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उम्मीदों की कसौटी पर सरकार, बजट बॉल से गोयल कर पाएंगे सियासी गोल? - भोपल

केंद्र की मोदी सरकार अपने कार्यकाल का अंतरिम बजट आज पेश करेगी. पर इस बार वित्त मंत्री अरुण जेटली की पोटली से आय-व्यय का ब्यौरा नहीं निकलेगा, बल्कि इस बार पीयूष गोयल बीजेपी की ओर से सियासी गोल करेंगे.इस बजट को हर वर्ग अपने-अपने चश्मे से देखता है, भले ही सरकार का चश्मा हर किसी के लिए एक ही होता है, लेकिन जनता भी सरकार के चश्मे के अंदर बीच-बीच में झांकती रहती है.

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Published : Feb 8, 2019, 3:19 PM IST

भोपाल। केंद्र की मोदी सरकार अपने कार्यकाल का अंतरिम बजट आज पेश करेगी. पर इस बार वित्त मंत्री अरुण जेटली की पोटली से आय-व्यय का ब्यौरा नहीं निकलेगा, बल्कि इस बार पीयूष गोयल बीजेपी की ओर से सियासी गोल करेंगे.इस बजट को हर वर्ग अपने-अपने चश्मे से देखता है, भले ही सरकार का चश्मा हर किसी के लिए एक ही होता है, लेकिन जनता भी सरकार के चश्मे के अंदर बीच-बीच में झांकती रहती है क्योंकि कुछ घोषणाएं फाइलों में दबकर ही दम तोड़ देती हैं. लेकिन पिछले एक साल में हुए कई मामलों ने सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है क्योंकि पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी का अभेद्य किला भी ढह चुका है.

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पिछले पूर्ण बजट में सरकार ने टैक्स स्लैब में बदलाव भले ही नहीं किया था, लेकिन पिछले दरवाजे से मध्यम वर्ग को भी खुश करने के लिए स्टैण्डर्ड डिडक्शन के नाम पर 40 हजार रुपये तक की छूट दी थी, जबकि 50 करोड़ सालाना टर्नओवर करने वाली कंपनियों लगने वाले 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स की सीमा बढ़ाकर 250 करोड़ कर दिया था. वहीं लघु एवं मध्यम उद्योगों पर लगने वाले टैक्स में भी 5 फीसदी की कटौती की गयी थी.


इसके अलावा ग्रामीण महिलाओं के लिए मुफ्त गैस कनेक्शन, आयुष्मान योजना, कस्टम ड्यूटी में बदलाव, रेल यात्रियों की सुविधा-सुरक्षा पर जोर देने के साथ ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और खेती किसानी पर जोर दिया गया था. जिनमें से ज्यादातर योजनाएं जमीन पर दिखी, लेकिन उनका रंग जमीन पर बिखरा नहीं.

भोपाल। केंद्र की मोदी सरकार अपने कार्यकाल का अंतरिम बजट आज पेश करेगी. पर इस बार वित्त मंत्री अरुण जेटली की पोटली से आय-व्यय का ब्यौरा नहीं निकलेगा, बल्कि इस बार पीयूष गोयल बीजेपी की ओर से सियासी गोल करेंगे.इस बजट को हर वर्ग अपने-अपने चश्मे से देखता है, भले ही सरकार का चश्मा हर किसी के लिए एक ही होता है, लेकिन जनता भी सरकार के चश्मे के अंदर बीच-बीच में झांकती रहती है क्योंकि कुछ घोषणाएं फाइलों में दबकर ही दम तोड़ देती हैं. लेकिन पिछले एक साल में हुए कई मामलों ने सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है क्योंकि पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी का अभेद्य किला भी ढह चुका है.

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पिछले पूर्ण बजट में सरकार ने टैक्स स्लैब में बदलाव भले ही नहीं किया था, लेकिन पिछले दरवाजे से मध्यम वर्ग को भी खुश करने के लिए स्टैण्डर्ड डिडक्शन के नाम पर 40 हजार रुपये तक की छूट दी थी, जबकि 50 करोड़ सालाना टर्नओवर करने वाली कंपनियों लगने वाले 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स की सीमा बढ़ाकर 250 करोड़ कर दिया था. वहीं लघु एवं मध्यम उद्योगों पर लगने वाले टैक्स में भी 5 फीसदी की कटौती की गयी थी.


इसके अलावा ग्रामीण महिलाओं के लिए मुफ्त गैस कनेक्शन, आयुष्मान योजना, कस्टम ड्यूटी में बदलाव, रेल यात्रियों की सुविधा-सुरक्षा पर जोर देने के साथ ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और खेती किसानी पर जोर दिया गया था. जिनमें से ज्यादातर योजनाएं जमीन पर दिखी, लेकिन उनका रंग जमीन पर बिखरा नहीं.

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