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MP: देश का पहला विद्युतीकृत जोन बना पश्चिम मध्य रेलवे - Piyush Goyal

आखिरकार लंबे इंतजार के बाद देश का पहला विद्युतीकृत जोन पश्चिम मध्य रेलवे बन गया है. इलेक्ट्रिफिकेशन के बाद अब ट्रेन की गति 70 से 80 से बढ़कर 130 किमी प्रति घंटा गति हो गई है. वहीं कई ट्रेनों का 30 से 40 मिनट का समय कम हुआ है.

पश्चिम मध्य रेलवे
पश्चिम मध्य रेलवे
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Published : Apr 4, 2021, 8:11 AM IST

जबलपुर। पश्चिम मध्य रेलवे अब देश का पहला ऐसा रेलवे जोन बन गया है जो कि पूरी तरह से विद्युतीकृत जोन (इलेक्ट्रिफिकेशन) हो गया है. 2017 में करीब 3012 किलोमीटर ट्रैक को इलेक्ट्रिफिकेशन करना था जो कि 2021 में जाकर पूरा हुआ है. कोटा- चित्तौड़गढ़ के बीच 23 किलोमीटर का इलेक्ट्रिफिकेशन होते ही डब्लूसीआर का यह रिकॉर्ड बन गया है. डब्लूसीआर की इस उपलब्धि पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने खुशी जाहिर की है.

इलेक्ट्रिफिकेशन के बाद 130 किमी प्रति घंटा हुई गति

पश्चिम मध्य रेलवे के जनरल मैनेजर शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि अभी तक डीजल इंजन में ट्रेन की स्पीड काफी कम हुआ करती थी. जिसके चलते यात्रियों को सफर के दौरान ज्यादा समय व्यतीत करना पड़ता था. डीजल लोको की स्पीड जहां 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा हुआ करती थी, वह अब इलेक्ट्रिफिकेशन हो जाने के बाद 130 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा हो गई है. वहीं मालगाड़ी की स्पीड 30 किलोमीटर प्रति से बढ़कर 52 किलोमीटर हो गई है.

एक रिपोर्ट

पश्चिम मध्य रेलवे के पास हैं 593 इलेक्ट्रिक लोको

वर्तमान में पश्चिम मध्य रेलवे के तीनों जोन भोपाल-कोटा और जबलपुर में करीब 593 इलेक्ट्रिक लोको हैं. सभी लोको से मालगाड़ी एवं यात्री गाड़ी संचालित की जा रही हैं. पहले डीजल लोको होने से जहां इंजन बदलने में काफी समय लगता था जिसके चलते ट्रेनों की समय सारणी भी प्रभावित होती थी .वहीं अब इलेक्ट्रिक इंजन होने से परिचालन सुगम होगा. इसके साथ ही आयात होने वाले डीजल में भी कमी आएगी, इसके अलावा प्रदूषण भी कम होगा.

यह भी पढ़ें - अमरनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण शुरू, स्वास्थ्य प्रमाणपत्र दिखाना अनिवार्य

विद्युतीकरण का काम तेजी से हुआ

पश्चिम मध्य रेलवे ने साल 2017 में इलेक्ट्रिफिकेशन का काम शुरू किया था, जो कि 2021 में जाकर पूरा हो चुका है. साल 2017 में पश्चिम मध्य रेल का 1695 किलोमीटर इलेक्ट्रिफिकेशन हो जाने के बाद से गति में तेजी आएगी. 2017-18 में 178 किलोमीटर, 2018-19 में 296 किलोमीटर, 2019-20 में 357 किलोमीटर और 2020-21 में 486 किलोमीटर विद्युतीकरण का काम किया गया. इस विद्युतीकरण कार्य में जहां 2017-18 में 254.70 करोड़ खर्च किए गए तो वही 2018-19 में 423.58 करोड़, 2019-20 में 510. 87 करोड़ और 2020-21 में 695.47 करोड़ रु इलेक्ट्रिकफिकेशन में खर्च हुए.

अब तेज स्पीड से चलेगी गाड़ी

डीजल लोको से जहां कम स्पीड के चलते हमेशा ट्रेन लेटलतीफी से चलती थीं जिसके चलते यात्रियों को परेशान होना पड़ता था. लेकिन अब विद्युतीकृत हो जाने से इलेक्ट्रिक इंजन दौड़ने लगे हैं, इससे यात्रियों को काफी राहत मिलेगी.

