खंडवा। एक निजी बीमा कंपनी के एजेंट और RTI कार्यकर्ता जगन्नाथ माने ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली है. आरटीआई कार्यकर्ता 10 दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर छूटे थे. जगन्नाथ माने ने सुसाइड नोट के जरिए कई प्रतिष्ठित लोगों के खिलाफ प्रताड़ना का आरोप लगाया है.
गौरतलब है कि खंडवा के विभिन्न थानों में जगन्नाथ माने के खिलाफ 8 मामले दर्ज हैं. मृतक बीमा एजेंट पर सूचना के अधिकार अधिनियम का सहारा लेकर लोगों को ब्लैकमेल करने का आरोप था. उसके द्वारा दबाव बनाकर बीमा पॉलिसी बेची जाती थी. मृतक ने पांच पन्नों के सुसाइड नोट के जरिए 17 लोगों के खिलाफ मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है.
मृतक ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कराने वाले व्यापारियों के साथ-साथ पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस, तत्कालीन खंडवा कलेक्टर अभिषेक सिंह, तत्कालीन खंडवा सीएसपी शेष नारायण सिंह और बीमा कंपनी की महिला सेल्स मैनेजर के नाम प्रमुख रूप से सुसाइड नोट में लिए हैं.
जगन्नाथ माने पिछले 7 महीनों से जेल में था. पिछले 23 अप्रैल को ही वह जमानत पर बाहर आया था. परिजनों का कहना है कि जिन लोगों ने माने के खिलाफ थाने में अपराध दर्ज करवाए थे, वह लोग फिर से झूठे प्रकरण में उसे फंसाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि जब तक सुसाइड नोट पर लिखे आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं होता, तब तक वह अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. वहीं पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.
तीन दिन पहले महिला ने खाया था जहर
जगन्नाथ माने ने बीमा कंपनी में सेल्स मैनेजर रही एक महिला पर भी मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं. माने ने अपने सुसाइड नोट में इस महिला के साथ अंतरंग संबंध होने की बात भी कबूली है. उन्होंने महिला द्वारा आर्थिक शोषण की बात भी लिखी है.
इस महिला ने भी बुरहानपुर में 3 दिन पहले जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. महिला ने भी अपने बयान में माने के खिलाफ प्रताड़ित करने के आरोप लगाए थे. आशंका जताई जा रही है कि इन्हीं सब बातों के चलते जगन्नाथ माने ने जहर खा लिया.