे जो वेंटिलेटर को सुधारने का काम करेंगे
मरीजों को हुई परेशानी - सोमवार को वेंटिलेटर बंद होने से हुआ था- सोमवार को सीहोर के नसरुल्लागंज से एक मरीज को हमीदिया रेफर किया गया था. मरीज कोविड मेडिकल वार्ड 3 में भर्ती था तभी अचानक वेंटिलेटर बंद होने पर दूसरा वेंटीलेटर लगाया गया, लेकिन इससे पहले मरीज की जान पहले ही जा चुकी थी.
- घटना सोमवार दोपहर 3 बजे से 4:30 बजे की बीच की है जब 58 वर्षीय कोविड मरीज को गंभीर हालत में वेंटीलेटर पर रखने के बाद उसे बेचैनी होने लगी थी. तभी डॉक्टर और ड्यूटी नर्स ने देखा कि वेंटिलेटर बंद है जिससे उसे मिलने वाली ऑक्सीजन सप्लाई बंद हो गई है. इसके बाद मरीज को दूसरे वेंटीलेटर्स पर शिफ्ट करने में आधे घंटे से ज्यादा का वक्त लगा, लेकिन यही देरी उसकी मौत का कारण बन गई.
यह है वेंटिलेटर्स की स्थिति
- भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज को 90 वेंटीलेटर मिले हैं, इनमें से 40 से ज्यादा वेंटिलेटर पीएम केयर फंड से आए हैं.इनमें लगभग 10 वेंटिलेटर रोजाना खराब होते हैं.
- हमीदिया अस्पताल मैं 40 से वेंटीलेटर भेजे गए हैं, इनमें से 9 वेंटीलेटर अभी तक उपयोग में नहीं आए हैं.
- खराब होने के दौरान इन्हें सुधारने के लिए दिन भर टेक्नीशियन्स की टीम को बुलाया जाता है.
- गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन जितेन शुक्ला ने बताया कि हमीदिया अस्पताल के लिए 30 नए वेंटिलेटर पीएम केयर फंड से और खरीदे जा रहे हैं.
- इनमें से 5 वेंटिलेटर अस्पताल आ चुके हैं बाकी 25 वेंटिलेटर जल्द ही आ जाएंगे