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MP Political Gossips: एमपी में बड़े बदलाव की संभावना, इस बार के चुनाव में संकट मोचक इनका हरेंगे संकट - खबरें एमपी के आईएएस अधिकारियों की

थोड़े को बहुत जानना और यकीन होगा तभी जो हम कर रहे हेंगे उसे सच मानना. अच्छा, जो बताने जा रहे हैं उसके पहले एक बात बताओ. ये सुना है ना कि, हाथी के दांत दिखाने के अलग और खाने के अलग होते हैं. तो किस्सा ये है कि, इस बार के चुनाव में संकट मोचक किसका हरेंगे संकट. कहानी बहुत स्पेशल हैं. स्पेशल क्यों हैं यह भी बताएंगे जरा सब्र तो करो. (Andar Ki Laye Hain) (MP Political Gossips) (Bhopal bureaucracy gossips) (Mp politicians bureaucrats whispers)

MP Political Gossips Ander Ki Laaye Hain
खबरें एमपी के नेताओं की
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Published : Sep 3, 2022, 6:48 PM IST

भोपाल। सत्ता संगठन में बदलाव की सियासी हवाएं मध्यप्रदेश में छै महीने में उठ जाती हैं. ये हवाएं उठती हैं या उठाई जाती हैं.? यह तो रिसर्च का विषय है, लेकिन इस बार सियासी जानकार भी केह रएं हैं कि, कुछ होना तो है. अब क्या होना है, कब होना है. इसकी ठीक ठीक तारीख नहीं मिल पा रही. इधर कांग्रेस दुरबीन लगाए दिल्ली से आने वाले और दिल्ली जाने वाले नेताओं की मेल मुलाकात पर नजरें जमाए है. हर तस्वीर में उम्मीदें तलाश रही है कि ये गठबंधन क्या बीजेपी में नया गुल खिलाएगा.(Andar Ki Laye Hain) (MP Political Gossips).

खबरें एमपी के नेताओं की

बड़े बदलाव की संभावनाएं: खैर, मुद्दे की बात तो ये है कि, घोषित संकट तो फिलहाल बीजेपी सगठन में दिखाई दे रहा है. निकाय चुनाव नतीजों का सील ठप्पा भी लग चुका है कि, विधानसभा चुनाव के पहले संगठन में बड़े बदलाव की संभावनाएं क्यों हैं. अब जिन निकाय चुनावों को विधानसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट कहा जा रहा है. उसमें पार्टी अगर गच्चा खा जाए तो सवाल तो उठेंगे कि चूक कहां हुई है.(Mp politicians bureaucrats whispers).

बप्पा, चुनाव तक ये संकट टल जाए: जैसे बारिश के पूर्व रखरखाव होता है. वैसे चुनाव के पूर्व पार्टी में बंदोबस्त भी किए जाएंगे. अब बदलाव के दायरे में संगठन आए या सत्ता. गणेश उत्सव के बीच चल रही इन अटकलों के बीच यही कहा जा रहा है कि, संकट के दायरे में आ रहे नेताओं ने इस बार संकट मोचक से केवल एक ही आर्शीवाद मांगा है. बप्पा चुनाव तक ये संकट टल जाए. जिस बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने पर भी किसी को कानोंकान खबर नहीं होती वहां जिलाध्यक्ष की क्या कहिएगा. अंदर की खबर ये है कि बीजेपी में भोपाल जिले के अध्यक्ष के सितारे इन दिनों ठीक नहीं चल रहे. लंबे वक्त तक पार्टी के हर बड़े आयोजन में पार्टी के दिग्गज नेताओं के साथ जलवा फरोश जिलाध्यक्ष की शिकायतों का पुलिंदा बड़ा होता जा रहा है.(Bhopal bureaucracy gossips).

MP Political Gossips अंदर की लाए हैं...खबरें मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों की, नेताजी का थाईलैंड प्रवास

जिलाध्यक्षों को बदलने पर नजर: सुनने में तो ये भी आया है कि, खुद प्रदेश अध्यक्ष ने उनसे दूरी बना ली है. जिलाध्यक्ष की मनमानी के किस्से तो पार्टी के कानों में पहुंचे ही. लोग तो ये भी कह रहे हैं कि, नौजवान नेता ने कम वक्त में जमावट भी अच्छी कर ली थी. जिसकी शिकायतें भी पार्टी मुख्यालय तक पहुंचा दी गई. खबरें तो यहां तक उड़ गई थी कि, उनसे इस्तीफा मांग लिया गया है. अभी इसकी पुष्टि तो नहीं हुई है, लेकिन इतना तय मान लीजिए कि बीजेपी विधानसभा चुनाव के पहले जिन जिलों पर पार्टी जिलाध्यक्षों को बदलने की पैनी नजर जमाए है. उस सूची में टॉप टेन की सूची में भोपाल जिलाध्यक्ष का नाम भी है. बाकी एक बात तो तय मान लीजिए कि राजनीति के अंदर आप कित्ते तेजी से आसमान छू रहे हैं ये इतना मायने नहीं रखता है. जरुरी ये है कि, आप कितने लंबे वक्त तक टिके रहते हैं. राजनीति में कितनी लंबी फेंक दो. नपती होने में देर नहीं लगती है.(Andar Ki Laye Hain) (MP Political Gossips).

