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कांग्रेस पर क्या पड़ी है 'राष्ट्रवाद' की मार, मीनाक्षी नटराजन की हार से सदमे में पार्टी

मंदसौर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी में मायूसी का माहौल देखा जा रहा है. दो दिन बीत जाने के बावजूद हार की समीक्षा बैठक आयोजित नहीं की गई है.

कांग्रेस की हार पर नरेंद्र नाहटा ने दी प्रतिक्रिया
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Published : May 26, 2019, 10:12 AM IST

मंदसौर। इस साल भी कांग्रेस को मंदसौर लोकसभा चुनाव सीट से करारी हार का सामना करना पड़ा है. बीजेपी उम्मीदवार सुधीर गुप्ता ने कांग्रेस की प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन को 3.45 लाख वोटों से मात दी है. वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री नरेंद्र नाहटा ने भी कांग्रेस की हार पर गहरी चिंता जताई है.

कांग्रेस की हार पर नरेंद्र नाहटा ने दी प्रतिक्रिया

चुनावी इतिहास में 12वीं बार मंदसौर लोकसभा चुनाव सीट से हार मिलने से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में भारी चिंता का माहौल है. मायूसी का आलम ये है कि चुनाव परिणामों की घोषणा के दो दिन बाद भी कांग्रेस समीक्षा बैठक का आयोजन नहीं हो पाया है.

मीनाक्षी नटराजन को एक बार टिकट दिए जाने की घोषणा के बाद उनके बाहरी उम्मीदवार होने के मुद्दे ने जमकर तूल पकड़ ली थी. हालांकि हाईकमान की घोषणा के बाद चुनाव के दौरान कई कार्यकर्ता और नेता चुप रहे. लेकिन अब उनकी करारी हार के बाद नेताओं की प्रतिक्रियाएं तेज हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री नरेंद्र नाहटा का कहना है कि इस चुनाव में भी पार्टी के नेता कई मुद्दों पर विफल हो गए हैं. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे चुनाव को राष्ट्रवाद से जोड़ा है. यहीं वजह रही कि कांग्रेस को पूरे देश में हार का सामना करना पड़ा है.

बीजेपी ने उठाया राष्ट्रवाद का मुद्दा, कांग्रेस को मिली हार
नरेंद्र नाहटा का कहना है कि क्षेत्र में भी स्थानीय मुद्दों के बजाय राष्ट्रवाद के मुद्दे का तगड़ा असर देखा गया. लिहाजा कांग्रेस दोबारा चुनाव हार गई. कांग्रेस इस चुनाव में भी आधुनिक संसाधनों और तकनीक पर कोई ध्यान नहीं दे पाई. जिसके चलते पार्टी के नेता अधिकतर स्थानों पर हार गए. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस अब भी 1960 के दशक वाले सिद्धांतों पर चुनावी मैदान में उतर रही है. जबकि बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं के साथ-साथ पार्टी के नेताओं को अपडेट कर जनता के बीच के मुद्दों पर चुनाव लड़ाई लड़ रही है.

उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से भी पुराने सिद्धांतों को छोड़कर नए जमाने के सिद्धांतों पर राजनीति करने की सलाह दी है. मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर मंडरा रहे खतरे के बादल के मामले को लेकर उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि दल-बदल की राजनीति अब पूरे देश में इतनी हावी हो गई है कि चुने हुए जनप्रतिनिधि अवसरवादी होने का फायदा उठाकर सिद्धांतों से भटक रहे हैं. हालांकि उन्होंने मध्य प्रदेश की सरकार को किसी भी तरह के खतरे की बात से इंकार किया है.

मंदसौर। इस साल भी कांग्रेस को मंदसौर लोकसभा चुनाव सीट से करारी हार का सामना करना पड़ा है. बीजेपी उम्मीदवार सुधीर गुप्ता ने कांग्रेस की प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन को 3.45 लाख वोटों से मात दी है. वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री नरेंद्र नाहटा ने भी कांग्रेस की हार पर गहरी चिंता जताई है.

कांग्रेस की हार पर नरेंद्र नाहटा ने दी प्रतिक्रिया

चुनावी इतिहास में 12वीं बार मंदसौर लोकसभा चुनाव सीट से हार मिलने से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में भारी चिंता का माहौल है. मायूसी का आलम ये है कि चुनाव परिणामों की घोषणा के दो दिन बाद भी कांग्रेस समीक्षा बैठक का आयोजन नहीं हो पाया है.

मीनाक्षी नटराजन को एक बार टिकट दिए जाने की घोषणा के बाद उनके बाहरी उम्मीदवार होने के मुद्दे ने जमकर तूल पकड़ ली थी. हालांकि हाईकमान की घोषणा के बाद चुनाव के दौरान कई कार्यकर्ता और नेता चुप रहे. लेकिन अब उनकी करारी हार के बाद नेताओं की प्रतिक्रियाएं तेज हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री नरेंद्र नाहटा का कहना है कि इस चुनाव में भी पार्टी के नेता कई मुद्दों पर विफल हो गए हैं. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे चुनाव को राष्ट्रवाद से जोड़ा है. यहीं वजह रही कि कांग्रेस को पूरे देश में हार का सामना करना पड़ा है.

