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प्राचीन कोटेश्वर महादेव का पहाड़ों से गिरते पानी से होता है अभिषेक

जिले की सीमा पर स्थित विंध्याचल की पहाड़ियों में महू-मंडलेश्वर राजमार्ग के बीच एक बहुत ही प्राचीन शिवलिंग निर्मित है. जाम गेट के पास से पहाड़ियों में पथरीले रास्ते से करीब 700 मीटर नीचे प्राचीन शिव मंदिर, कुंड व बाराद्वारी भवन निर्मित है.

Ancient Koteshwar Mahadev Temple
प्राचीन कोटेश्वर महादेव मंदिर
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Published : Jul 6, 2020, 5:11 PM IST

खरगोन। कहते हैं श्रावण मास में शिव जी के दर्शन का विशेष महत्व होता है. हमारे आसपास ऐसी कई प्राचीन धरोहरें होती हैं, जिसकी जानकारी के अभाव में उन तक पहुंचना मुश्किल होता है, ऐसा ही एक प्राचीन शिव मंदिर है, जिसके निर्माण और ऐतिहासिक महत्व के बारे में जानते हैं. जिले की सीमा पर स्थित विंध्याचल की पहाड़ियों में महू-मंडलेश्वर राजमार्ग के बीच एक बहुत ही प्राचीन शिवलिंग निर्मित है. जाम गेट के पास से पहाड़ियों में पथरीले रास्ते से करीब 700 मीटर नीचे प्राचीन शिव मंदिर, कुंड व बाराद्वारी भवन निर्मित है. ऐतिहासिक जाम गेट से थोड़ी दूर पहाड़ी के नीचे उतरने पर एक पथरीला रास्ता दिखाई देता है, इस रास्ते से नीचे उतरने पर प्राचीन शिव मंदिर तक पहुंचते हैं.

Ancient Koteshwar Mahadev Temple
प्राचीन कोटेश्वर महादेव मंदिर

अहिल्या कालीन है मंदिर व कुंड
मंदिर की देखरेख व पूजा पाठ करने वाले पुजारी दीपक शर्मा ने बताया कि होलकर वंश की महारानी अहिल्या बाई शिव की अनन्य भक्त थी, उन्होंने ही इस मंदिर को बनवाया था. उस समय की राजधानी महेश्वर से इंदौर जाने के दौरान उनका काफिला ऐतिहासिक जाम गेट पर विश्राम के लिए रुकता था, विश्राम करने के बाद नीचे बने कुंड में स्नान करके शिव जी की आराधना करती थी. मंदिर के आसपास बने कुंड व बाराद्वारी भवन अतिप्राचीन हैं. ऐसा माना जाता है कि पहाड़ी से गिरते पानी से शिवलिंग का अभिषेक होता था, पहाड़ों से गिरता पानी चांदी की तरह चमकता है.

Ancient Koteshwar Mahadev Temple
प्राचीन कोटेश्वर महादेव मंदिर

पहले बना था प्राचीन रास्ता

पार्वती माता जाम गेट के ट्रस्टी अजय पाटीदार ने बताया कि बचपन से इस शिवलिंग के दर्शन के लिए आ रहा हूं, यहां पहुंचने के लिए अहिल्या माता ने रास्ते का निर्माण भी करवाया था, जोकि अब क्षतिग्रस्त हो चुका है. स्टेट हाइवे निर्माण के दौरान रास्ते पर मलबा डालने से वहां का पहुंच मार्ग दब चुका है. पुरातत्व विभाग को रास्ता दुरुस्त करवाना चाहिए, तथा रास्ते पर संकेतक भी लगवाना चाहिए, जिससे शिव भक्तों को पहुंचने में आसानी हो.

Ancient Koteshwar Mahadev Temple
प्राचीन कोटेश्वर महादेव मंदिर
Koteshwar mahadev mndir
प्राचीन कोटेश्वर महादेव मंदिर
पुरातत्व विभाग ने कही ये बातपुरातत्व विभाग के उप संचालक ने बताया कि हाल ही में जाम गेट व गढ़ी किला पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आया है, उसकी मरम्मत और निर्माण कार्य जल्दी शुरू किया जाएगा. साथ की मंदिर व रास्ते का निरीक्षण कर जल्द संरक्षित किया जायेगा. ऐतिहासिक जाम गेट पर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है, मंदिर व रास्ते की मरम्मत होने से पर्यटक भी आकर्षित हो सकते हैं.