वैधानिक चेतावनी: इस सेग्मेंट में किसी भी नेता और अधिकारी के निजी जीवन से कोई लेना देना नहीं है, यह आर्टिकल मध्य प्रदेश के ब्यूरोक्रेट्स और राजनेताओं की गॉसिप्स है.

भोपाल। सत्ता संगठन में बदलाव की सियासी हवाएं मध्यप्रदेश में छै महीने में उठ जाती हैं. ये हवाएं उठती हैं या उठाई जाती हैं.? यह तो रिसर्च का विषय है, लेकिन इस बार सियासी जानकार भी केह रएं हैं कि, कुछ होना तो है. अब क्या होना है, कब होना है. इसकी ठीक ठीक तारीख नहीं मिल पा रही. इधर कांग्रेस दुरबीन लगाए दिल्ली से आने वाले और दिल्ली जाने वाले नेताओं की मेल मुलाकात पर नजरें जमाए है. हर तस्वीर में उम्मीदें तलाश रही है कि ये गठबंधन क्या बीजेपी में नया गुल खिलाएगा.(Andar Ki Laye Hain) (MP Political Gossips).

खबरें एमपी के नेताओं की

बड़े बदलाव की संभावनाएं: खैर, मुद्दे की बात तो ये है कि, घोषित संकट तो फिलहाल बीजेपी सगठन में दिखाई दे रहा है. निकाय चुनाव नतीजों का सील ठप्पा भी लग चुका है कि, विधानसभा चुनाव के पहले संगठन में बड़े बदलाव की संभावनाएं क्यों हैं. अब जिन निकाय चुनावों को विधानसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट कहा जा रहा है. उसमें पार्टी अगर गच्चा खा जाए तो सवाल तो उठेंगे कि चूक कहां हुई है.(Mp politicians bureaucrats whispers).

बप्पा, चुनाव तक ये संकट टल जाए: जैसे बारिश के पूर्व रखरखाव होता है. वैसे चुनाव के पूर्व पार्टी में बंदोबस्त भी किए जाएंगे. अब बदलाव के दायरे में संगठन आए या सत्ता. गणेश उत्सव के बीच चल रही इन अटकलों के बीच यही कहा जा रहा है कि, संकट के दायरे में आ रहे नेताओं ने इस बार संकट मोचक से केवल एक ही आर्शीवाद मांगा है. बप्पा चुनाव तक ये संकट टल जाए. जिस बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने पर भी किसी को कानोंकान खबर नहीं होती वहां जिलाध्यक्ष की क्या कहिएगा. अंदर की खबर ये है कि बीजेपी में भोपाल जिले के अध्यक्ष के सितारे इन दिनों ठीक नहीं चल रहे. लंबे वक्त तक पार्टी के हर बड़े आयोजन में पार्टी के दिग्गज नेताओं के साथ जलवा फरोश जिलाध्यक्ष की शिकायतों का पुलिंदा बड़ा होता जा रहा है.(Bhopal bureaucracy gossips).

MP Political Gossips अंदर की लाए हैं...खबरें मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों की, नेताजी का थाईलैंड प्रवास

जिलाध्यक्षों को बदलने पर नजर: सुनने में तो ये भी आया है कि, खुद प्रदेश अध्यक्ष ने उनसे दूरी बना ली है. जिलाध्यक्ष की मनमानी के किस्से तो पार्टी के कानों में पहुंचे ही. लोग तो ये भी कह रहे हैं कि, नौजवान नेता ने कम वक्त में जमावट भी अच्छी कर ली थी. जिसकी शिकायतें भी पार्टी मुख्यालय तक पहुंचा दी गई. खबरें तो यहां तक उड़ गई थी कि, उनसे इस्तीफा मांग लिया गया है. अभी इसकी पुष्टि तो नहीं हुई है, लेकिन इतना तय मान लीजिए कि बीजेपी विधानसभा चुनाव के पहले जिन जिलों पर पार्टी जिलाध्यक्षों को बदलने की पैनी नजर जमाए है. उस सूची में टॉप टेन की सूची में भोपाल जिलाध्यक्ष का नाम भी है. बाकी एक बात तो तय मान लीजिए कि राजनीति के अंदर आप कित्ते तेजी से आसमान छू रहे हैं ये इतना मायने नहीं रखता है. जरुरी ये है कि, आप कितने लंबे वक्त तक टिके रहते हैं. राजनीति में कितनी लंबी फेंक दो. नपती होने में देर नहीं लगती है.(Andar Ki Laye Hain) (MP Political Gossips).

वैधानिक चेतावनी: इस सेग्मेंट में किसी भी नेता और अधिकारी के निजी जीवन से कोई लेना देना नहीं है, यह आर्टिकल मध्य प्रदेश के ब्यूरोक्रेट्स और राजनेताओं की गॉसिप्स है.

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