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नर्मदा की गोद में खिलेगा कमल या 'पंजा' करेगा वापसी, दीवान बनेंगे शैलेंद्र या उदय प्रताप का होगा भाग्योदय

होशंगाबाद लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी प्रत्याशी राव उदयप्रताप सिंह का मुकाबला कांग्रेस के शैलेंद्र दीवान से हैं. उदयप्रताप ने पिछले चुनाव में कांग्रेस के देवेंद्र पटेल का हराया था.

बीजेपी प्रत्याशी राव उदयप्रताप और कांग्रेस प्रत्याशी शैलेंद्र दीवान
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Published : May 5, 2019, 12:33 AM IST

Updated : May 5, 2019, 11:52 AM IST

होशंगाबाद। सतपुड़ा की पहाडियों और नर्मदा की गोद में बसा होशंगाबाद जिला सूबे में जितना अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, उतना ही यह प्रदेश की सियासत में भी अहम है. क्योंकि नर्मदा की धरा से निकले नेताओं ने देश और प्रदेश की राजनीति में होशंगाबाद को अलग पहचान दिलाई है. नर्मदापुरम के नाम से मशहूर होशंगाबाद लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी के राव उदय प्रताप सिंह का मुकाबला कांग्रेस के शैलेंद्र दीवान से हैं.

नर्मदा की गोद में खिलेगा कमल या पंजा करेगा वापसी होशंगाबाद सीट का सियासी समीकरण

अगर बात होशंगाबाद लोकसभा सीट के इतिहास की की जाए तो शुरुआत में कांग्रेस के दबदबे वाली इस सीट पर बीजेपी की मजबूत पकड़ नजर आती है. 1951 से अबतक यहां कुल 14 आम चुनाव हुए हैं, जिनमें 7 बार बीजेपी ने अपना परचम लहराया, तो पांच बार कांग्रेस को जीत मिली है. जबकि एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने भी यहां फतह हासिल की थी. पूर्व मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा, सरताज सिंह जैसे दिग्गज नेता होशंगाबाद सीट का प्रतिनिधित्व देश की सबसे बड़ी पंचायत में करते रहे हैं. यही वजह है कि इस सीट पर सबकी निगाहें टिकी रहती हैं.

होशंगाबाद लोकसभा सीट पर इस बार कुल 17लाख 03 हजार 765 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे. जिनमें 8लाख 95हजार 775 पुरुष मतदाता तो 8लाख 07हजार 735 महिला मतदाता शामिल हैं. होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र के तहत आठ विधानसभा सीटें आती है, जिनमें होशंगाबाद, पिपरिया, सोहागपुर, सिवनी-मालवा, नरसिंहपुर, गाडरवारा, तेंदूखेड़ा और उदयपुरा शामिल है. जहां चार सीटों पर बीजेपी काबिज है, तो चार सीटों पर कांग्रेस का भी कब्जा है. विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर इस सीट पर दोनों सियासी दलों में बराबरी का मुकाबला नजर आता है.

2009 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट से जीत दर्ज करने वाले राव उदयप्रताप सिंह 2014 में बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़े थे. जहां उन्होंने कांग्रेस के देवेंद्र पटेल को हराया था. जबकि इस बार राव उदय प्रताप का मुकाबला कांग्रेस के शैलेंद्र दीवान से हैं.

नर्मदा से घिरी इस लोकसभा सीट पर बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. सोयाबीन की पैदावार में अग्रणी रहने वाले इस संसदीय क्षेत्र में बड़े उद्योग न होने से यहां के लोग रोजगार के लिए परेशान नजर आते हैं. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की समस्याएं अब भी जस की तस नजर आती हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि होशंगाबाद का वोटर 6 मई को अपने मत से 23 मई को उदय प्रताप का भाग्य उदय करता है, या फिर यहां शैलेंद्र का राज होता है.

होशंगाबाद। सतपुड़ा की पहाडियों और नर्मदा की गोद में बसा होशंगाबाद जिला सूबे में जितना अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, उतना ही यह प्रदेश की सियासत में भी अहम है. क्योंकि नर्मदा की धरा से निकले नेताओं ने देश और प्रदेश की राजनीति में होशंगाबाद को अलग पहचान दिलाई है. नर्मदापुरम के नाम से मशहूर होशंगाबाद लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी के राव उदय प्रताप सिंह का मुकाबला कांग्रेस के शैलेंद्र दीवान से हैं.

