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ग्वालियर: चुनाव में याद आए किसान, वोट बैंक को साधने में जुटे राजनीतिक दल

लोकसभा चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे है. वैसे-वैसे राजनितिक दलों को किसान के मुद्दे याद आने लगे है और याद भी क्यों नहीं. विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव सभी में किसान हमेशा निर्णायक भूमिका निभाता रहा है. ग्वालियर चंबल संभाग में भी किसान अपने वोट के भूते पार्टियों के समीकरण बनाते और बिगाड़ते रहे हैं.

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Published : Mar 31, 2019, 6:08 PM IST

ग्वालियर

ग्वालियर। लोकसभा चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे है. वैसे-वैसे राजनितिक दलों को किसान के मुद्दे याद आने लगे है और याद भी क्यों नहीं. विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव सभी में किसान हमेशा निर्णायक भूमिका निभाता रहा है. ग्वालियर चंबल संभाग में भी किसान अपने वोट के भूते पार्टियों के समीकरण बनाते और बिगाड़ते रहे हैं.

चुनाव आते ही फिर याद आए किसान

संभाग की ग्वालियर लोकसभा सीट पर अनुमानन 50 फ़ीसदी किसान वोटर हैं. इसके अलावा मुरैना-भिंड और गुना लोकसभा सीट पर 75 से 78 फ़ीसदी ग्रामीण किसान मतदाता है. लिहाजा सभी राजनितिक दलों की निगाहें इन किसान के वोट बैंक पर है.

किसानों के मुद्दे पर बोलते हुए बीजेपी प्रवक्ता ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ का पिछले तीन महीने के कार्यकाल घोर निराथाजनक रहा है. किसान, बेरोजगारी और महिलाओं के मुद्दे पर कमलनाथ सरकार की पोल खुल चुकी है. वे यह कहने से भी पीछे नहीं हटे कि कमलनाथ अति निष्क्रिय मुख्यमंत्री है.

वहीं कमलनाथ को अब तक का सही मुख्यमंत्री बताते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जो पार्टी ने वचन पत्र में किसानों के लिए वादे किए थे. वो हमने निभाए है. कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के 25 लाख किसानों का कर्जा माफ किया है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ने को जुमलेबाज पार्टी करार दिया. कांग्रेस नेता ने शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए किसान मामलों में कितने घपले हुए है. हम आगे भी किसानों के लिए कल्याणकारी योजना लेकर आएंगे.

दोनों ही दलों पर बोलते हुए वरिष्ट पत्रकार ने जानकारी देते हुए कहा कि सवाल यह नहीं है कि किसान का कर्ज माफ हुआ है या बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि प्रदेश के कितने किसानों का भला हुआ है. तीन बार कर्ज माफी हो चुकी है और बार ब्याज माफ हो चुका है इसके बाद भी किसान आत्महत्या क्यों कर रहा है. दरअसल राजनैतिक दल चाहते ही नहीं है कि किसानों का भला हो.


जाने ग्वालियर-चंबल संभाग की जिले बार किसान मतदाताओं की आबादी

ग्वालियर लोकसभा सीट- 19 लाख कुल मतदाता
ग्रामीण किसान मतदाता 51 फ़ीसदी
शहरी क्षेत्र की मतदाता 49 की फ़ीसदी

गुना लोकसभा सीट- 16 लाख कुल मतदाता
ग्रामीण किसान मतदाता 76.66 फीसदी
शहरी क्षेत्र की मतदाता 23 34 फ़ीसदी


मुरैना लोकसभा सीट- 17 लाख कुल मतदाता
ग्रामीण किसान मतदाता 78.30 फ़ीसदी,
शहरी क्षेत्र की मतदाता 21.77 फ़ीसदी

भिंड लोकसभा सीट - 15 लाख कुल मतदाता
ग्रामीण मतदाता 75. 3 फ़ीसदी
शहरी क्षेत्र की मतदाता 24.7 फीसदी

ग्वालियर। लोकसभा चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे है. वैसे-वैसे राजनितिक दलों को किसान के मुद्दे याद आने लगे है और याद भी क्यों नहीं. विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव सभी में किसान हमेशा निर्णायक भूमिका निभाता रहा है. ग्वालियर चंबल संभाग में भी किसान अपने वोट के भूते पार्टियों के समीकरण बनाते और बिगाड़ते रहे हैं.

चुनाव आते ही फिर याद आए किसान

संभाग की ग्वालियर लोकसभा सीट पर अनुमानन 50 फ़ीसदी किसान वोटर हैं. इसके अलावा मुरैना-भिंड और गुना लोकसभा सीट पर 75 से 78 फ़ीसदी ग्रामीण किसान मतदाता है. लिहाजा सभी राजनितिक दलों की निगाहें इन किसान के वोट बैंक पर है.

