ईटीवी भारत डेस्क : बसंत पंचमी का दिन विद्या की अधिष्ठात्री माता सरस्वती की उपासना के साथ ही अबूझ (जाग्रत) मुहूर्त के लिए भी जाना जाता है. जाग्रत मुहूर्त में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकती है इसके लिए अलग से कोई मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती. बसंत ऋतु में जहां पृथ्वी का सौंदर्य निखर उठता है वहीं उसकी अनुपम छटा देखते ही बनती है. बसंत पंचमी को लेकर ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन ही देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थीं. इस दिन विद्यार्थी, कलाकार,और लेखक मां सरस्वती की उपासना करते हैं और उनसे अपनी समृद्धि की कामना करते हैं.
बसंत पंचमी को लेकर ज्योतिषाचार्यों ने बताया है कि पंचमी तिथि 5 फरवरी की रात्रि से (basant panchami muhurat) प्रारंभ हो जाएगी.5 फरवरी को पूरा दिन पंचमी तिथि का मान होगा. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि पंचमी तिथि की पूजा (Saraswati puja basant panchami 2022) सुबह सूर्य उदय से लेकर 9 बजे तक करना ही श्रेयस्कर माना जाता है क्योंकि यह सबसे उत्तम मुहूर्त होता है. पूजा पाठ सरस्वती मां की आराधना करने के लिए इस वक्त की गई पूजा विशेष फलदाई होती है. इस दिन लोग पीले रंग का वस्त्र पहनकर देवी मां सरस्वती की पूजा करते हैं.
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पीले रंग का महत्व
ज्योतिष के अनुसार पीले रंग का संबंध गुरु ग्रह से है गुरु को वैभव भाग्य, समृद्धि, विवाह, ज्ञान और विवेक का कारक माना जाता है. पीले रंग का प्रयोग करने से देवगुरु बृहस्पति का प्रभाव बढ़ता है और जीवन में सुख-समृद्धि दौलत मान-यश की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने सबसे पहले पीतांबर धारण करके देवी माघ शुक्ल पंचमी को सरस्वती का पूजन किया था तब से बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन का प्रचलन है.
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इस बार करें ये काम
सामान्य जन बसंत पंचमी के दिन गृह प्रवेश, रति-कामदेव की पूजा, नीलम और नए वस्त्र (विशेषकर पीले, काले) वस्त्र धारण करें. अपने बच्चों का अच्छे संस्कार और अच्छी शिक्षा के लिए यज्ञोपवीत संस्कार करवाएं. बसंत पंचमी के दिन स्वर्ण नए वस्त्र और विलासिता की वस्तुएं भी खरीद सकते हैं.मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन नाग लोक सुषुप्त अवस्था से जागृत अवस्था में आ जाते हैं इसलिए तक्षक नाग की पूजा भी की जाती है. इस दिन घर में लोग पीले रंग के पकवान बनाते हैं.अगर आप एक अच्छे पति या पत्नी की तलाश में हैं तो आपको कामदेव के एकाक्षर मंत्र ‘क्लीं’ के साथ दही से मिश्रित धान के लावे से हवन करना चाहिये.
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अगर आप विद्यार्थी हैं या कला की किसी विधा से संबंध रखते हैं और आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपको स्नान आदि के बाद देवी सरस्वती की विधि-पूर्वक पूजा करनी चाहिये और देवी मां को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिये. साथ ही उनके मंत्र 'ऊं ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै नमः' का 11 बार जप करना चाहिये. इसके साथ ही माता सरस्वती का पूजन करने के लिए यदि बहुत से मंत्र श्लोकों का स्मरण न हो तो 'या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः' मंत्र के उच्चारण मात्र से भी देवी की कृपा प्राप्त की जा सकती है. यदि विवाह के लिए कोई अच्छा मुहूर्त नहीं निकल पाता, तो बसंत पंचमी के दिन विवाह कर सकते हैं.
इस बार न करें ये काम
बसंत पंचमी 5 फरवरी (Saraswati puja basant panchami 2022) को शनिवार का दिन होने के कारण लोहे से बनी चीजों जैसे वाहन आदि की खरीदी नहीं करनी चाहिये.