भोपाल। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले बुधवार से एक बार फिर किसान हड़ताल करने जा रहे हैं, ये हड़ताल तीन दिनों तक चलेगी. उसके बाद भारतीय किसान संघ एक से 5 जून तक हड़ताल करने का ऐलान किया है. इस दौरान किसान गांव से सब्जी, दूध, फल जैसे उत्पाद को शहर नहीं भेजेंगे. जिससे शहरी इलाकों में फल, दूध, सब्जी की कमी देखने को मिल सकती है. साथ ही महंगाई भी बढ़ सकती है.
भारतीय किसान यूनियन ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आते ही इसमें कई तरह के नियम-शर्तें जोड़ दी, जिससे किसान परेशान हो रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार ने कितने किसानों का कर्ज माफ किया है. अगर किसानों का कर्ज सरकार ने माफ किया है तो फिर उन्हें बैंकों से नोटिस क्यों आ रहे हैं. किसान खुदकुशी करने को मजबूर क्यों हैं. भारतीय किसान यूनियन का कहना है कि आज भी किसानों को उनके उपज का सही दाम नहीं मिलता. किसानों की मांग है कि व्यापारियों की तरह किसानों को भी उपज का दाम तय करने का अधिकार मिले.
क्या है किसानों की मांगें-
- स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू की जाए.
- कृषि को लाभ का धंधा बनाया जाए.
- मंडी में उपज समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर बिकने पर रोक लगे.
- सरकार की तरफ से किसान कर्ज माफी स्पष्ट हो.
- 2 लाख तक कर्ज माफी में सभी किसानों को समानता से राशि दी जाए.
- फसल बीमा योजना में सुधार किया जाए.
- मंडी में बेची गई उपज का दाम नकदी में हो.
प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए भारतीय किसान यूनियन ने 29 मई से 31 मई तक हड़ताल का एलान किया है. उसके बाद भारतीय किसान संघ एक से 5 जून तक हड़ताल करने का ऐलान किया है. हड़ताल के दौरान गांव से दूध-सब्जी सहित कोई भी उपज मंडी तक नहीं पहुंचाने की किसानों ने घोषणा की है.