किसानों के मुद्दे पर बोलते हुए बीजेपी प्रवक्ता ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ का पिछले तीन महीने के कार्यकाल घोर निराथाजनक रहा है. किसान, बेरोजगारी और महिलाओं के मुद्दे पर कमलनाथ सरकार की पोल खुल चुकी है. वे यह कहने से भी पीछे नहीं हटे कि कमलनाथ अति निष्क्रिय मुख्यमंत्री है.

वहीं कमलनाथ को अब तक का सही मुख्यमंत्री बताते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जो पार्टी ने वचन पत्र में किसानों के लिए वादे किए थे. वो हमने निभाए है. कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के 25 लाख किसानों का कर्जा माफ किया है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ने को जुमलेबाज पार्टी करार दिया. कांग्रेस नेता ने शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए किसान मामलों में कितने घपले हुए है. हम आगे भी किसानों के लिए कल्याणकारी योजना लेकर आएंगे.

दोनों ही दलों पर बोलते हुए वरिष्ट पत्रकार ने जानकारी देते हुए कहा कि सवाल यह नहीं है कि किसान का कर्ज माफ हुआ है या बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि प्रदेश के कितने किसानों का भला हुआ है. तीन बार कर्ज माफी हो चुकी है और बार ब्याज माफ हो चुका है इसके बाद भी किसान आत्महत्या क्यों कर रहा है. दरअसल राजनैतिक दल चाहते ही नहीं है कि किसानों का भला हो.


जाने ग्वालियर-चंबल संभाग की जिले बार किसान मतदाताओं की आबादी

ग्वालियर लोकसभा सीट- 19 लाख कुल मतदाता
ग्रामीण किसान मतदाता 51 फ़ीसदी
शहरी क्षेत्र की मतदाता 49 की फ़ीसदी

गुना लोकसभा सीट- 16 लाख कुल मतदाता
ग्रामीण किसान मतदाता 76.66 फीसदी
शहरी क्षेत्र की मतदाता 23 34 फ़ीसदी


मुरैना लोकसभा सीट- 17 लाख कुल मतदाता
ग्रामीण किसान मतदाता 78.30 फ़ीसदी,
शहरी क्षेत्र की मतदाता 21.77 फ़ीसदी

भिंड लोकसभा सीट - 15 लाख कुल मतदाता
ग्रामीण मतदाता 75. 3 फ़ीसदी
शहरी क्षेत्र की मतदाता 24.7 फीसदी

Intro:ग्वालियर- लोकसभा चुनाव में इस बार ग्वालियर चंबल अंचल में किसान बहुत निर्णायक भूमिका अदा करेंगे। ग्वालियर लोकसभा सीट पर करीब 50 फ़ीसदी ग्रामीण किसान वोटर हैं तो वहीं मुरैना भिंड और गुना लोकसभा सीट पर 75 से 78 फ़ीसदी ग्रामीण किसान मतदाता है। यही वजह है कि चंबल फतेह के लिए दोनों पार्टियां किसानों को अपनी ओर लुभाने लगी है। बीजेपी कांग्रेस दोनों पार्टियां खुद को किसानों की हम दर्द और हिमायती बताने के लिए रणनीति बना रही है। बीजेपी किसान मोर्चा जहां कांग्रेस की कर्ज माफी को पूरा जुमला बता कर प्रचार तो करेगी तो वही कांग्रेस कर्ज माफी बोनस और बीजेपी सरकार के लोन घोटाले के मुद्दे पर वोटरों को अपनी ओर लुभाएंगी।


Body:लोकसभा की बिसात बिछ चुकी की है ग्वालियर चंबल अंचल की 4 सीटों पर इस बार कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है वैसे तो अंचल में कई चुनावी मुद्दे रहेंगे लेकिन किसान वोटर जीत हार में अहम रोल अदा करेंगे आईए आपको आंकड़ों के जरिए बताते हैं कि कितना अहम है किसान वोटर .....

ग्वालियर चंबल अंचल की 4 सीटों पर किसान मतदाताओं की संख्या........

