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कोरोना प्रोटोकॉल : विश्व बैंक ने स्कूलों को बंद रखने पर उठाए सवाल

विश्व बैंक शिक्षा निदेशक (World Bank's Global Education Director) ने कहा है कि कोविड-19 के कारण बच्चों के लिए स्वास्थ्य जोखिम कम है, लेकिन स्कूल बंद करने की लागत बहुत अधिक है. उन्होंने स्कूलों को बंद रखने के औचित्य पर भी सवाल खड़े किए हैं.

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Published : Jan 16, 2022, 5:55 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी से बचाव को लेकर कई पाबंदियां लगाई जा रही हैं. इनमें एक है स्कूलों को बंद किया जाना. इसी बीच लोगों के बीच ओमीक्रोन वेरिएंट को लेकर भी कई आशंकाएं देखी जा रही हैं. देश में अब तक ओमीक्रोन वेरिएंट से 7,743 लोग संक्रमित हो चुके हैं. एक ओर कई लोग कोरोना प्रोटोकॉल का सख्त अनुपालन, स्कूलों को बंद किया जाना और वीकएंड लॉकडाउन जैसी पाबंदियों की हिमायत कर रहे हैं. तो दूसरी ओर एक शीर्ष अधिकारी स्कूलोंं को बंद रखने के पक्ष में नहीं हैं.

स्कूलों को बंद रखने के पीछे कोई विज्ञान नहीं !
विश्व बैंक के शिक्षा निदेशक जैमे सावेद्रा (World Bank's Global Education Director Jaime Saavedra) ने कहा है कि कोविड-19 के कारण अब स्कूलों को बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है. एक साक्षात्कार में विश्व बैंक के शिक्षा निदेशक ने कहा कि स्कूलों को फिर से खोलने के लिए बच्चों के टीकाकरण की प्रतीक्षा करने का कोई मतलब नहीं है और इसके पीछे 'कोई विज्ञान' नहीं है.

जैमे सावेद्रा के अनुसार महामारी को देखते हुए स्कूलों को बंद रखने का अब कोई औचित्य नहीं है और भले ही नयी लहरें आएं स्कूलों को बंद करना अंतिम उपाय ही होना चाहिए. सावेद्रा की टीम शिक्षा क्षेत्र पर कोविड-19 के प्रभाव पर नजर रख रही है. उन्होंने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि स्कूलों को फिर से खोलने से कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि हुई है और स्कूल 'सुरक्षित स्थान' नहीं हैं. सावेद्रा ने कहा कि लोक नीति के नजरिए से बच्चों के टीकाकरण तक इंतजार करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि इसके पीछे कोई विज्ञान नहीं है.

स्कूलों को बंद करना अंतिम उपाय
सावेद्रा ने कहा, 'स्कूल खोलने और कोरोना वायरस के प्रसार के बीच कोई संबंध नहीं है. दोनों को जोड़ने का कोई सबूत नहीं है और अब स्कूलों को बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है. भले ही कोविड-19 की नयी लहरें आएं, स्कूलों को बंद करना अंतिम उपाय ही होना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'रेस्तरां, बार और शॉपिंग मॉल को खुला रखने और स्कूलों को बंद रखने का कोई मतलब नहीं है. कोई बहाना नहीं हो सकता.' विश्व बैंक के विभिन्न अध्ययन के अनुसार, अगर स्कूल खोले जाते हैं तो बच्चों के लिए स्वास्थ्य जोखिम कम होता है और बंद होने की लागत बहुत अधिक होती है.

कई देशों में खोले गए स्कूल
उन्होंने कहा, '2020 के दौरान हम नासमझी में कदम उठा रहे थे. हमें अभी भी यह नहीं पता कि महामारी से निपटने का सबसे अच्छा तरीका क्या है और दुनिया के अधिकतर देशों में तत्काल स्कूलों को बंद करने के कदम उठाए गए. तब से काफी समय बीत चुका है और 2020 और 2021 से कई लहरें आ चुकी हैं और ऐसे कई देश हैं, जिन्होंने स्कूल खोले हैं.'

बच्चों के लिए जोखिम कम
सावेद्रा ने कहा, 'हम यह देखने में सक्षम हैं कि क्या स्कूलों के खुलने से वायरस के प्रसार पर प्रभाव पड़ा है और नए डेटा से पता चलता है कि ऐसा नहीं होता है. कई जगहों पर लहरें तब आई हैं, जब स्कूल बंद थे तो जाहिर है कि संक्रमण के मामलों में वृद्धि के पीछे स्कूलों की कोई भूमिका नहीं रही है.' उन्होंने कहा, 'भले ही बच्चे संक्रमित हो सकते हैं और ओमीक्रोन से यह और भी अधिक हो रहा है लेकिन बच्चों में मृत्यु और गंभीर बीमारी अत्यंत दुर्लभ है. बच्चों के लिए जोखिम कम हैं और लागत बहुत अधिक है.'