नर्मदा की गोद में खिलेगा कमल या पंजा करेगा वापसी होशंगाबाद सीट का सियासी समीकरण

अगर बात होशंगाबाद लोकसभा सीट के इतिहास की की जाए तो शुरुआत में कांग्रेस के दबदबे वाली इस सीट पर बीजेपी की मजबूत पकड़ नजर आती है. 1951 से अबतक यहां कुल 14 आम चुनाव हुए हैं, जिनमें 7 बार बीजेपी ने अपना परचम लहराया, तो पांच बार कांग्रेस को जीत मिली है. जबकि एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने भी यहां फतह हासिल की थी. पूर्व मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा, सरताज सिंह जैसे दिग्गज नेता होशंगाबाद सीट का प्रतिनिधित्व देश की सबसे बड़ी पंचायत में करते रहे हैं. यही वजह है कि इस सीट पर सबकी निगाहें टिकी रहती हैं.

होशंगाबाद लोकसभा सीट पर इस बार कुल 17लाख 03 हजार 765 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे. जिनमें 8लाख 95हजार 775 पुरुष मतदाता तो 8लाख 07हजार 735 महिला मतदाता शामिल हैं. होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र के तहत आठ विधानसभा सीटें आती है, जिनमें होशंगाबाद, पिपरिया, सोहागपुर, सिवनी-मालवा, नरसिंहपुर, गाडरवारा, तेंदूखेड़ा और उदयपुरा शामिल है. जहां चार सीटों पर बीजेपी काबिज है, तो चार सीटों पर कांग्रेस का भी कब्जा है. विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर इस सीट पर दोनों सियासी दलों में बराबरी का मुकाबला नजर आता है.

2009 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट से जीत दर्ज करने वाले राव उदयप्रताप सिंह 2014 में बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़े थे. जहां उन्होंने कांग्रेस के देवेंद्र पटेल को हराया था. जबकि इस बार राव उदय प्रताप का मुकाबला कांग्रेस के शैलेंद्र दीवान से हैं.

नर्मदा से घिरी इस लोकसभा सीट पर बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. सोयाबीन की पैदावार में अग्रणी रहने वाले इस संसदीय क्षेत्र में बड़े उद्योग न होने से यहां के लोग रोजगार के लिए परेशान नजर आते हैं. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की समस्याएं अब भी जस की तस नजर आती हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि होशंगाबाद का वोटर 6 मई को अपने मत से 23 मई को उदय प्रताप का भाग्य उदय करता है, या फिर यहां शैलेंद्र का राज होता है.

Intro: होशंगाबाद। होशंगाबाद लोकसभा संसदीय सीट चुनाव के दिन नजदीक आते ही दोनों पार्टियां पूरे जोर से प्रचार में जुटी हुई है और अब मतदाताओं को अपने अपने पक्ष में करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। यहाँ भाजपा और काँग्रेस की सीधी टक्कर है ।


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3 जिलों की 8 विधानसभा का प्रतिनिधित्व करता है सांसद

होशंगाबाद संसदीय सीट के अंतर्गत 3 जिलों के होशंगाबाद नरसिंहपुर, रायसेन की 8 विधानसभा में आती है होशंगाबाद जिले की होशंगाबाद ,सुहागपुर, पिपरिया, सिवनी मालवा और नरसिंहपुर की नरसिंहपुर तेंदूखेड़ा गाडरवारा और रायसेन की उदयपुरा विधानसभा आती है।

