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अर्थव्यवस्था में अभी कई 'काले धब्बे', सरकार को 'सावधानी' से खर्च करने की जरूरत : राजन

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Published : Jan 23, 2022, 5:44 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने कहा है कि सरकार को भारतीय अर्थव्यवस्था की K-शेप रिकवरी रोकने के लिए और भी उपयुक्त कदम उठाने की जरूरत है.

raghuram rajan indian economy
raghuram rajan indian economy

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि 'भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ चमकीले स्थानों के साथ कई बहुत काले धब्बे' (some bright spots and a number of very dark stains) भी हैं, ऐसे में सरकार को अपने खर्च को सावधानी से 'लक्षित' करने की जरूरत है, ताकि राजकोषीय घाटे को बहुत ऊंचाई पर पहुंचने से रोका जा सके. राजन अपने विचारों को स्पष्ट तरीके से रखने के लिए जाने जाते हैं. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने कहा कि सरकार को अर्थव्यवस्था के 'के' (अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर) आकार के रिकवरी (जिसमें महामारी से काफी प्रभावित क्षेत्रों में विकास की दोहरी रफ्तार देखने को मिलती है) को रोकने के लिए और उपाय करने की जरूरत है.

आम तौर पर, के-आकार की रिकवरी एक ऐसी स्थिति है जहां प्रौद्योगिकी और बड़ी पूंजी फर्म छोटे व्यवसायों और उद्योगों की तुलना में कहीं अधिक तेज दर से उबरती हैं जो महामारी से काफी प्रभावित (Hit By The Coronavirus Pandemic) हुए हैं. राजन ने ई-मेल के जरिये दिए साक्षात्कार में कहा कि अर्थव्यवस्था के बारे में मेरी सबसे बड़ी चिंता मध्यम वर्ग, लघु एवं मझोले क्षेत्र और हमारे बच्चों को लेकर है. ये सारी चीजें दबी मांग से शुरुआती रिकवरी के बाद 'खेल' में आएंगी.

पढ़ें: सोने के बाद अब आप सिल्वर ईटीएफ में कर सकते हैं निवेश

उन्होंने कहा कि इन सभी का 'लक्षण' कमजोर उपभोक्ता मांग है. विशेषरूप से व्यापक स्तर पर इस्तेमाल वाले उपभोक्ता सामान की मांग काफी कमजोर है. राजन फिलहाल शिकॉगो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस (University of Chicago Booth School of Business) में प्रोफेसर हैं. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में हमेशा चमकदार स्थानों के साथ गहरे काले धब्बे होते हैं.

स्वास्थ्य सेवा (Health Services) और आईटी की कंपनियां कर रहीं बेहतर

उन्होंने कहा कि चमकदार क्षेत्रों की बात की जाए, तो इसमें स्वास्थ्य सेवा ((Health Services)) कंपनियां आती हैं. इनके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और आईटी-संबद्ध क्षेत्र जबर्दस्त कारोबार कर रहे हैं. कई क्षेत्रों में यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन) बने हैं और वित्तीय क्षेत्र के कुछ हिस्से भी मजबूत हैं. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि काले धब्बों की बात की जाए, तो बेरोजगाारी, कम क्रय शक्ति (विशेषरूप से निम्न मध्यम वर्ग में), छोटी और मझोले आकार की कंपनियों का वित्तीय दबाव इसमें आता है.'

ओमीक्रोन चिकित्सकीय और आर्थिक गतिविधियों दोनों के लिए झटका

इसके अलावा काले धब्बों में ऋण की सुस्त वृद्धि और हमारे स्कूलों की पढ़ाई भी आती है. राजन ने कहा कि कोरोना वायरस का नया स्वरूप ओमीक्रोन चिकित्सकीय और आर्थिक गतिविधियों दोनों के लिए झटका है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने सरकार को के-आकार के पुनरुद्धार के प्रति आगाह किया. राजन ने कहा कि हमें 'के' आकार के पुनरुद्धार को रोकने के लिए हरसंभव उपाय करने चाहिए. बजट से पहले राजन ने कहा कि बजट-दस्तावेज एक 'दृष्टिकोण' होता है. उन्होंने कहा कि मैं भारत के लिए पांच या 10 साल का दृष्टिकोण या सोच देखना चाहता हूं.

'वित्त मंत्री अब खुले हाथ से खर्च नहीं कर सकतीं'

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को राजकोषीय मजबूती के लिए कदम उठाने चाहिए या प्रोत्साहन उपायों को जारी रखना चाहिए, राजन ने कहा कि महामारी के आने तक भी भारत की राजकोषीय स्थिति अच्छी नहीं थी. यही वजह है कि वित्त मंत्री अब खुले हाथ से खर्च नहीं कर सकतीं. उन्होंने कहा कि जहां जरूरत है, वहां सरकार खर्च करे. लेकिन हमें खर्च सावधानी से करने की जरूरत है, ताकि राजकोषीय घाटा बहुत ऊंचाई पर नहीं पहुंच जाए. मुद्रास्फीति के बारे में राजन ने कहा कि आज दुनिया के सभी देशों के लिए 'महंगाई' चिंता का विषय है और भारत इसका अपवाद नहीं हो सकता.