पढ़ाई का नुकसान अनुमान से अधिक
बच्चों का अब तक टीकाकरण नहीं होने की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'ऐसा कोई देश नहीं है जिसने बच्चों के टीकाकरण के बाद ही स्कूलों को फिर से खोलने की शर्त रखी हो. क्योंकि इसके पीछे कोई विज्ञान नहीं है और लोक नीति के नजरिए से इसका कोई मतलब नहीं है.' भारत में महामारी के कारण स्कूल बंद होने के प्रभाव के बारे में बात करते हुए सावेद्रा ने कहा कि 'प्रभाव पहले की तुलना में अधिक गंभीर है' और पठन-पाठन के नुकसान का अनुमान कहीं ज्यादा रहने की आशंका है.

यूपी में बंद हुए स्कूल
बता दें कि भारत के कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण स्कूलों को बंद किया जा रहा है. यूपी में स्कूलों को बंद रखने की अवधि एक सप्ताह और बढ़ा दी गई है. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कोरोना वायरस की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को आवश्यक दिशानिर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने कहा, 'कोविड-19 की बदलती परिस्थितियों को देखते हुए सभी शिक्षण संस्थानों (स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, तकनीकी शिक्षण संस्थान आदि) में आगामी 23 जनवरी तक प्रत्यक्ष पठन-पाठन स्थगित रखा जाए. केवल ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई हो.' उन्होंने कहा कि सभी जिलों में रात्रि 10 बजे से सुबह छह बजे तक रात्रिकालीन कर्फ्यू प्रभावी है, इसे सख्ती से लागू किया जाए.

यह भी पढ़ें- corona cases in India : पिछले 24 घंटे में दो लाख 71 हजार से अधिक मामले आए

कोरोना संक्रमण के आंकड़े
इससे पहले रविवार पूर्वाह्न 8 बजे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 2,71,202 नए मामले आए और 1,38,331 रिकवरी हुईं. और 314 लोगों की कोरोना से मौत हुई है. इसके अलावा ओमीक्रोन वेरिएंट से संक्रमित लोगों की संख्या 7700 से अधिक हो चुकी है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी से बचाव को लेकर कई पाबंदियां लगाई जा रही हैं. इनमें एक है स्कूलों को बंद किया जाना. इसी बीच लोगों के बीच ओमीक्रोन वेरिएंट को लेकर भी कई आशंकाएं देखी जा रही हैं. देश में अब तक ओमीक्रोन वेरिएंट से 7,743 लोग संक्रमित हो चुके हैं. एक ओर कई लोग कोरोना प्रोटोकॉल का सख्त अनुपालन, स्कूलों को बंद किया जाना और वीकएंड लॉकडाउन जैसी पाबंदियों की हिमायत कर रहे हैं. तो दूसरी ओर एक शीर्ष अधिकारी स्कूलोंं को बंद रखने के पक्ष में नहीं हैं.

स्कूलों को बंद रखने के पीछे कोई विज्ञान नहीं !
विश्व बैंक के शिक्षा निदेशक जैमे सावेद्रा (World Bank's Global Education Director Jaime Saavedra) ने कहा है कि कोविड-19 के कारण अब स्कूलों को बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है. एक साक्षात्कार में विश्व बैंक के शिक्षा निदेशक ने कहा कि स्कूलों को फिर से खोलने के लिए बच्चों के टीकाकरण की प्रतीक्षा करने का कोई मतलब नहीं है और इसके पीछे 'कोई विज्ञान' नहीं है.

जैमे सावेद्रा के अनुसार महामारी को देखते हुए स्कूलों को बंद रखने का अब कोई औचित्य नहीं है और भले ही नयी लहरें आएं स्कूलों को बंद करना अंतिम उपाय ही होना चाहिए. सावेद्रा की टीम शिक्षा क्षेत्र पर कोविड-19 के प्रभाव पर नजर रख रही है. उन्होंने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि स्कूलों को फिर से खोलने से कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि हुई है और स्कूल 'सुरक्षित स्थान' नहीं हैं. सावेद्रा ने कहा कि लोक नीति के नजरिए से बच्चों के टीकाकरण तक इंतजार करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि इसके पीछे कोई विज्ञान नहीं है.

