होशंगाबाद। सतपुड़ा की पहाडियों और नर्मदा की गोद में बसा होशंगाबाद जिला सूबे में जितना अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, उतना ही यह प्रदेश की सियासत में भी अहम है. क्योंकि नर्मदा की धरा से निकले नेताओं ने देश और प्रदेश की राजनीति में होशंगाबाद को अलग पहचान दिलाई है. नर्मदापुरम के नाम से मशहूर होशंगाबाद लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी के राव उदय प्रताप सिंह का मुकाबला कांग्रेस के शैलेंद्र दीवान से हैं.
अगर बात होशंगाबाद लोकसभा सीट के इतिहास की की जाए तो शुरुआत में कांग्रेस के दबदबे वाली इस सीट पर बीजेपी की मजबूत पकड़ नजर आती है. 1951 से अबतक यहां कुल 14 आम चुनाव हुए हैं, जिनमें 7 बार बीजेपी ने अपना परचम लहराया, तो पांच बार कांग्रेस को जीत मिली है. जबकि एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने भी यहां फतह हासिल की थी. पूर्व मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा, सरताज सिंह जैसे दिग्गज नेता होशंगाबाद सीट का प्रतिनिधित्व देश की सबसे बड़ी पंचायत में करते रहे हैं. यही वजह है कि इस सीट पर सबकी निगाहें टिकी रहती हैं.
होशंगाबाद लोकसभा सीट पर इस बार कुल 17लाख 03 हजार 765 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे. जिनमें 8लाख 95हजार 775 पुरुष मतदाता तो 8लाख 07हजार 735 महिला मतदाता शामिल हैं. होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र के तहत आठ विधानसभा सीटें आती है, जिनमें होशंगाबाद, पिपरिया, सोहागपुर, सिवनी-मालवा, नरसिंहपुर, गाडरवारा, तेंदूखेड़ा और उदयपुरा शामिल है. जहां चार सीटों पर बीजेपी काबिज है, तो चार सीटों पर कांग्रेस का भी कब्जा है. विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर इस सीट पर दोनों सियासी दलों में बराबरी का मुकाबला नजर आता है.
2009 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट से जीत दर्ज करने वाले राव उदयप्रताप सिंह 2014 में बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़े थे. जहां उन्होंने कांग्रेस के देवेंद्र पटेल को हराया था. जबकि इस बार राव उदय प्रताप का मुकाबला कांग्रेस के शैलेंद्र दीवान से हैं.
नर्मदा से घिरी इस लोकसभा सीट पर बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. सोयाबीन की पैदावार में अग्रणी रहने वाले इस संसदीय क्षेत्र में बड़े उद्योग न होने से यहां के लोग रोजगार के लिए परेशान नजर आते हैं. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की समस्याएं अब भी जस की तस नजर आती हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि होशंगाबाद का वोटर 6 मई को अपने मत से 23 मई को उदय प्रताप का भाग्य उदय करता है, या फिर यहां शैलेंद्र का राज होता है.