बीजेपी ने उठाया राष्ट्रवाद का मुद्दा, कांग्रेस को मिली हार
नरेंद्र नाहटा का कहना है कि क्षेत्र में भी स्थानीय मुद्दों के बजाय राष्ट्रवाद के मुद्दे का तगड़ा असर देखा गया. लिहाजा कांग्रेस दोबारा चुनाव हार गई. कांग्रेस इस चुनाव में भी आधुनिक संसाधनों और तकनीक पर कोई ध्यान नहीं दे पाई. जिसके चलते पार्टी के नेता अधिकतर स्थानों पर हार गए. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस अब भी 1960 के दशक वाले सिद्धांतों पर चुनावी मैदान में उतर रही है. जबकि बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं के साथ-साथ पार्टी के नेताओं को अपडेट कर जनता के बीच के मुद्दों पर चुनाव लड़ाई लड़ रही है.

उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से भी पुराने सिद्धांतों को छोड़कर नए जमाने के सिद्धांतों पर राजनीति करने की सलाह दी है. मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर मंडरा रहे खतरे के बादल के मामले को लेकर उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि दल-बदल की राजनीति अब पूरे देश में इतनी हावी हो गई है कि चुने हुए जनप्रतिनिधि अवसरवादी होने का फायदा उठाकर सिद्धांतों से भटक रहे हैं. हालांकि उन्होंने मध्य प्रदेश की सरकार को किसी भी तरह के खतरे की बात से इंकार किया है.

Intro:मंदसौर ।लोकसभा चुनाव में इस बार भी, मंदसौर सीट पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी की प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन भाजपा उम्मीदवार सुधीर गुप्ता से इस चुनाव में पौने चार लाख वोटों से हार गई है ।अब तक के चुनावी इतिहास में इस सीट पर 12वीं बार पार्टी की हार होने से, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में भारी चिंता का माहौल है। यहाँ हार की मायूसी का आलम यह है, कि चुनाव परिणामों की घोषणा के 2 दिन बाद तक भी कांग्रेस समीक्षा बैठक का आयोजन नहीं कर पाई है। इन हालातों में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री नरेंद्र नाहटा ने गहरी चिंता जताई है।


Body:लोकसभा चुनावों के, पिछले 17 दौर के इतिहास में एक बार फिर संघ की नर्सरी मानी जाने वाली मंदसौर की जमीन पर कांग्रेस तगड़े मतों से के अंतर से हार गई है ।पार्टी हाईकमान के इशारे पर संगठन ने इस बार भी राहुल टीम में शामिल मीनाक्षी नटराजन को चुनावी मैदान में उतारा था। मूलतः रतलाम की निवासी मीनाक्षी नटराजन इस सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ी थी। पिछले चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी सुधीर गुप्ता से ही वह 3लाख से ज्यादा वोटों से हार गई थी। इस बार फिर उनके टिकट की घोषणा के बाद, पार्टी हल्के में उनके बाहरी उम्मीदवार के मुद्दे ने जमकर तूल पकड़ लिया था। हालांकि हाईकमान की घोषणा से यहां के कई कार्यकर्ता और नेता चुनाव के दौरान चुप रहे। लेकिन अब उनकी करारी हार के बाद नेताओं की प्रतिक्रियाएं तेज हो गई है ।ईटीवी भारत ने इस मामले में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री नरेंद्र नाहटा से बातचीत की। उन्होंने बताया कि इस चुनाव में भी पार्टी के नेता कई मुद्दों पर विफल हो गए हैं। उन्होंने माना कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे चुनाव को राष्ट्रवाद से जोड़ा और इसके सामने कांग्रेस नेता बड़े मुद्दों को नहीं भुना पाए यही वजह रही कि कांग्रेस को पूरे देश में हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि इलाके में भी स्थानीय मुद्दों के बजाय राष्ट्रवाद का मुद्दा तगड़ा असरकारक रहा। लिहाजा पार्टी यहां दोबारा चुनाव हार गई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस चुनाव में भी आधुनिक संसाधनों और तकनीक पर कोई ध्यान नहीं दे पाई लिहाजा पार्टी के नेता अधिकतर स्थानों पर हार गए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस अभी भी 1960 के दशक वाले सिद्धांतों पर चुनावी मैदान में उतर रही है। जबकि विपक्षी पार्टी भाजपा अपने कार्यकर्ताओं के साथ ही पार्टी के नेताओं को अपडेट कर जनता के बीच के मुद्दों की लड़ाई लड़ रही है ,और यही वजह है कि पार्टी को कई राज्यो में जीत मिल रही है ।उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं से भी पुराने सिद्धांतों को छोड़कर नए जमाने के सिद्धांतों पर राजनीति करने की सलाह दी है ।मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर मंडरा रहे खतरे के बादल के मामले में भी उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि दल बदल की राजनीति अब पूरे देश में इतनी हावी हो गई है कि यहां चुने हुए जनप्रतिनिधि अवसरवादी होने का फायदा उठाकर सिद्धांतों से भटक रहे हैं। हालांकि उन्होंने मध्य प्रदेश की सरकार को किसी भी तरह के खतरे की बात से इंकार किया है। one to one: विनोद गौड़, रिपोर्टर ,मंदसौर byte: नरेंद्र नाहटा ,वरिष्ठ कांग्रेस नेता, मध्य प्रदेश विनोद गौड़, रिपोर्टर, मंदसौर


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