स्कूलों को बंद करना अंतिम उपाय
सावेद्रा ने कहा, 'स्कूल खोलने और कोरोना वायरस के प्रसार के बीच कोई संबंध नहीं है. दोनों को जोड़ने का कोई सबूत नहीं है और अब स्कूलों को बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है. भले ही कोविड-19 की नयी लहरें आएं, स्कूलों को बंद करना अंतिम उपाय ही होना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'रेस्तरां, बार और शॉपिंग मॉल को खुला रखने और स्कूलों को बंद रखने का कोई मतलब नहीं है. कोई बहाना नहीं हो सकता.' विश्व बैंक के विभिन्न अध्ययन के अनुसार, अगर स्कूल खोले जाते हैं तो बच्चों के लिए स्वास्थ्य जोखिम कम होता है और बंद होने की लागत बहुत अधिक होती है.

कई देशों में खोले गए स्कूल
उन्होंने कहा, '2020 के दौरान हम नासमझी में कदम उठा रहे थे. हमें अभी भी यह नहीं पता कि महामारी से निपटने का सबसे अच्छा तरीका क्या है और दुनिया के अधिकतर देशों में तत्काल स्कूलों को बंद करने के कदम उठाए गए. तब से काफी समय बीत चुका है और 2020 और 2021 से कई लहरें आ चुकी हैं और ऐसे कई देश हैं, जिन्होंने स्कूल खोले हैं.'

बच्चों के लिए जोखिम कम
सावेद्रा ने कहा, 'हम यह देखने में सक्षम हैं कि क्या स्कूलों के खुलने से वायरस के प्रसार पर प्रभाव पड़ा है और नए डेटा से पता चलता है कि ऐसा नहीं होता है. कई जगहों पर लहरें तब आई हैं, जब स्कूल बंद थे तो जाहिर है कि संक्रमण के मामलों में वृद्धि के पीछे स्कूलों की कोई भूमिका नहीं रही है.' उन्होंने कहा, 'भले ही बच्चे संक्रमित हो सकते हैं और ओमीक्रोन से यह और भी अधिक हो रहा है लेकिन बच्चों में मृत्यु और गंभीर बीमारी अत्यंत दुर्लभ है. बच्चों के लिए जोखिम कम हैं और लागत बहुत अधिक है.'

पढ़ाई का नुकसान अनुमान से अधिक
बच्चों का अब तक टीकाकरण नहीं होने की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'ऐसा कोई देश नहीं है जिसने बच्चों के टीकाकरण के बाद ही स्कूलों को फिर से खोलने की शर्त रखी हो. क्योंकि इसके पीछे कोई विज्ञान नहीं है और लोक नीति के नजरिए से इसका कोई मतलब नहीं है.' भारत में महामारी के कारण स्कूल बंद होने के प्रभाव के बारे में बात करते हुए सावेद्रा ने कहा कि 'प्रभाव पहले की तुलना में अधिक गंभीर है' और पठन-पाठन के नुकसान का अनुमान कहीं ज्यादा रहने की आशंका है.

यूपी में बंद हुए स्कूल
बता दें कि भारत के कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण स्कूलों को बंद किया जा रहा है. यूपी में स्कूलों को बंद रखने की अवधि एक सप्ताह और बढ़ा दी गई है. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कोरोना वायरस की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को आवश्यक दिशानिर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने कहा, 'कोविड-19 की बदलती परिस्थितियों को देखते हुए सभी शिक्षण संस्थानों (स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, तकनीकी शिक्षण संस्थान आदि) में आगामी 23 जनवरी तक प्रत्यक्ष पठन-पाठन स्थगित रखा जाए. केवल ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई हो.' उन्होंने कहा कि सभी जिलों में रात्रि 10 बजे से सुबह छह बजे तक रात्रिकालीन कर्फ्यू प्रभावी है, इसे सख्ती से लागू किया जाए.

यह भी पढ़ें- corona cases in India : पिछले 24 घंटे में दो लाख 71 हजार से अधिक मामले आए

कोरोना संक्रमण के आंकड़े
इससे पहले रविवार पूर्वाह्न 8 बजे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 2,71,202 नए मामले आए और 1,38,331 रिकवरी हुईं. और 314 लोगों की कोरोना से मौत हुई है. इसके अलावा ओमीक्रोन वेरिएंट से संक्रमित लोगों की संख्या 7700 से अधिक हो चुकी है.

(पीटीआई-भाषा)

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