खरगोन। कहते हैं श्रावण मास में शिव जी के दर्शन का विशेष महत्व होता है. हमारे आसपास ऐसी कई प्राचीन धरोहरें होती हैं, जिसकी जानकारी के अभाव में उन तक पहुंचना मुश्किल होता है, ऐसा ही एक प्राचीन शिव मंदिर है, जिसके निर्माण और ऐतिहासिक महत्व के बारे में जानते हैं. जिले की सीमा पर स्थित विंध्याचल की पहाड़ियों में महू-मंडलेश्वर राजमार्ग के बीच एक बहुत ही प्राचीन शिवलिंग निर्मित है. जाम गेट के पास से पहाड़ियों में पथरीले रास्ते से करीब 700 मीटर नीचे प्राचीन शिव मंदिर, कुंड व बाराद्वारी भवन निर्मित है. ऐतिहासिक जाम गेट से थोड़ी दूर पहाड़ी के नीचे उतरने पर एक पथरीला रास्ता दिखाई देता है, इस रास्ते से नीचे उतरने पर प्राचीन शिव मंदिर तक पहुंचते हैं.

Ancient Koteshwar Mahadev Temple
प्राचीन कोटेश्वर महादेव मंदिर

अहिल्या कालीन है मंदिर व कुंड
मंदिर की देखरेख व पूजा पाठ करने वाले पुजारी दीपक शर्मा ने बताया कि होलकर वंश की महारानी अहिल्या बाई शिव की अनन्य भक्त थी, उन्होंने ही इस मंदिर को बनवाया था. उस समय की राजधानी महेश्वर से इंदौर जाने के दौरान उनका काफिला ऐतिहासिक जाम गेट पर विश्राम के लिए रुकता था, विश्राम करने के बाद नीचे बने कुंड में स्नान करके शिव जी की आराधना करती थी. मंदिर के आसपास बने कुंड व बाराद्वारी भवन अतिप्राचीन हैं. ऐसा माना जाता है कि पहाड़ी से गिरते पानी से शिवलिंग का अभिषेक होता था, पहाड़ों से गिरता पानी चांदी की तरह चमकता है.

Ancient Koteshwar Mahadev Temple
प्राचीन कोटेश्वर महादेव मंदिर

पहले बना था प्राचीन रास्ता

पार्वती माता जाम गेट के ट्रस्टी अजय पाटीदार ने बताया कि बचपन से इस शिवलिंग के दर्शन के लिए आ रहा हूं, यहां पहुंचने के लिए अहिल्या माता ने रास्ते का निर्माण भी करवाया था, जोकि अब क्षतिग्रस्त हो चुका है. स्टेट हाइवे निर्माण के दौरान रास्ते पर मलबा डालने से वहां का पहुंच मार्ग दब चुका है. पुरातत्व विभाग को रास्ता दुरुस्त करवाना चाहिए, तथा रास्ते पर संकेतक भी लगवाना चाहिए, जिससे शिव भक्तों को पहुंचने में आसानी हो.

Ancient Koteshwar Mahadev Temple
प्राचीन कोटेश्वर महादेव मंदिर
Koteshwar mahadev mndir
प्राचीन कोटेश्वर महादेव मंदिर
पुरातत्व विभाग ने कही ये बातपुरातत्व विभाग के उप संचालक ने बताया कि हाल ही में जाम गेट व गढ़ी किला पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आया है, उसकी मरम्मत और निर्माण कार्य जल्दी शुरू किया जाएगा. साथ की मंदिर व रास्ते का निरीक्षण कर जल्द संरक्षित किया जायेगा. ऐतिहासिक जाम गेट पर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है, मंदिर व रास्ते की मरम्मत होने से पर्यटक भी आकर्षित हो सकते हैं.
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