भोपाल। राजधानी भोपाल सहित पूरे मध्य प्रदेश में दीपावली बड़े धूमधाम से मनाई गई. इस मौके पर लोगों ने जमकर आतिशबाजी की, जिसकी वजह से मध्य प्रदेश के चारों बड़े शहरों में वायु की गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) (AQI) खतरे के निशान तक पहुंच गया (AQI of four big cities of Madhya Pradesh reached to danger mark). चारों शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में AQI पुअर कैटेगरी (Poor Category) में पहुंच गया.
त्योहार मनाएं, पर्यावरण की कीमत पर नहीं
पर्यावरणविद सुभाष चंद्र पांडे के मुताबिक शहरों में हवा की गुणवत्ता पहले के मुकाबले कमतर हो रही है, इसलिए लोगों को पर्यावरण को लेकर अपने व्यवहार में बदलाव लाना होगा. त्योहार मनाएं, लेकिन पर्यावरण का भी ख्याल रखें.
इन शहरों में वायु प्रदूषण अधिकतम स्तर पर पहुंचा
1.भोपाल
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (Central Pollution Control Board) (CPCB) से मिली जानकारी के मुताबिक राजधानी भोपाल में आतिशबाजी से वायु की गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पुअर कैटेगिरी में पहुंच गई. वायु की गुणवत्ता 7 पैरामीटर पर जांची जाती है. इसमें सबसे खास पीएम 2.5 और पीएम 10 होती है. भोपाल में दीपावली को रात 11 बजे से ही पीएम 2.5 लेवर 348 पहुंच गया, जबकि सुबह 11 बजे तक यह 500 तक यानी वैरी पुअर कैटेगिरी (Very Poor Category) में बना रहा.
2. इंदौर
इंदौर में स्थिति भोपाल से भी बुरी रही. इंदौर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) वैरी पुर कैटेगिरी (Very Poor Category) में पहुंच गया. यहां भी आतिशबाजी के बाद हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 500 तक यानी वैरी पुअर स्थिति में पहुंच गया.
3. जबलपुर
जबलपुर में भी वायु की गुणवत्ता पर आतिशबाजी का असर दिखाई दिया. यहां भी वायु की गुणवत्ता स्तर 235 स्तर तक यानी पुअर कैटेगिरी में पहुंच गई. यहां पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर वैरी पुअर स्थिति में रहा.
4.ग्वालियर
ग्वालियर की स्थिति जबलपुर से ज्यादा खराब हो गई. सेंट्रल पाॅल्युशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) से मिले आंकड़ों के मुताबिक यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 268 तक यानी पुअर कैटेगिरी में पहुंच गया.
क्या होता है पीएम 10 और पीएम 2.5 ?
- पीएम 10 लेवल यानी पर्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) (PM) होते हैं. इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास का होता है. इसमें धूल गर्दा और धातु के कण शामिल होते हैं.
- पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है. इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है. पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है. विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है.
कितना होना चाहिए पीएम 10 या 2.5
- पीएम 10 का सामान्य लेवर 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर होना चाहिए.
- पीएम 2.5 का नार्मल लेवल 60 एमजीसीएम यानी माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर होना चाहिए. इससे ज्यादा होने पर यह नुकसानदायक हो जाता है.
कितने AQI पर खराब होती है हवा?
AQI | स्वास्थ्य प्रभाव |
0 से 50 | गुड |
1 से 100 | सेटिसफेक्ट्री |
101 से 200 | मॉडरेट |
201 से 300 | पुअर |
301 से 400 | वेरी पुअर |
401 से 500 | सीवियर |
ये नुकसान होता है
श्वास रोग विशेषज्ञ डाॅ. पीएन अग्रवाल - कहते हैं कि वायु प्रदूषण बढ़ने से श्वास संबंधी समस्याएं होती हैं. दरअसल सांस लेते वक्त इन कणों को रोकने का हमारे शरीर में कोई सिस्टम नहीं है. ऐसे में पीएम 2.5 हमारे फेंफड़ों तक पहुंचते हैं. इसका सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों, बुजुर्गों और श्वास रोग से पीड़ित लोगों को होता है. वहीं दूसरे लोगों को आंखों, गले, और फेफड़ों की समस्या बढ़ जाती है. खांसी और सांस लेने में तकलीफ हेाती है.
NGT ने दीपावली को लेकर क्या दिशा-निर्देश दिए थे ?
दीपावली, क्रिसमस और नए साल पर पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की याचिका एनजीटी में दायर की गई. सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने पटाखों को लेकर आदेश जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में पटाखों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है, तो वहीं एनजीटी ने शहरों की वायु गुणवत्ता के आधार पर पटाखे फोड़ने या रोक लगाने के निर्देश कलेक्टर, राज्य सरकार, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को दिए हैं.
क्या है एनजीटी की गाइडलाइन ?
वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से ऊपर होने पर पटाखों पर रोक होगी. यदि 101 से 200 के अंदर वायु गुणवत्ता है, तो दीपावली के दिन सिर्फ ग्रीन पटाखे 2 घंटे फोड़ सकेंगे, क्रिसमस और नए साल के वक्त रात 12 बजे से लेकर 12:30 तक ग्रीन पटाखे फोड़ने की अनुमति रहेगी.
जानिए किन शहरों की हवा में सबसे ज्यादा जहर घुला है
एयर क्वॉलिटी इंडेक्स यानि AQI में भारत के खराब शहरों की लिस्ट
- बागपत AQI 406
- गाजियाबाद AQI 393
- पानीपत AQI 393
- नोएडा AQI 364
- गुरुग्राम AQI 351
- दिल्ली AQI 351
- भिवाड़ी AQI 347
- फरीदाबाद AQI 338
- मानेसर AQI 334
- बल्लभगढ़ AQI 320