(पीटीआई- भाषा)

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि 'भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ चमकीले स्थानों के साथ कई बहुत काले धब्बे' (some bright spots and a number of very dark stains) भी हैं, ऐसे में सरकार को अपने खर्च को सावधानी से 'लक्षित' करने की जरूरत है, ताकि राजकोषीय घाटे को बहुत ऊंचाई पर पहुंचने से रोका जा सके. राजन अपने विचारों को स्पष्ट तरीके से रखने के लिए जाने जाते हैं. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने कहा कि सरकार को अर्थव्यवस्था के 'के' (अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर) आकार के रिकवरी (जिसमें महामारी से काफी प्रभावित क्षेत्रों में विकास की दोहरी रफ्तार देखने को मिलती है) को रोकने के लिए और उपाय करने की जरूरत है.

आम तौर पर, के-आकार की रिकवरी एक ऐसी स्थिति है जहां प्रौद्योगिकी और बड़ी पूंजी फर्म छोटे व्यवसायों और उद्योगों की तुलना में कहीं अधिक तेज दर से उबरती हैं जो महामारी से काफी प्रभावित (Hit By The Coronavirus Pandemic) हुए हैं. राजन ने ई-मेल के जरिये दिए साक्षात्कार में कहा कि अर्थव्यवस्था के बारे में मेरी सबसे बड़ी चिंता मध्यम वर्ग, लघु एवं मझोले क्षेत्र और हमारे बच्चों को लेकर है. ये सारी चीजें दबी मांग से शुरुआती रिकवरी के बाद 'खेल' में आएंगी.

पढ़ें: सोने के बाद अब आप सिल्वर ईटीएफ में कर सकते हैं निवेश

उन्होंने कहा कि इन सभी का 'लक्षण' कमजोर उपभोक्ता मांग है. विशेषरूप से व्यापक स्तर पर इस्तेमाल वाले उपभोक्ता सामान की मांग काफी कमजोर है. राजन फिलहाल शिकॉगो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस (University of Chicago Booth School of Business) में प्रोफेसर हैं. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में हमेशा चमकदार स्थानों के साथ गहरे काले धब्बे होते हैं.

स्वास्थ्य सेवा (Health Services) और आईटी की कंपनियां कर रहीं बेहतर

उन्होंने कहा कि चमकदार क्षेत्रों की बात की जाए, तो इसमें स्वास्थ्य सेवा ((Health Services)) कंपनियां आती हैं. इनके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और आईटी-संबद्ध क्षेत्र जबर्दस्त कारोबार कर रहे हैं. कई क्षेत्रों में यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन) बने हैं और वित्तीय क्षेत्र के कुछ हिस्से भी मजबूत हैं. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि काले धब्बों की बात की जाए, तो बेरोजगाारी, कम क्रय शक्ति (विशेषरूप से निम्न मध्यम वर्ग में), छोटी और मझोले आकार की कंपनियों का वित्तीय दबाव इसमें आता है.'

ओमीक्रोन चिकित्सकीय और आर्थिक गतिविधियों दोनों के लिए झटका

इसके अलावा काले धब्बों में ऋण की सुस्त वृद्धि और हमारे स्कूलों की पढ़ाई भी आती है. राजन ने कहा कि कोरोना वायरस का नया स्वरूप ओमीक्रोन चिकित्सकीय और आर्थिक गतिविधियों दोनों के लिए झटका है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने सरकार को के-आकार के पुनरुद्धार के प्रति आगाह किया. राजन ने कहा कि हमें 'के' आकार के पुनरुद्धार को रोकने के लिए हरसंभव उपाय करने चाहिए. बजट से पहले राजन ने कहा कि बजट-दस्तावेज एक 'दृष्टिकोण' होता है. उन्होंने कहा कि मैं भारत के लिए पांच या 10 साल का दृष्टिकोण या सोच देखना चाहता हूं.

'वित्त मंत्री अब खुले हाथ से खर्च नहीं कर सकतीं'

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को राजकोषीय मजबूती के लिए कदम उठाने चाहिए या प्रोत्साहन उपायों को जारी रखना चाहिए, राजन ने कहा कि महामारी के आने तक भी भारत की राजकोषीय स्थिति अच्छी नहीं थी. यही वजह है कि वित्त मंत्री अब खुले हाथ से खर्च नहीं कर सकतीं. उन्होंने कहा कि जहां जरूरत है, वहां सरकार खर्च करे. लेकिन हमें खर्च सावधानी से करने की जरूरत है, ताकि राजकोषीय घाटा बहुत ऊंचाई पर नहीं पहुंच जाए. मुद्रास्फीति के बारे में राजन ने कहा कि आज दुनिया के सभी देशों के लिए 'महंगाई' चिंता का विषय है और भारत इसका अपवाद नहीं हो सकता.

(पीटीआई- भाषा)

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