भोपाल। क्राइम ब्रांच ने दो युवकों को नकली नोटों की साथ गिरफ्तार किया है. पुलिस को युवक के पास से बड़ी मात्रा में नकली नोट मिले हैं. ये नकली नोट लगभग (12 lakh fake note recovered )12 लाख 17 हजार 500 रुपए के हैं. पुलिस को मुखबिर के जरिए एक युवक के बाइक से सीहोर से भोपाल आने की सूचना मिली थी जिसपर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बाइक सवार युवक और नकली नोट छापने वाले मास्टर माइंड (master mind arrested in bhopal) को भी गिरफ्तार कर लिया है.
फर्जी स्टांप और सील भी तैयार कर चुका है आरोपी
इस पूरे मामले का मास्टर माइंड बताया जा रहा रुद्र चौहान पहले भी नकली नोट, फर्जी दस्तावेज, मार्कशीट, सील और स्टांप तैयार करने के केस में भी जेल जा चुका है, आरोपियों ने बताया कि वे पांच सौं के नकली नोट जुए के फड़ों पर खपाने के लिए तैयार करते थे. पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर कार्रवाई करते हुए जब बाइक सवार युवक सतीश शंकवार को रोककर उसकी तलाशी ली गई तो युवक के बैग से पांच-पांच सौ के नोट की 22 गड्डी और एक अन्य गड्डी मे 45 नोट मिले. यह कुल रकम 11 लाख 22 हजार 500 रुपए की थी. हूबहू असली जैसे दिखने वाले नकली नोट तैयार करने और उन्हें बाजार में खपाने के लिए आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया या है.
देवास में तैयार होते थे नकली नोट
आरोपी सतीश शंकरवार ने पूछताछ में बताया कि रुद्र उर्फ राजवीर चौहान निवासी देवास प्रिटंर की सहायता से 500-500 रु के नकली नोट तैयार करता है. उसी ने ये नकली नोट उसे भोपाल में खपाने के लिए दिये थे.आरोपी सतीश के बताए पते पर उसके श्यामपुर स्थित घर से 500 रुपए के 55 नोट और जब्त किए गए. क्राइम ब्रांच ने मास्टर माइंड रुद्र उर्फ राजवीर चौहान पिता चन्द्र सिंह जो कि देवास का रहने वाला है. फिलहाल भोपाल के शिव शक्ति नगर 80 फिट रोड छोला मंदिर के पास से गिरफ्तार कर लिया है. इसके पास से पुलिस को 500 के 135 नकली नोट, एक स्केनर और प्रिंटर, रजिस्ट्रार (जन्म मृत्यु), की फर्जी शील और स्टाम्प भी जब्त किया है.
पहले भी गिरफ्तार हो चुके हैं दोनों आरोपी
पुलिस पूछताझ में आरोपी सतीश ने बताया कि रूद्र उर्फ राजवीर चौहान 2019 में भी नकली नोट बनाने के केस में इंदौर एसटीएफ द्वारा पकडा गया था. शंकर की जेल में ही रुद्र से मुलाकात हुई थी. सतीश भी कोहेफिजा थाना भोपाल से 376 के प्रकरण में जेल बंद था. जेल से छूटने के बाद रुद्र प्राइवेट लोन सेंक्शन कराने का काम करने लगा. परंतु इस काम में कमीशन कम मिलता था इस कारण उसने नकली नोट बनाने के लिए एक स्केनर, प्रिंटर खरीदा था उसी से अपने भोपाल वाले किराए के मकान में नकली नोट तैयार किये थे. जिनको छोटे मार्केट एवं जुएं के फडो में खपाया जाता था.