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नाग पंचमी पर नागद्वारी गुफा मंदिर में पूजा नहीं होने पर स्थानीय नेताओं ने जताई नाराजगी

होशंगाबाद के पचमढ़ी में नागद्वारी गुफा में हर साल लगने वाला मेला इस बार कोरोना संक्रमण के चलते निरस्त कर दिया गया है. जिसको लेकर स्थानीय नेताओं में नाराजगी है.

Nagdwari temple
नागद्वारी मंदिर
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Published : Jul 26, 2020, 6:43 AM IST

होशंगाबाद। देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते कई साल पुरानी परंपराएं टूटने लगी हैं. नाग पंचमी पर पचमढ़ी के नागद्वारी गुफा में हर साल लगने वाले मेले को इस बार निरस्त कर दिया गया है. जिसके चलते मंदिर परिसर में पूरी तरह सन्नाटा छाया रहा. साथ ही किसी तरह की पूजा-अर्चना भी इस बार नहीं की गई. जिस पर स्थानीय नेताओं ने नाराजगी व्यक्त की है.

Nagdwari temple
नागद्वारी मंदिर

भाजपा नेता कलम धुत का कहना है कि महादेव मेला समिति की जवाबदारी थी कि वह कोरोना संकट के नियमों का पालन करते हुए गुफा में सरकारी पूजा कराती, इस तरह की बात उन्होंने उठाई थी. उन्होंने कहा कि मेले से सरकार को आय होती है, इस बार मेला नहीं लगा तो भगवान को भी भूल गए. उन्हें पचमढ़ी की बहुत पुरानी परंपरा टूटने का दुख है.

वहीं केंटुमेंट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एवं महादेव मेला समिति के सदस्य संतोष जैन ने बताया कि उनके दादा उनको नागद्वारी मेला का किस्सा सुनाया करते थे. जैन के अनुसार उनके दादा 1885 में पचमढ़ी आये और मेला स्थल पर दुकान लगाते थे. उस समय तो कुआं बादरा की ओर से ज्यादा श्रद्धालु आते थे. तहसीलदार राजेश बौरासी ने बताया कि कोरोना के चलते इस बार नागद्वारी मेला निरस्त करने का निर्णय लिया गया है. नागद्वारी गुफा काफी घने जंगल में स्थित है, ऐसे में वहां जाने की इजाजत किसी को नहीं दी गई है.

होशंगाबाद। देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते कई साल पुरानी परंपराएं टूटने लगी हैं. नाग पंचमी पर पचमढ़ी के नागद्वारी गुफा में हर साल लगने वाले मेले को इस बार निरस्त कर दिया गया है. जिसके चलते मंदिर परिसर में पूरी तरह सन्नाटा छाया रहा. साथ ही किसी तरह की पूजा-अर्चना भी इस बार नहीं की गई. जिस पर स्थानीय नेताओं ने नाराजगी व्यक्त की है.

Nagdwari temple
नागद्वारी मंदिर

भाजपा नेता कलम धुत का कहना है कि महादेव मेला समिति की जवाबदारी थी कि वह कोरोना संकट के नियमों का पालन करते हुए गुफा में सरकारी पूजा कराती, इस तरह की बात उन्होंने उठाई थी. उन्होंने कहा कि मेले से सरकार को आय होती है, इस बार मेला नहीं लगा तो भगवान को भी भूल गए. उन्हें पचमढ़ी की बहुत पुरानी परंपरा टूटने का दुख है.

वहीं केंटुमेंट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एवं महादेव मेला समिति के सदस्य संतोष जैन ने बताया कि उनके दादा उनको नागद्वारी मेला का किस्सा सुनाया करते थे. जैन के अनुसार उनके दादा 1885 में पचमढ़ी आये और मेला स्थल पर दुकान लगाते थे. उस समय तो कुआं बादरा की ओर से ज्यादा श्रद्धालु आते थे. तहसीलदार राजेश बौरासी ने बताया कि कोरोना के चलते इस बार नागद्वारी मेला निरस्त करने का निर्णय लिया गया है. नागद्वारी गुफा काफी घने जंगल में स्थित है, ऐसे में वहां जाने की इजाजत किसी को नहीं दी गई है.

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