चुनावी पृष्ठभूमि

होशंगाबाद संसदीय सीट की यदि चुनावी समीकरण की बात करें तो ये पारंपरिक रुप से भाजपा की ही सीट मानी जाती है यहां से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा सांसद रह चुके हैं केवल 2009 को छोड़ दे तो ....पिछले 1991 से 7 बार से बीजेपी के खाते में आ रही है । 2009 मे भी कांग्रेस से राव उदयप्रताप विजय हुए थे 2014 से पहले ही राव उदय प्रताप सिंह बीजेपी में शामिल हो गए थे और मोदी लहर में कांग्रेस के देवेंद्र पटेल को 3,89,000 हजार वोटों से हरा दिया था
इस संसदीय सीट से दो बार के लोकसभा चुनाव में राव उदय प्रताप सिंह जो केवल रामपाल सिंह से 19 हजार वोट से जीते थे 2014 में मोदी लहर में बीजेपी से लड़कर यही आंकड़ा 3,89,960 वोटों तक पहुचा दिया था...वही कांग्रेस यहां पर हर बार एक नए चेहरे को उतार कर एक्सपेरिमेंट करती रही है पिछले तीन बार से भी इसी तरीके से उतारा जा रहा है इस बार भी कांग्रेस में एक नया चेहरा शैलेंद्र सिंह दीवान को अपना प्रत्याशी बनाया है फिलहाल शैलेंद्र सिंह के पास सिंह कोई बड़ा चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं है ऐसे में कांग्रेस का दाओ कितना सही बैठता है यह तो 6 मई को मतदान के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। शैलेंद्र सिंह दीवान कमलनाथ खेमे के माने जाते हैं और उन्हीं के अनुरोध पर कांग्रेस ने उन्हें यहां से टिकट दिया है।
इस बार के चुनाव मे भी लोकसभा संसदीय क्षेत्र में 2014 मे राव उदय प्रताप ने बेरोजगारी और उद्योग को अपना मुद्दा बनाया था लेकिन वे इस मुद्दे पर खड़े नहीं उतर पाए अब पीएम मोदी और राष्ट्रवाद की बातकर लोगों से वोट देने की अपील कर रहे हैं क्षेत्र में आज भी किसान और बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है इसी बात को लेकर कांग्रेस प्रत्याशी शैलेन्द्र सिंह दीवान इसे अपना प्रमुख मुद्दा बना रहे हैं ।

राजनीतिक स्थिति

होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र से बीजेपी और कांग्रेस विधानसभा बराबर स्थिति में दिख रही है दोनों ही पार्टियों के पास चार-चार विधानसभा आए हैं जिसमें होशंगाबाद की चारों विधानसभा है बीजेपी के पास है वहीं नरसिंहपुर की तीन एवं रायसेन की एक विधानसभा कांग्रेस के पास है बीजेपी होशंगाबाद जिले से मजबूत पकड़ रखती है तो वहीं कांग्रेस नरसिंहपुर जिले से अपनी पैठ बनाए हुए हैं ।

ऐतिहासिक इतिहास


होशंगाबाद लोकसभ सीट पर 17 बार चुनाव हो चुका है 1951 पहल चुनाव हुआ था कांग्रेस से सैयद अहमद ने निर्दलीय उम्मीदवार रहे पूर्व आईपीएस एमची कामथ को हराया था 1952 में उपचुनाव में सैयद अहमद को पूर्व आईपीएस एच वी कामत ने हरा दिया था 1957 में कांग्रेस ने यहां पर वापसी की और 98 के उपचुनाव में जीत हासिल की 1962 में कांग्रेस का एक बार यहां हार का सामना करना पड़ा 1962 चुनाव हारने के बाद फिर वापसी की... बीजेपी जीत की शुरुआत 1989 से पहली जीत सरताज सिंह ने 1991,1996,1998 मे भी चुनाव जीता और 1999 मैं पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को टिकट दिया और उन्होंने कांग्रेस के राजकुमार पटेल को करीब 50000 वोटों से मात दे दी 2004 के चुनाव में 87 बार फिर बीजेपी के मैदान में उतरे और ओमप्रकाश हजारी लाल को शिकस्त दी 2009 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर लड़ने वाले उदय प्रताप सिंह ने 2014 में बीजेपी की टिकट पर लड़ते हुए जीत हासिल की और 2019 बीजेपी के चेहरे के रूप में प्रत्याशी बने


मतदाताओ के आँकड़े
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक यहां पर 17,03,756मतदाता है जिनमे 8,95,775 पुरूष है और 8,07,918 महिला है । जो की लोकसभा के 6 मई को प्रत्याशी के भविष्य का फैसला करेंगे ।

बाइट प्रफुल पटेल ( सीनियर जॉर्नलिस्ट ,जागरण संपादक)
बाइट - दोनों प्रत्याशी की बाइट
still short








Conclusion:
Last Updated : May 5, 2019, 11:52 AM IST

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