इलेक्ट्रिफिकेशन से इन ट्रेनों का 30 से 40 मिनट का समय कम हुआ

ट्रेन नंबर कहां से कहां तक
2217 कोंचुवाली-चंडीगढ़
2493 पुणे-निजामुद्दीन
2447 मडगांव-चंडीगढ़
2908 निजामुद्दीन-बांद्रा
2628 नई दिल्ली-बेंगलुरु

जबलपुर। पश्चिम मध्य रेलवे अब देश का पहला ऐसा रेलवे जोन बन गया है जो कि पूरी तरह से विद्युतीकृत जोन (इलेक्ट्रिफिकेशन) हो गया है. 2017 में करीब 3012 किलोमीटर ट्रैक को इलेक्ट्रिफिकेशन करना था जो कि 2021 में जाकर पूरा हुआ है. कोटा- चित्तौड़गढ़ के बीच 23 किलोमीटर का इलेक्ट्रिफिकेशन होते ही डब्लूसीआर का यह रिकॉर्ड बन गया है. डब्लूसीआर की इस उपलब्धि पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने खुशी जाहिर की है.

इलेक्ट्रिफिकेशन के बाद 130 किमी प्रति घंटा हुई गति

पश्चिम मध्य रेलवे के जनरल मैनेजर शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि अभी तक डीजल इंजन में ट्रेन की स्पीड काफी कम हुआ करती थी. जिसके चलते यात्रियों को सफर के दौरान ज्यादा समय व्यतीत करना पड़ता था. डीजल लोको की स्पीड जहां 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा हुआ करती थी, वह अब इलेक्ट्रिफिकेशन हो जाने के बाद 130 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा हो गई है. वहीं मालगाड़ी की स्पीड 30 किलोमीटर प्रति से बढ़कर 52 किलोमीटर हो गई है.

एक रिपोर्ट

पश्चिम मध्य रेलवे के पास हैं 593 इलेक्ट्रिक लोको

वर्तमान में पश्चिम मध्य रेलवे के तीनों जोन भोपाल-कोटा और जबलपुर में करीब 593 इलेक्ट्रिक लोको हैं. सभी लोको से मालगाड़ी एवं यात्री गाड़ी संचालित की जा रही हैं. पहले डीजल लोको होने से जहां इंजन बदलने में काफी समय लगता था जिसके चलते ट्रेनों की समय सारणी भी प्रभावित होती थी .वहीं अब इलेक्ट्रिक इंजन होने से परिचालन सुगम होगा. इसके साथ ही आयात होने वाले डीजल में भी कमी आएगी, इसके अलावा प्रदूषण भी कम होगा.

यह भी पढ़ें - अमरनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण शुरू, स्वास्थ्य प्रमाणपत्र दिखाना अनिवार्य

विद्युतीकरण का काम तेजी से हुआ

पश्चिम मध्य रेलवे ने साल 2017 में इलेक्ट्रिफिकेशन का काम शुरू किया था, जो कि 2021 में जाकर पूरा हो चुका है. साल 2017 में पश्चिम मध्य रेल का 1695 किलोमीटर इलेक्ट्रिफिकेशन हो जाने के बाद से गति में तेजी आएगी. 2017-18 में 178 किलोमीटर, 2018-19 में 296 किलोमीटर, 2019-20 में 357 किलोमीटर और 2020-21 में 486 किलोमीटर विद्युतीकरण का काम किया गया. इस विद्युतीकरण कार्य में जहां 2017-18 में 254.70 करोड़ खर्च किए गए तो वही 2018-19 में 423.58 करोड़, 2019-20 में 510. 87 करोड़ और 2020-21 में 695.47 करोड़ रु इलेक्ट्रिकफिकेशन में खर्च हुए.

अब तेज स्पीड से चलेगी गाड़ी

डीजल लोको से जहां कम स्पीड के चलते हमेशा ट्रेन लेटलतीफी से चलती थीं जिसके चलते यात्रियों को परेशान होना पड़ता था. लेकिन अब विद्युतीकृत हो जाने से इलेक्ट्रिक इंजन दौड़ने लगे हैं, इससे यात्रियों को काफी राहत मिलेगी.

इलेक्ट्रिफिकेशन से इन ट्रेनों का 30 से 40 मिनट का समय कम हुआ

ट्रेन नंबर कहां से कहां तक
2217 कोंचुवाली-चंडीगढ़
2493 पुणे-निजामुद्दीन
2447 मडगांव-चंडीगढ़
2908 निजामुद्दीन-बांद्रा
2628 नई दिल्ली-बेंगलुरु
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