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Bhopal Gas Tragedy 1984: हादसे के गुनहगारों को जेल न भेज पाने का पीड़ितों को मलाल - भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी मिथाइल आईसो साइनाइड

एमपी के भोपाल में दो-तीन दिसंबर 1984 (Bhopal Gas Tragedy 1984) की रात को हुई दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी (Biggest Gas Tragedy of Human History in Bhopal) के पीड़ितों को इस बात का मलाल है कि इस हादसे के गुनहगारों को एक मिनट के लिए भी सलाखों के पीछे नहीं भेजा जा सका है. यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी मिथाइल आईसो साइनाइड (मिक) गैस (Methyl Isocyanate Bhopal Gas Tragedy) ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था. अब भी इस गैस का दंश पीड़ितों की तीसरी पीढ़ी भुगत रही है. पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ने वाले संगठन सरकार के रवैए से खफा हैं.

Bhopal Gas Tragedy 1984
भोपाल गैस त्रासदी 1984
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Published : Dec 2, 2021, 2:08 PM IST

भोपाल। भोपाल में हुई दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी (Biggest Gas Tragedy of Human History in Bhopal) के पीड़ितों को इस बात का मलाल है कि इस हादसे के गुनहगारों को एक मिनट के लिए भी सलाखों के पीछे नहीं भेजा जा सका है. भोपाल में दो-तीन दिसंबर 1984 (Bhopal Gas Tragedy 1984) की रात को यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी मिथाइल आईसो साइनाइड (मिक) गैस (Methyl Isocyanate Bhopal Gas Tragedy) ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था. अब भी इस गैस का दंश पीड़ितों की तीसरी पीढ़ी भुगत रही है. पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ने वाले संगठन सरकार के रवैए से खफा हैं.

37 years of Bhopal gas tragedy
भोपाल गैस त्रासदी के 37 साल
हादसे के 37 साल बाद भी न्याय से वंचित: रशीदा बी

गैस हादसे की 37वीं बरसी है और पीड़ितों के जख्म हरे हैं. भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष और गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार विजेता, रशीदा बी का कहना है कि हम चाहते हैं कि दुनिया को पता चले कि विश्व के सबसे भीषण औद्योगिक हादसे के 37 साल (37 years of Bhopal Gas Tragedy) बाद भी भोपाल गैस पीड़ितों को न्याय से वंचित रखा गया है. उन्होंने कहा, 'हमें यह बताते हुए खेद हो रहा है कि किसी भोपाली को पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला है और आज तक कोई भी अपराधी एक मिनट के लिए भी जेल नहीं गया, इसका कारण यह है कि हमारी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारें और अमरीकी कंपनियों के बीच सांठगांठ आज भी जारी है.'

Thousands of people lost their lives in a few hours, the culprit is still free
चंद घंटों में चली गई हजारों लोगों की जान, गुनहगार अब भी आजाद

भोपाल गैस त्रासदी के 37 साल: चंद घंटों में चली गई हजारों लोगों की जान, आज भी नहीं भरे जख्म

सरकार ने हादसे के स्वास्थ्य पर हुए प्रभाव के सभी शोध बंद कर दिए: शहजादी बी

इसी तरह भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की शहजादी बी कहती हैं, 'अस्पतालों में भीड़, संभावित हानिकारक दवाओं का बेहिसाब और अंधांधुंध इस्तेमाल और मरीजों की लाचारी वैसी ही बनी हुई है जैसी हादसे की सुबह थी. आज तक यूनियन कार्बाइड की गैसों के कारण फेफड़े, हृदय, गुर्दे, तंत्रिका तंत्र और अन्य पुरानी बीमारियों के इलाज की कोई प्रमाणिक विधि विकसित नहीं हो पाई है, क्योंकि सरकार ने हादसे के स्वास्थ्य पर हुए प्रभाव के सभी शोध बंद कर दिए हैं.'

'बच्चों' नाम के संगठन की नौशीन खान भी सरकारों के रवैए पर सवाल उठाती हैं. उनका कहना है कि हादसे के बाद सरकारों ने निराश किया है.

इनपुट - आईएएनएस

भोपाल। भोपाल में हुई दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी (Biggest Gas Tragedy of Human History in Bhopal) के पीड़ितों को इस बात का मलाल है कि इस हादसे के गुनहगारों को एक मिनट के लिए भी सलाखों के पीछे नहीं भेजा जा सका है. भोपाल में दो-तीन दिसंबर 1984 (Bhopal Gas Tragedy 1984) की रात को यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी मिथाइल आईसो साइनाइड (मिक) गैस (Methyl Isocyanate Bhopal Gas Tragedy) ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था. अब भी इस गैस का दंश पीड़ितों की तीसरी पीढ़ी भुगत रही है. पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ने वाले संगठन सरकार के रवैए से खफा हैं.

37 years of Bhopal gas tragedy
भोपाल गैस त्रासदी के 37 साल
हादसे के 37 साल बाद भी न्याय से वंचित: रशीदा बी

गैस हादसे की 37वीं बरसी है और पीड़ितों के जख्म हरे हैं. भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष और गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार विजेता, रशीदा बी का कहना है कि हम चाहते हैं कि दुनिया को पता चले कि विश्व के सबसे भीषण औद्योगिक हादसे के 37 साल (37 years of Bhopal Gas Tragedy) बाद भी भोपाल गैस पीड़ितों को न्याय से वंचित रखा गया है. उन्होंने कहा, 'हमें यह बताते हुए खेद हो रहा है कि किसी भोपाली को पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला है और आज तक कोई भी अपराधी एक मिनट के लिए भी जेल नहीं गया, इसका कारण यह है कि हमारी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारें और अमरीकी कंपनियों के बीच सांठगांठ आज भी जारी है.'

Thousands of people lost their lives in a few hours, the culprit is still free
चंद घंटों में चली गई हजारों लोगों की जान, गुनहगार अब भी आजाद

भोपाल गैस त्रासदी के 37 साल: चंद घंटों में चली गई हजारों लोगों की जान, आज भी नहीं भरे जख्म

सरकार ने हादसे के स्वास्थ्य पर हुए प्रभाव के सभी शोध बंद कर दिए: शहजादी बी

इसी तरह भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की शहजादी बी कहती हैं, 'अस्पतालों में भीड़, संभावित हानिकारक दवाओं का बेहिसाब और अंधांधुंध इस्तेमाल और मरीजों की लाचारी वैसी ही बनी हुई है जैसी हादसे की सुबह थी. आज तक यूनियन कार्बाइड की गैसों के कारण फेफड़े, हृदय, गुर्दे, तंत्रिका तंत्र और अन्य पुरानी बीमारियों के इलाज की कोई प्रमाणिक विधि विकसित नहीं हो पाई है, क्योंकि सरकार ने हादसे के स्वास्थ्य पर हुए प्रभाव के सभी शोध बंद कर दिए हैं.'

'बच्चों' नाम के संगठन की नौशीन खान भी सरकारों के रवैए पर सवाल उठाती हैं. उनका कहना है कि हादसे के बाद सरकारों ने निराश किया है.

इनपुट - आईएएनएस

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