ग्वालियर लोकसभा सीट-

कुल मतदाता 19 लाख

ग्रामीण किसान मतदाता 51 फ़ीसदी ,लगभग 9 लाख 70 हजार मतदाता

शहरी क्षेत्र की मतदाता 49 की फ़ीसदी ,लगभग 9 लाख 31 हजार मतदाता।

मुरैना लोकसभा सीट-

कुल मतदाता 17 लाख

ग्रामीण किसान मतदाता 78.30 फ़ीसदी, 13 लाख 26 हजार मतदाता

शहरी क्षेत्र की मतदाता 21.77 फ़ीसदी लगभग 3 लाख 75 हजार मतदाता ।

भिंड लोकसभा सीट -

कुल मतदाता 15 लाख

ग्रामीण मतदाता 75. 3 फ़ीसदी, लगभग 11 लाख 30 हजार मतदाता

शहरी क्षेत्र की मतदाता 24.7 फीसदी, लगभग 3 लाख 70 हजार मतदाता ।

गुना लोकसभा सीट-

कुल मतदाता 16 लाख

ग्रामीण किसान मतदाता 76.66 फीसदी, लगभग 12 लाख 25 हजार मतदाता

शहरी क्षेत्र की मतदाता 23 34 फ़ीसदी, लगभग 3 लाख 75 हजार मतदाता ।

बीओ - विधानसभा में किसानों की कर्ज माफी की वादे ने ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस को बंपर सीटें दिलाई थी। कांग्रेस ने 34 में से 27 सीटों पर कब्जा जमाया था जबकि बीजेपी महज 7 सीटों पर सिमट गई थी । अंचल की 4 सीटों पर कांग्रेस को बीजेपी के मुकाबले 6 लाख 67 हजार वोट ज्यादा मिले। विधानसभा हार के बाद ही समीक्षा में खुलासा हुआ कि ग्रामीण किसान वोटरों ने किसान के लिए जमकर वोटिंग की थी ।यही वजह है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी किसान और वोटरों को अपने पाले में लाने की कवायद में जुट गई है। बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस ने विधानसभा में कर्ज माफी सहित अन्य मुद्दों के सहारे किसानों को बरगला कर वोट हासिल किये है लेकिन अब लोकसभा में किसान मोदी के पक्ष में वोट करेगा ।

बाईट- राजेश सोलंकी , बीजेपी प्रवक्ता


Conclusion:बीओ- विधानसभा में किसानों के सहारे ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस ने जोरदार कामयाबी हासिल की थी। कांग्रेस लोकसभा में किसान कर्ज माफी, समर्थन मूल्य बढ़ोतरी ,फसल बोनस योजना और बीजेपी के शासन में किसान कर्ज घोटाला को लेकर बीजेपी को गिरेगी । कांग्रेस का दावा है कि विधानसभा में किए गए वादे निभाने के बाद किसानों का कांग्रेस पर भरोसा और बढ़ गया है कांग्रेस का दावा है कि प्रदेश में 25 हजार किसानों का 10 हजार करोड़ का कर्ज माफ हो रहा है। वह लोकसभा में किसानों के लिए नई योजनाओं के साथ कांग्रेस किसानों की वोट हासिल करेगी। साथ ही कांग्रेस ने बीजेपी के कर्ज माफी घोटाले को चुनावी मुद्दा बनाने की बात कही है ।

बाईट- आरपी सिंह , प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस

बीओ- ग्वालियर चंबल अंचल की राजनीति पर किसानों के रुख को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि कर्ज माफी जैसे वादे करके सरकार किसानों को मूल मुद्दों से भटकने का काम करते हैं कुछ किसानों को तो कर्जमाफी और ब्याज माफी का फायदा होता है और कुछ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं। कर्ज माफी के अलावा खेती का रकबा बढ़ाने और उन्नत खेती की दिशा सरकार को काम करना चाहिए । हर सरकार अपने आप को किसानों की सरकार मानती है और सरकार के अनुसार किसानों को फायदा भी पहुंचाया भी जाता है ।तो फिर किसान आत्महत्या क्यों करते है।

बाईट- देव श्रीमाली , बरिष्ठ पत्रकार

बीओ - ग्वालियर चंबल अंचल की 4 सीटों पर अभी दोनों पार्टियों के कुछ उम्मीदवारों की घोषणा बाकी है लेकिन चुनावी मुद्दों को लेकर मैदान में उतरने वाली राजनीतिक पार्टियों ने मुद्दों की गणित बैठाना शुरू कर दिया है। वैसे तो ग्वालियर चंबल अंचल में जातिगत मतदाता सबसे ज्यादा हावी रहता है लेकिन विधानसभा की नतीजों को देखते हुए लगता है कि लोकसभा में जीत हार तय करने में किसान अहम रोल निभाया। यही वजह है कि दोनों ही पार्टियां खुद को किसानों हितैसी बता रही है। वहीं पार्टियों की घोषणा पत्र में किसानों के लिए बड़ी बातें जरूर शामिल रहेंगे ।
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