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हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी से किया जवाब तलब, पूछा- कितने आरोपियों की जमानत याचिका खारिज होने के बाद हुई गिरफ्तारी

जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक थाना प्रभारी के अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए. प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी से पूछा है कि ऐसे कितने आरोपी है जिनकी जमानत अर्जी खारिज होने के बाद पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी की.

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Published : Mar 27, 2019, 8:53 PM IST

ग्वालियर। जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक थाना प्रभारी के अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए. गृह विभाग के प्रमुख सचिव और डीजीपी से पूछा है कि ऐसे कितने आरोपी है जिनकी जमानत अर्जी खारिज होने के बाद भी पुलिस उनकी गिरफ्तारी नहीं कर पाई है.

ग्वालियर

दरअसल 2011 में शिवपुरी के दिनारा थाना क्षेत्र में सर्चिंग के दौरान पुलिस का डकैतों से सामना हो गया था क्रॉस फायरिंग में एक डकैत को गोली लगी थी मामले में दोनों पक्षों की ओर से मामला भा दर्ज हुआ था लेकिन बाद में घायल डकैत ने टीआई राजवीर सिंह और सिपाही आर.के शुक्ला के पक्ष में बयान देकर केस में एफआर लगवा दी थी. जिसके खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की. उच्चतम न्यायलय ने पूरे मामले की दोबारा जांच के लिए केस को वापस सरकार के पास भेज दिया था. लेकिन पुलिस ने मामले में कोई जांच नहीं की और पिछले सात सालों से यह मामला पुलिस और जांच अधिकारियों के बीच लटका हुआ है. इस बीच क्रॉस मामले में आरोपी बनाए गए सब इंस्पेक्टर राजवीर सिंह ने अपनी अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. लेकिन ग्वालियर खंडपीठ ने यह कहकर मामले की याचिका खारिज कर दी कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूरे मामले की दोबारा जांच होनी है और केस डायरी और दस्तावेज सील बंद है इसलिए कोर्ट ने अग्रिम जमानत खारिज कर दि.

सरकारी अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में इस बारे में कोर्ट को बताया था कि चूंकि दूसरे कोर्ट से इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज़ सील हैं. इसलिए केस डायरी पेश नहीं की जा सकती. ऐसे में कोर्ट ने नाराजगी जताई और पूछा कि 2011- 12 के ऐसे कितने मामले हैं जिनमें अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. साथ ही कोर्ट ने इसकी सूची गृह विभाग के प्रमुख सचिव और डीजीपी से भी मांगी है.

ग्वालियर। जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक थाना प्रभारी के अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए. गृह विभाग के प्रमुख सचिव और डीजीपी से पूछा है कि ऐसे कितने आरोपी है जिनकी जमानत अर्जी खारिज होने के बाद भी पुलिस उनकी गिरफ्तारी नहीं कर पाई है.

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दरअसल 2011 में शिवपुरी के दिनारा थाना क्षेत्र में सर्चिंग के दौरान पुलिस का डकैतों से सामना हो गया था क्रॉस फायरिंग में एक डकैत को गोली लगी थी मामले में दोनों पक्षों की ओर से मामला भा दर्ज हुआ था लेकिन बाद में घायल डकैत ने टीआई राजवीर सिंह और सिपाही आर.के शुक्ला के पक्ष में बयान देकर केस में एफआर लगवा दी थी. जिसके खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की. उच्चतम न्यायलय ने पूरे मामले की दोबारा जांच के लिए केस को वापस सरकार के पास भेज दिया था. लेकिन पुलिस ने मामले में कोई जांच नहीं की और पिछले सात सालों से यह मामला पुलिस और जांच अधिकारियों के बीच लटका हुआ है. इस बीच क्रॉस मामले में आरोपी बनाए गए सब इंस्पेक्टर राजवीर सिंह ने अपनी अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. लेकिन ग्वालियर खंडपीठ ने यह कहकर मामले की याचिका खारिज कर दी कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूरे मामले की दोबारा जांच होनी है और केस डायरी और दस्तावेज सील बंद है इसलिए कोर्ट ने अग्रिम जमानत खारिज कर दि.

सरकारी अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में इस बारे में कोर्ट को बताया था कि चूंकि दूसरे कोर्ट से इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज़ सील हैं. इसलिए केस डायरी पेश नहीं की जा सकती. ऐसे में कोर्ट ने नाराजगी जताई और पूछा कि 2011- 12 के ऐसे कितने मामले हैं जिनमें अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. साथ ही कोर्ट ने इसकी सूची गृह विभाग के प्रमुख सचिव और डीजीपी से भी मांगी है.

Intro:ग्वालियर
हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच ने एक थाना प्रभारी के अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज करते हुए प्रदेश के पुलिस मुखिया से पूछा है कि ऐसे कितने आरोपी है जिन की जमानत अर्जी खारिज होने के बाद पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी की है और कितने लोग फरार हैं इस मामले में गृह सचिव और डीजीपी को 29 मार्च तक अपना जवाब हाई कोर्ट में पेश करना है।


Body:दरअसल मामला 2011 का है जब शिवपुरी के दिनारा थाना क्षेत्र में सर्चिंग के दौरान पुलिस का डकैतों से सामना हो गया था क्रॉस फायरिंग में एक डकैत को गोली लगी थी इस मामले में दोनों ओर से कायमी की गई थी लेकिन बाद में पैर में गोली लगने से घायल व्यक्ति ने थानेदार राजवीर सिंह और सिपाही आर के शुक्ला के पक्ष में बयान देकर केस में एफआर लगवा ली थी। जिसके खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को दोबारा जांच के लिए वापस सरकार के पास भेज दिया। लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई अनुसंधान अथवा जांच नहीं की और पिछले सात सालों से यह मामला पुलिस और जांच अधिकारियों के बीच झूल रहा है इस बीच क्रॉस मामले में आरोपी बनाए गए सब इंस्पेक्टर राजवीर सिंह ने अपना अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में आवेदन पेश किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूरे मामले की दोबारा जांच होनी है इसलिए केस डायरी और दस्तावेज सील होकर बंद है इसलिए राजगीर का आवेदन कोर्ट ने खारिज कर दिया।


Conclusion:सरकारी अधिवक्ता ने हाई कोर्ट में इस बारे में कोर्ट को बताया था कि चुकि दूसरे कोर्ट से इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज़ सील किए गए हैं इसलिए केस डायरी पेश नहीं की जा सकती। ऐसे में कोर्ट ने नाराजगी जताई और पूछा कि 2011- 12 के ऐसे कितने मामले हैं जिनमें अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। इसकी सूची गृह विभाग के प्रमुख सचिव और डीजीपी को 29 मार्च को हाई कोर्ट में शपथ पत्र के साथ पेश करने की करनी है।
बाइट एचके शुक्ला... राजवीर सिंह के अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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